इजरायल में हो रहे संसदीय चुनावों के नतीजों पर भारत सरकार की पैनी नजर है। क्योंकि इन चुनावी नतीजों का भारतीय हितों से सीधा संबंध है। आखिर इजरायल चुनावों का क्या है भारतीय वास्ता। क्या है नेतन्याहू और मोदी लिंक। चुनावी नतीजों से कैसे प्रभावित होगा देश का हित। आदि-अादि।
जगजाहिर है मोदी और नेतन्याहू की दोस्ती
कभी-कभी दो देशों के मुखिया की दोस्ती देश हित और द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में काम आती है। यही बात भारत और इजरायल के संबंध में भी लागू होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू की दोस्ती जगजाहिर है। इसलिए माना जा रहा है कि अगर इजरायल में बेंजामिन की सत्ता में वापसी होती है तो मोदी सरकार के लिए यह शुभ होगा। इसलिए भारत सरकार की यह कामना होगी कि नेतन्याहू की वापसी हो। अगर इजरायल में नेतन्याहू की सरकार बनती है तो दोनों देशों के बीच रिश्तों को नए सिरे से बनाने की जरूरत नहीं होगी।
मोदी और नेतन्याहू के साथ की तस्वीर वायरल हुई
इजरायल में चुनाव प्रचार के दौरान नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी तस्वीरें खूब वायरल हुई थी। इजरायल की एक इमारत पर बड़ा बैनर भी लगाया गया था, जो दोनों नेताओं के गर्मजोशी को दिखा रहे थे। मोदी के साथ फोटो लगाकर वह जनता को एक संदेश देना चाहते थे। दोनों देशों के संबंध बहुत अच्छे हैं। दोनों देशों के हालिया वर्षों में आर्थिक, सैन्य, सामरिक संबंध बहुत ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी, उस वक्त बेंजामिन ने उन्हें फोन करके बधाई दी थी।
22वें संसदीय चुनाव के लिए हुआ मतदान
बता दें कि इजरायल में मंगलवार को 22वें संसदीय चुनाव के लिए वोट डाले गए। अप्रैल में हुए चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के कारण पांच महीने के भीतर देश में दोबारा चुनाव कराना पड़ा। इस चुनाव को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सत्ता में टिके रहने के जनमत संग्रह के तौर पर भी देखा जा रहा है। 69 वर्षीय नेतन्याहू पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। फेसबुक ने मंगलवार को प्रधानमंत्री के फेसबुक चैटबोट को निलंबित कर दिया। सोशल मीडिया जाइंट ने एक सप्ताह से भी कम समय में दूसरी बार यह कदम उठाया है।
120 सीटों के लिए देश की 63 लाख आबादी ने हिस्सा
इजरायली संसद नेसेट की 120 सीटों के लिए हुए मतदान में देश की 63 लाख आबादी ने हिस्सा लिया। इजरायली सेना के जवानों ने शनिवार शाम ही देशभर के सैन्य ठिकानों में अपना वोट डाल दिया था। विभिन्न देशों में मौजूद इजरायल के राजनयिकों ने भी पहले ही मतदान कर दिया था। मंगलवार सुबह सात बजे मतदान केंद्र खुल गए। मतदाताओं ने रात 10 बजे तक मतदान किया। दोपहर तक 26.8 फीसद मतदान रिकार्ड किया गया। नौ अप्रैल को हुए मतदान में इस अवधि के दौरान इससे दो फीसद कम वोट पड़े थे।
पूर्व सेना प्रमुख से नेतन्याहू को मिल रही चुनौती
दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के प्रमुख और सबसे लंबे समय तक देश के प्रधानमंत्री रहने वाले नेतन्याहू को पूर्व सेना प्रमुख बेनी गेंट्ज से कड़ी चुनौती मिल रही है। ब्ल्यू एंड ह्वाइट पार्टी के गेंट्ज ने अपना वोट डालने के बाद जनता से भ्रष्टाचारी और कट्टरपंथी सरकार को हटाने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘हमें नई उम्मीद चाहिए। हम बदलाव के लिए मतदान कर रहे हैं।’ नेतन्याहू ने भी पत्नी सारा के साथ यरुशलम में मतदान किया।
सरकार गठन के लिए सबकुछ करेंगे राष्ट्रपति
इजरायल के राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन ने वीडियो संदेश में कहा कि देश में जल्द से जल्द जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का गठन करने और फिर चुनाव से बचने के लिए वह सभी प्रयत्न करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि संसद सरकार बनाने में विफल रहती है या प्रस्तावित सरकार खारिज हो जाती है तो वह ऐसे व्यक्ति को सरकार का जिम्मा सौंपेंगे जिसके पास 61 सांसदों का समर्थन हो।