Johar36garh (Web Desk)| कोरोना लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में घर वापसी के दौरान ट्रेन की पटरियों पर सो रहे कम से कम 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। ये सभी मजदूर अपने घर मध्य प्रदेश पैदल रेल लाइन के जरिये लौट रहे थे। मगर रास्ते में रेल पटरियों पर ही आराम करने के दौरान अचानक नींद लग गई है और ट्रेन ने इन सबको रौंद डाला। हालांकि, इस दर्दनाक हादसे का एक चश्मदीद सामने आया है, जिसने उस भयावह घटना के बारे में बताया है।
औरंगाबाद ट्रेन हादसे के एक चश्मदीद ने बताया ‘हम मध्य प्रदेश अपने गांव जा रहे थे। हम गुरुवार की शाम को सात बजे निकले थे। करीब शुक्रवार सुबह 4 बजे हमलोगों ने कुछ देर आराम किया। मैंने उनके पीछे था, जबकि वे आगे थे। जब ट्रेन ने उन्हें रौंदा तब वे सभी सो रहे थे।’ बता दें कि इन सभी मजदूरों के शवों को मध्य प्रदेश एक विशेष ट्रेन से भेज दिया गया है।
ट्रेन हादसे में बचे एक मज़दूर को सुनिये..!
मप्र में पास के लिये 15 दिन पहले आवेदन किया था, लेकिन कोई पास जारी नहीं किया गया।
शिवराज जी,
यदि इन्हें पास मिल जाता,
तो आज ये 16 मौतें नहीं होती।महाराष्ट्र से समन्वयक के लिये अधिकृत आईएएस अधिकारी को निलंबित कीजिये। pic.twitter.com/mwe7kqUzJw
— Jitu Patwari (@jitupatwari) May 8, 2020
रेलवे ने इस दुर्घटना की समग्र जांच की घोषणा की है। हादसा औरंगाबाद से करीब 30 किलोमीटर करमाड के समीप सुबह लगभग सवा पांच बजे हुआ। अधिकारियों ने बताया कि मारे गए मजदूर और जीवित बचे चार अन्य मजदूर-सभी पुरुष थे। सोशल मीडिया पर वायरल, हादसे की एक वीडियो क्लिप में पटरियों पर मजदूरों के शव पड़े दिखाई देते हैं और शवों के पास मजदूरों का थोड़ा बहुत सामान बिखरा पड़ा नजर आता है।
जिला पुलिस प्रमुख मोक्षदा पाटिल ने बताया कि जीवित बचे चार लोगों में से तीन ने अपने साथियों को जगाने की कोशिश की थी जो घटनास्थल से करीब 40 किलोमीटर दूर जालना से रातभर पैदल चलने के बाद पटरियों पर सो गए थे।
करमाड थाने के एक अधिकारी ने बताया कि मध्य महाराष्ट्र के जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि वे ट्रेन की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। जालना से आ रही मालगाड़ी पटरियों पर सो रहे इन मजदूरों पर चढ़ गई।
इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘जालना में एक इस्पात कारखाने में काम करने वाले ये मजदूर गत रात पैदल ही अपने गृह राज्य की ओर निकल पड़े थे। वे करमाड तक आए और थककर पटरियों पर सो गए।’ पुलिस ने बताया कि जीवित बचे चार मजदूरों में से तीन पटरी से कुछ दूर सो रहे थे। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण ये प्रवासी मजदूर बेरोजगार हो गए थे और अपने घर जाना चाहते थे। वे पुलिस से बचने के लिए ट्रेन की पटरियों के किनारे पैदल चल रहे थे।
इस हादसे में बाल-बाल बचे लोगों ने आ रही मालगाड़ी को लेकर अपने समूह के सदस्यों को जगाने का प्रयास किया। जीवित बचे मजदूरों ने इस हादसे के बारे में रूह कंपा देने वाली कहानी बताई। पाटिल ने कहा, ‘फंसे हुए 20 मजदूरों का समूह जालना से पैदल चल पड़ा। उसने आराम करने का फैसला किया और इनमें से ज्यादातर पटरी पर ही लेट गए। तीन मजदूर लेटने के लिए कुछ दूरी पर समतल जमीन पर चले गए। कुछ देर बाद इन तीनों ने एक मालगाड़ी को आते देखा और चिल्लाए लेकिन किसी को कुछ सुनाई नहीं दिया।’
आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘मेरी जीवित बचे हुए लोगों के साथ बातचीत हुई जो कुछ दूरी पर आराम कर रहे रहे थे। उन्होंने जोर-जोर से चिल्लाकर सोते हुए अपने साथियों को जगाने की कोशिश की लेकिन यह व्यर्थ रहा और ट्रेन मजदूरों के ऊपर से निकल गई।’