दमोह
शराब को सामाजिक बुराई का दर्जा दिया गया है. दमोह में 3 गांव के लोगों ने मिलकर इस बुराई को दूर करने का फैसला किया है. ग्रामीणों ने आपसी सहमति से गांव में पूरी तरह से शराबबंदी का फैसला लिया है. इस फैसले को कड़ाई से लागू कराने के लिए इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि शराब की वजह से कई घर-परिवार बर्बाद हो गए. गांव में आए दिन शराब पीकर मारपीट की घटनाएं सामने आती हैं. इस पर लगाम लगाने के लिए ये फैसला लिया गया है.
दमोह के 3 गांवों में शराबबंदी का निर्णय
विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा दमोह में शराबबंदी के लिए मुहिम चलाई जा रही है. जिसमें भगवती मानव कल्याण संगठन द्वारा किए जा रहे प्रयास अब रंग ला रहे हैं. संगठन के प्रयासों से 2 दिन के भीतर जिले के 3 ग्राम पंचायत आनू, हलगज और मुराड़ी में सर्वसम्मति से शराबबंदी का निर्णय लिया गया. इस मौके पर जनप्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय थाने की पुलिस भी मौजूद थी.
ग्रामीणों की सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय
पंचायत में फैसला लिया गया कि तीनों गांवों में शराब, गांजा सहित सभी प्रकार के नशे पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. जो भी व्यक्ति इस फैसले का उल्लंघन करेगा, जैसे शराब पीकर गांव में आएगा, गांव में शराब बेचेगा या किसी भी प्रकार का नशा करने या दूसरों को करने के लिए प्रेरित करेगा, उस पर 11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. ग्रामीणों ने नारा लगाकर इस बुराई को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया.
ग्रामीणों की सर्वसम्मति से लिया गया फैसला
ग्राम पंचायत मुड़ारी के सरपंच प्रतिनिधि मुकेश सिंह ने बताया "हमारे गांव में जो गांजा, शराब और अन्य नशीले पदार्थ बिक रहे हैं उन्हें बंद करना है. इससे गांव में बहुत परेशानियां हो रही हैं. शराब पीकर लोग गाली गलौज भी करते हैं. जिसके बाद सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया और प्रस्ताव पारित किया है कि गांव में पूर्ण शराबबंदी लागू की जाए."
आनू की ग्राम सभा में पहुंचे बांदकपुर चौकी प्रभारी एएसआई राजेंद्र मिश्रा में कहा कि "यह एक अच्छी पहल है. इस सामाजिक बुराई को दूर होना चाहिए. ग्रामीण और उनकी मुहिम में पुलिस का पूरा सहयोग है. पहले भी पुलिस ने सहयोग किया है अभी भी करेगी."
शराब पीकर गाली गलौज करने पर 5 हजार का जुर्माना
भगवती मानव कल्याण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश लोधी ने कहा कि "शराब ने घर परिवार में कोहराम मचा रखा है. जिस परिवार में बाप-बेटे शराब पीते हैं, वहां मारपीट होती है लड़ाई-झगड़े होते हैं. वहां का वातावरण खराब हो गया है. इससे जब लोग परेशान हो गए तो इसके लिए सभी जाति धर्म के लोगों ने निर्णय लिया कि शराब बंदी की जाए. इसके लिए शराब पीकर गाली-गलौज करने वालों पर 5000 और 11000 रुपए का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है."
मध्य प्रदेश के कई गांवों में लागू है शराबबंदी
इससे पहले भी बीते महीने दमोह की हटा तहसील के बंधा गांव में ग्रामीणों ने आपसी सहमति से शराबबंदी का निर्णय लिया था. इसके अलावा प्रदेश के अन्य जिलों के कई गांव में इसी तरह शराबबंदी का फैसला लिया गया है. बुरहानपुर के चौंड़ी और जम्बूपानी गांव में शराब बैन है. जबलपुर की तिन्हेटा तहसील के 6 गांवों में शराबबंदी लागू है. निवाड़ी के किशोरपुरा गांव में शराब बैन है. इसके अलावा भी प्रदेश में ऐसे कई गांव हैं जहां ग्रामीणों ने आपसी सहमति से गांव में शराब पीने और बेचने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.