मंदिर में पूजा कैसे की जाती है? पूजा की विधि क्या होती है? शंख कैसे बजाते हैं? पूजा कितने घंटे होती है और मंत्रों का उच्चारण कैसे करते हैं…? ये सब कुछ अब लखनऊ विश्वविद्यालय में सिखाया जाने वाला है. नई शिक्षा नीति के तहत ओरिएंटल संस्कृत विभाग ने वोकेशनल कोर्स तैयार किया है. इसे अर्चक प्रशिक्षण का नाम दिया गया है. इस कोर्स की खूबसूरती यह है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में वाणिज्य, कला, विज्ञान और विधि संकाय के फोर्थ सेमेस्टर में पहुंच चुके किसी भी जाति और किसी भी धर्म के बच्चे इस वोकेशनल कोर्स के ज़रिये पुजारी बन सकते हैं. इतना ही नहीं छात्र-छात्राएं दोनों ही इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश पा चुके स्टूडेंट्स को उनकी इच्छानुसार पुजारी बनाने का प्रशिक्षण निःशुल्क दिया जाएगा. एक सेमेस्टर में यह एक पेपर के तौर पर ही होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि यह कोर्स इसलिए शुरू किया गया है क्योंकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2020 में अपने एक भाषण में मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति पर चर्चा की थी, जिसके बाद ही नई शिक्षा नीति के तहत यह फैसला लिया गया.
स्टूडेंट कैसे कर सकते हैं अप्लाई?
अगर आप इस वोकेशनल कोर्स में दाखिला चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यूनिवर्सिटी में एनरोल छात्र होना ज़रूरी है. सबसे पहले किसी भी कोर्स के छात्र को संस्कृत विभाग से एक फॉर्म लेकर भरना होगा. इसके बाद इसे डीन स्टूडेंट वेलफेयर डिपार्टमेंट में जमा करना होगा. इस पर मुहर लगने के बाद छात्र या छात्राएं यह प्रशिक्षण ले सकेंगे.
देश भर के मंदिरों में होगा प्लेसमेंट
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय ने बताया कि भारत में तमाम मंदिर हैं और सभी में पुजारियों की ज़रूरत पड़ती है. ऐसे पुजारी जो पूरी तरह से प्रशिक्षित हों, उन्हें रखा जाएगा तो पूजा की जो विधि है, उसमें शिष्टाचार बढ़ेगा. यही वजह है कि यहां से जो भी प्रशिक्षण लेकर छात्र-छात्राएं निकलेंगे, उन्हें मंदिरों में प्लेसमेंट दिलाया जाएगा. ओरिएंटल संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. श्यामलेश तिवारी ने बताया कि धर्म शाश्वत है, इसमें किसी की भी किसी तरह की पाबंदी नहीं है. यह कोर्स छात्र-छात्राओं दोनों के लिए खुला है. (Agency)