Friday, November 22, 2024
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झूलन में नाबालिकों से लिया जा रहा काम, मेट के सहारे मनरेगा

Johar36garh (Web Desk)| छत्तीसगढ़ जांजगीर चाम्पा जिला पामगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत झूलन में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में पूरी तरह संवेदनहीनता की भेंट चढ़ गई है। तमाम विभागीय नियम कानून व प्रतिबंधों के बावजूद ताक पर रखकर ग्राम पंचायत झूलन में खुला खेल किया जा रहा है।

इसका आलम यह है कि गांव में तालाब गहरीकरण कार्य जाब कार्डधारकों के साथ-साथ नाबालिक बच्चों से भी कार्य लिया जा रहा है। इसकी भनक ग्राम पंचायत के सरपंच जागेश्वर कश्यप को नहीं है। जबकि रोजगार सहायक मौके से अनुपस्थित मिले | केवल आधा दर्जन मेट ही तालाब गहरीकरण के आसपास नजर आए |

मंगलवार की सुबह जब झूलन में मनरेगा के तहत नया तालाब की खुदाई का कार्य चल रहा था तब यहाँ पर सिवाय मेट के और कोई नहीं था |  ग्रामीण मास्क नहीं पहने हुए थे | जब मिडिया टीम को देखा तो जो लोग मास्क लेकर आए थे उन्होंने लगाया बाकि ऐसे ही कार्य करते रहे|  जिले में जिस तरह संक्रमित मरीजों को संख्या बढ़ रही उसके बाद कार्य में सोशल डिस्टेंस का बिलकुल पालन नहीं किया जा रहा है |

तालाब गहरीकरण कर रहे ग्रामीणों के बीच आधा दर्जन से भी अधिक नाबालिक भी कार्य में लगे थे |  मिडियाकर्मी को देखकर कुछ नाबालिक वहाँ से चले गए और कुछ कैमरा में कैद हो गए |  जब कार्यों की जानकारी मांगी गई तो उपस्थित मेट ने सरपंच को फ़ोन करके बुलाया | जब इस संबंध में सरपंच से पूछा गया तो उन्होंने नाबालिकों के घूमने आने की बात कहते हुए गोलमोल जवाब देना शुरू किया|

भारतीय संसद द्वारा 2 फ़रवरी 2006 को राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार शुरु करने के लिए प्रारम्भ की गई।ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) 2005 सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है जो गरीबों की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ा है और जो व्यापक विकास को प्रोत्साहन देता है। यह अधिनियम विश्व में अपनी तरह का पहला अधिनियम है जिसके तहत अभूतपूर्व तौर पर रोजगार की गारंटी दी जाती है।

इसका मकसद है ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढाना। इसके तहत हर घर के एक वयस्क सदस्य को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिए जाने की गारंटी है। यह रोजगार शारीरिक श्रम के संदर्भ में है और उस वयस्क व्यक्ति को प्रदान किया जाता है जो इसके लिए राजी हो। इस अधिनियम का दूसरा लक्ष्य यह है कि इसके तहत टिकाऊ परिसम्पत्तियों का सृजन किया जाए और ग्रामीण निर्धनों की आजीविका के आधार को मजबूत बनाया जाए

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