इंदौर-उज्जैन मेट्रो प्रोजेक्ट 10 हजार करोड़ का, बनेंगे 11 स्टेशन; जल्द सीएम करेंगे समीक्षा

इंदौर/उज्जैन 

इंदौर और उज्जैन के लोगों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि दोनों शहरों के बीच मेट्रो चलाने का जो सपना देखा गया था, वह अब हकीकत में बदलने को तैयार है. इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की टीम ने डीपीआर ने प्रस्ताव पेश कर दिया है, जिसमें बताया गया है कि दोनों शहरों के बीच 10 हजार करोड़ की लागत से मेट्रो का काम पूरा किया जाएगा, जिसमें 45 किलोमीटर का ट्रैक बिछाया जाएगा और दोनों शहरों के बीच करीब 11 मेट्रो स्टेशन बनेंगे, जिसमें 4.5 किलोमीटर का ट्रैक उज्जैन शहर में रहेगा जिसे अंडरग्राउंड रखने की बात डीपीआर में कही गई है. वहीं यह भी बताया गया है कि मेट्रो इंदौर के लवकुश चौराहे से शुरू होगी और उज्जैन के रेलवे स्टेशन तक चलाई जाएगी. इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो चलने से दोनों शहरों को बड़ा फायदा होगा. 

सिंहस्थ से पहले चलाने की तैयारी 

दरअसल, इंदौर-उज्जैन मेट्रो साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ से पहले चलाने की कोशिश की जाएगी, क्योंकि सीएम मोहन यादव ने पिछले दिनों सिंहस्थ तक दोनों शहरों के बीच मेट्रो चलाने की मंशा जाहिर की थी. बताया जा रहा है कि इसी प्लान पर काम करते हुए मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की तरफ से डीपीआर बनाया गया है. क्योंकि करीब 1 साल पहले दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की टीम ने इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए सर्वे किया था, जिसमें सिंहस्थ महाकुंभ से पहले ही मेट्रो चलाने का डीपीआर पेश किया गया है. बताया जा रहा है कि इस दौरान टीम ने इंदौर और उज्जैन जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी विस्तार से बातचीत की है और उसी के बाद दो सप्ताह तक लगातार काम के बाद मेट्रो का डीपीआर पेश किया गया है. 

बताया जा रहा है कि अब डीपीआर का प्रस्तुतिकरण जनप्रतिनिधियों और सरकार के पास भी किया जा रहा है. सरकार 2028 सिंहस्थ से पहले ही इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रैक तैयार करवाने की प्लानिंग पर काम कर रही है. इसके लिए अब जल्द ही एक टीम मोहन सरकार को भी इंदौर-उज्जैन मेट्रो का प्रजेटेंशन देगी और उसी के आधार पर आगे का काम किया जाएगा. 

दिल्ली मेट्रो ने दोनों शहरों की फिजिबिलिटी स्टडी रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें इसे मेट्रो के लिए अच्छा बताया था। इसके बाद डीपीआर तैयार की गई। इस प्रोजेक्ट में करीब 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। वहीं, लगभग 45 किमी के ट्रैक में 11 स्टेशन बनेंगे। 4.5 किमी का ट्रैक उज्जैन शहर में अंडर ग्राउंड रखने का प्रस्ताव है। मेट्रो लवकुश नगर से शुरू होकर उज्जैन रेलवे स्टेशन तक जाएगी।

सिंहस्थ तक ट्रैक पूरा होने की संभावना नहीं

नई प्लानिंग में इंदौर-उज्जैन के बीच करीब 50-51 किमी का कॉरिडोर बनेगा। अफसरों का कहना है कि जल्द डीपीआर तैयार होती है तो भी एक साल में काम शुरू नहीं हो पाएगा। सिंहस्थ तक ट्रैक पूरा होने की संभावना नहीं है। प्लानिंग का प्रेजेंटेशन सीएम के सामने होने के बाद डीपीआर फाइनल होगी। सीएम से प्रेजेंटेशन के लिए समय मांगा है।
10 हजार करोड़ खर्च का अनुमान

