लड़कों और लड़कियों के दिमागी विकास पर किए जा रहे शोध के अनुसार, गणित हल करने की दिमागी क्षमता से लैंगिक भेद का कोई लेना-देना नहीं है। अमेरिका में कार्नेजी मेलन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बच्चों की गणित हल करने की योग्यता में जैविक लैंगिक अंतर का मूल्यांकन करने को पहला न्यूरोइमेजिंग अध्ययन किया।
शोधकर्ता का कहना है कि दुनियाभर में बहुत कम उम्र से ही छोटी लड़कियां कई तरह की नकारात्मक रूढ़ियों का सामना करती हैं। जैसे कि वे गणित में लड़कों जितनी अच्छी नहीं हैं, वे मजबूत नहीं हैं, तेज नहीं हैं व शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं और भी बहुत कुछ।
लैंगिक असमानता उनके शुरुआती जीवन से ही जारी रहती हैं। यह असमानता वेतन, पद और काम के अवसरों में भी देखी जाती है। उन्होंने आगे बताया कि अमेरिका में पुरुषों की तुलना में अधिकतर महिलाएं कॉलेज डिग्री हासिल कर रही हैं।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित क्षेत्रों में बैचलर, मास्टर और पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाली महिलाओं का अनुपात लगभग एक तिहाई है।
बचपन से रहती है लड़कियों के साथ लैंगिक असमानता-
साइंस ऑफ लर्निंग नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के परिणामों के अनुसार, लड़कियों और लड़कों के मस्तिष्क के विकास और गणित हल करने की क्षमता में कोई अंतर नहीं है।
अमेरिका में शोध की सह लेखिका यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की एलिसा कर्सी ने कहा, इससे यह सिद्ध होता है कि हम इंसान एक-दूसरे से अलग होने के बजाय ज्यादा समान हैं।