Johar36garh (Web Desk)| सायकल में सवार ये लोग गरीब, मजबूर और अमीरों के सताए मजदूर हैं, जब ये घर से निकले थे तो हालत इस तरह हो जाएगे इसका अंदाज़ा दूर-दूर तक किसी ने नहीं लगाया होगा | ये लोग कुछ दिनों के राशन का खर्चा लेकर बहुत उम्मीदो के साथ घर से निकले थे, लेकिन किसे मालूम था की किस्मत उनके साथ ऐसा खेल खेलने जा रही है की पैसे कमाना दो दूर जो पैसे हाथ में थे वो भी अब ख़त्म होते जा रहे हैं | कारखाना खुलने का भी कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी |
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लॉक डाउन का कहर बिहार मधेपुर और आरा जिले के रहने वाले इन मजदूरों पर ऐसा पड़ा की उन्हें खाने के भी लाले पड़ गए| ये सभी लोग गिरविटी सरिया प्लांट उरला रायपुर में काम करते थे | लॉक डाउन में जब कारखाने बंद हो गए, तो मालिकों ने भी अपने रास्ते बंद कर दिए, हाथ में जो पैसे थे उससे किसी तरह वे कुछ दिन गुजरे, इन्होंने बताया की इस दौरान उनकी किसी ने मदद नहीं की, वे कारखाने में ही बने मकान में रहते थे, उन्हें लॉक डाउन के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था, बस इतना पता था की देश बंद है |
जब उन्हें आगे कुछ रास्ता नज़र नहीं आया तो सभी ने सायकल से ही घर जाने की ठान ली | उन्होंने अपने-अपने घर से बैंक खाता के माध्यम से पैसे मंगवाए और फिर उन पैसों से सायकल खरीदने की ब्यवस्था की | किसी ने पुराने सायकल खरीदी तो किसी ने नई सायकल ली और उसी के सहारे रायपुर के उरला से बिहार के आरा जिला जाने के लिए निकल पड़े | इन्होंने रायपुर से रायगढ़ जाने वाली फोर लोन के रास्ता चुना | आपको बता की रायपुर से मधेपुर की दूरी लगभग एक हजार किलो मीटर के आस-पास होगी वही आरा की 800 किलो मीटर के आस-पास है | ये लोग जांजगीर जिला के मुलमुला थाना के मुरलीडीह के पास पहुंचे थे की हमारी टीम ने उन्हें देख लिया, और उन्हें रुवाकर उनसे जानना चाहा की वे कहा जा रहे हैं |