अलीगढ़ । राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कल्याण सिंह फिर भाजपा की राजनीति में सक्रिय होंगे। चार सितंबर को उनका कार्यकाल समाप्त होगा। बाबूजी के पांच सितंबर को सीधे लखनऊ पहुंचकर भाजपा की सदस्य ग्रहण करने की संभावना है। लखनऊ में उनका आशियाना होगा। वहीं से अलीगढ़ को आशीर्वाद मिलेगा। अलीगढ़ से काफी संख्या में समर्थक और भाजपा कार्यकर्ता लखनऊ पहुंचेंगे। इधर, राजस्थान में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र उनकी जगह लेंगे। कल्याण सिंह ने फोन पर उन्हें बधाई भी दी है।
दो बार रहे सीएम
उप्र के दो बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह (87) वर्ष 2014 में राजस्थान के राज्यपाल बने। चार सितंबर को उन्होंने शपथ ली थी। उनके पास करीब एक साल तक हिमाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार भी रहा। अब कार्यकाल खत्म होने के बाद उनके पांच सितंबर को लखनऊ में भाजपा के किसी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना बताई जा रही है।
अतरौली से निकले और पूरी दुनिया में छा गए
कल्याण सिंह ने अतरौली से राजनीतिक सफर शुरू किया और लखनऊ में विवादित ढांचा के विध्वंस के समय पूरी दुनिया में छा गए। राजनीति के मंझे और धुरंधर खिलाड़ी कल्याण ने राजनीति के क्षेत्र में कई रिकार्ड भी तोड़े। पांच जनवरी 19&2 को अतरौली के मढ़ौली गांव में जन्मे कल्याण यहीं से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। अभी हाल में दिवंगत हुए आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक ओमप्रकाश ने उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। 1967 में अतरौली विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। 1980 तक वह विधानसभा सदस्य रहे। 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। फिर, 1997 में वह दोबारा मुख्यमंत्री बने। 1999 में उन्होंने भाजपा छोड़कर नई पार्टी (राष्ट्रीय क्रांति पार्टी) बनाई( 2004 में फिर भाजपा में वापसी की। 2009 में फिर मनमुटाव होने पर भाजपा से नाता तोड़ लिया। इसके बाद उन्होंने 201& में फिर घर वापसी की। 2014 में वह राजस्थान के राज्यपाल बनाए गए थे।
पीएम की तारीफ पर घिरे
2019 के चुनाव से पहले सांसद सतीश कुमार गौतम के खिलाफ बोलने और पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करने पर राज्यपाल के पद पर काबिज होने के चलते बाबूजी विवादों में घिर गए थे। संवैधानिक पद पर होने के चलते कई राजनीतिक दलों ने उनके बयान का विरोध भी किया था। राष्ट्रपति तक मामला पहुंचा था।
सबसे मुफीद रहेगा लखनऊ
कल्याण की आरएसएस से लेकर भाजपा के पुराने नेताओं से अ’छी पटती है। लखनऊ राजनीति का केंद्र बिंदु भी है। वहां लोगों से मिलना-जुलना आसान रहेगा। वहीं, नाती संदीप सिंह भी सूबे में मंत्री हैं, इसलिए राजनीतिक रूप से संदीप को भी बाबूजी से सीखने का मौका मिलेगा। कल्याण की वापसी से अलीगढ़ की भी राजनीति गरमाने की संभावना है।
राम मंदिर के गरमाए मुद्दे के समय वापसी
छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कट्टर ङ्क्षहदूवादी नेता के रूप में दुनिया में उनकी छवि उभरी थी। अब बाबूजी ऐसे समय में वापसी कर रहे हैं, जब देश में राम मंदिर मुद्दा गरमाया हुआ है। कोर्ट में राम जन्मभूमि को लेकर सुनवाई हो रही है और तीन महीने में इसका निर्णय आने की संभावना है।
52 साल का रिकार्ड तोड़ा
राजस्थान में पिछले 52 साल से कोई भी राज्यपाल अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। ऐसा वर्ष 1967 के बाद पहली बार हो रहा है, जब कल्याण सिंह ने कार्यकाल पूरा किया है। 52 वर्ष में 40 राज्यपाल नियुक्त किए गए। इनमें से 17 राज्यपाल दूसरे प्रदेशों के थे, उन्हें समय-समय पर राजस्थान का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया था। इनके अलावा 2& पूर्णकालिक राज्यपाल नियुक्त किए गए।