अफसरों के मुताबिक, स्टेशन पहले लवकुश चौराहा, अरबिंदो हॉस्पिटल, बारोली, धरमपुरी, तराना, सांवेर, पंथ पीपलई, निनौरा, इंजीनियरिंग कॉलेज उज्जैन, नानाखेड़ा व महाकाल पर प्रस्तावित थे। 47-48 किमी में 10 हजार करोड़ खर्च अनुमानित है। इस बीच सीएम ने उज्जैन में आगर रोड पर भी एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की बात कही।

पौन घंटे में सफर पूरा होगा

मेट्रो चलने से इंदौर-उज्जैन के बीच सफर में समय कम लगेगा और महाकाल मंदिर तक पहुंचने में दर्शनार्थियों को आसानी होगी। उज्जैन पहुंचने का समय लगभग आधा रह जाएगा। अभी बस से करीब 2 घंटे तो कार से करीब डेढ़ घंटा लगता है। दोपहिया से लगभग दो घंटे लगते हैं। मेट्रो 45 से 50 मिनट में लवकुश चौराहा से उज्जैन पहुंचेगी।

यह 11 स्टेशन बनेंगे

डीपीआर में भौंरासला, बारोली, धरमपुरी, तराना, सांवेर, पंथ पिपलई, निनोरा, त्रिवेणी घाट, नानाखेड़ा, उज्जैन आईएसबीटी, उज्जैन रेलवे स्टेशन पर मेट्रो स्टेशन बनेंगे। उज्जैन में मेट्रो को कहां से अंडरग्राउंड किया जाना है, इस पर निर्णय होना है।

इंदौर में मेट्रो पहले से है, दूसरे डिपो की जरूरत नहीं इंदौर-उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो के लिए दिल्ली मेट्रो ने फिजिबिलिटी स्टडी की। इसके बाद डीपीआर का ड्रॉफ्ट बनाया गया। इसमें लागत, स्टेशनों की संख्या तय की गई है। इस प्रोजेक्ट में स्टेशनों की संख्या कम रहेगी।

इंदौर-उज्जैन के बीच सड़क मार्ग की दूरी करीब 55Km है। इसके आसपास से ही मेट्रो गुजर सकती है। यह रोड पहले से ही सिक्स लेन किया जा रहा है। वहीं, यहां पर ज्यादा भू-अर्जन भी नहीं करना पड़ेगा।

इंदौर-उज्जैन के बीच 11 स्टेशन 

डीपीआर के मुताबिक दोनों शहरों के बीच चलने वाली मेट्रो में इंदौर शहर के लिए भौंरासला, बारोली, धरमपुरी, तराना, सांवेर तक स्टेशन बनेंगे, इसके बाद उज्जैन के लिए पंथ पिपलई, निनोरा, त्रिवेणी घाट, नानाखेड़ा, उज्जैन आईएसबीटी, उज्जैन रेलवे स्टेशन तक मेट्रो के स्टेशन बनाए जाएंगे. हालांकि उज्जैन में कुछ स्टेशन अंडरग्राउंड बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है, लेकिन यह स्टेशन कहां बनेंगे यह तय नहीं हुआ है. इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो का सफर पौन घंटे में पूरा हो जाएगा. दोनों शहरों के बीच मेट्रो चलाने से सबसे ज्यादा आसान बाबा महाकाल के दर्शन होंगे, क्योंकि इससे इंदौर से उज्जैन का सफर आज के हिसाब से आधा रह जाएगा. अभी कार से 2 से ढाई घंटे का समय लग जाता है. लेकिन मेट्रो से आप 45 मिनट में ही उज्जैन पहुंच जाएंगे.  

सांवेर के पास रेवती में मांगी जमीन इंदौर में पहले से मेट्रो का संचालन हो रहा है, इसलिए दूसरे डिपो की जरूरत नहीं होगी। इंदौर के लवकुश चौराहे से उज्जैन तक मेट्रो पहुंचेगी। उज्जैन में डिपो के लिए जमीन तलाश की गई। कुल 49.7 एकड़ सरकारी जमीन उज्जैन के आसपास नहीं मिली। इस वजह से सांवेर के पास रेवती में जमीन मांगी गई।

देश में कई शहरों में मेट्रो और रैपिड रेल चल रही हैं। दिल्ली मेट्रो सबसे बड़ी प्रणाली है और इसके अलावा रैपिड रेल दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर भी चल रही है। रैपिड रेल गुरुग्राम में भी उपलब्ध है। इसमें सीटिंग व्यवस्था ज्यादा रहेगी, क्योंकि यात्रियों को लंबी दूरी की यात्रा करना पड़ती है।

एलिवेटेड और अंडरग्राउंड रहेगी मेट्रो मेट्रो कार्पोरेशन सूत्रों के अनुसार इंदौर-उज्जैन रोड पर मेट्रो को एलिवेटेड रखा जाएगा। इसके लिए सड़क के बीच स्थित डिवाइडर पर मेट्रो के पिलर खड़े किए जाएंगे। वहीं, नानाखेड़ा से उज्जैन रेलवे स्टेशन तक मेट्रो अंडर ग्राउंड रहेगी। हालांकि कितने किमी का कितना हिस्सा एलिवेटेड रहेगा और कितना अंडरग्राउंड रहेगा, यह डीपीआर तैयार होने के बाद ही पता चलेगा।

135 किमी अधिकतम रफ्तार इंदौर व उज्जैन के बीच हाइब्रिड मोड में मेट्रो का संचालन किया जा सकता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 135 किलोमीटर प्रतिघंटा तक रहेगी। वर्तमान में दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में इस तरह हाइब्रिड मोड में मेट्रो का संचालन किया जा रहा है।

पूर्व में सिंहस्थ के पहले इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने की योजना बनाई जा रही थी, लेकिन 10 हजार करोड़ रुपए का बजट जुटाना राज्य शासन के लिए आसान नहीं है। यही वजह है कि यह प्रोजेक्ट सिंहस्थ के पहले पूरा नहीं हो पाएगा।

एक तिहाई रह जाएगा ट्रैफिक इंदौर और उज्जैन का करीब 75 प्रतिशत ट्रैफिक सड़क मार्ग से ही आना-जाना करता है। हजारों लोग इंदौर-उज्जैन में अप-डाउन करते हैं। इससे सड़क पर ट्रैफिक का दबाव बना रहता है। कई बार हादसे भी हो चुके हैं।

ऐसे में इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो बेहतर कनेक्टिविटी का बड़ा विकल्प हो सकता है। दोनों शहरों के बीच मेट्रो चलने के बाद सड़क मार्ग का ट्रैफिक एक तिहाई रह जाएगा।

दिल्ली मेट्रो ने ही की थी फिजिबिलिटी स्टडी इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए साल 2022-23 में फिजिबिलिटी स्टडी दिल्ली मेट्रो ने ही की थी, जो सरकार को सौंपी गई थी। इस रिपोर्ट के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में बतौर प्रभारी मंत्री बैठक ली। इसमें कहा था कि मेट्रोपोलिटन सिटी में दोनों शहरों की फिजिबिलिटी रिपोर्ट सबसे बेहतर है। इसके बाद प्रोजेक्ट को लेकर रफ्तार तेज तो हुई, लेकिन फंड को लेकर अड़चन है।

मेट्रो से जुड़े एक अफसर ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में कम से कम 3 साल लगेंगे। ऐसे में यह सिंहस्थ से पहले शुरू नहीं हो सकता।

स्टेशन कम रहेंगे तो लागत भी कम आएगी भोपाल में प्रायोरिटी कॉरिडोर के सुभाष नगर से एम्स के बीच कुल 8 मेट्रो स्टेशन बन रहे हैं। एक स्टेशन की लागत 50 करोड़ रुपए से अधिक है। दूसरी ओर, इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो के कम स्टेशन रहेंगे। इससे राशि बचेगी और लागत भी कम आएगी।

 

 

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