Tuesday, December 3, 2024
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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बनाई आजम खां से दूरी तो फ्रंट पर आ गए नेताजी

लखनऊ । समाजवादी पार्टी के रामपुर से सांसद आजम खां को रामपुर जिला प्रशासन ने जमीन पर कब्जा करने के मामले में भू-माफिया घोषित किया है। इसके साथ ही आजम खां के खिलाफ करीब छह दर्जन मुकदमे दर्ज होने के बाद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को आजम खां के पक्ष में फ्रंट पर आना पड़ा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भले ही आजम खां से इस मामले में दूरी बनाई, लेकिन पुराने नेता के पक्ष में पार्टी के संस्थापक खड़े हो गए।

ताबड़तोड़ दर्ज हो रहे मुकदमों के बाद सांसद मोहम्मद आजम खां के बचाव में मंगलवार को मुलायम सिंह यादव भले ही खुलकर सामने आए लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का दूरी बनाए रखना चर्चा में है। केवल अखिलेश ही नहीं, समाजवादी पार्टी का कोई शीर्ष नेता मंगलवार को पत्रकार वार्ता में मुलायम सिंह यादव के साथ नहीं दिखा। प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी और विधानपरिषद में दल नेता अहमद हसन भी आज उनके साथ मौजूद नहीं थे।

मुलायम की पत्रकार वार्ता करीब 40 मिनट देर से शुरू हो सकी। उनके सभागार में आने से पहले ही मंच से फालतू कुर्सियों को हटा दिया गया था। केवल मुलायम सिंह की कुर्सी मंच पर लगी थी। समाजवादी पार्टी के अन्य नेताओं की गैरहाजिरी पर टिप्पणी करने से पार्टी वरिष्ठ पदाधिकारी कतराते रहे। आजम खां के मामले को लेकर पार्टी में एक राय न होना चर्चा में है।

सूत्रों का कहना है कि मुसीबत के समय पार्टी का समर्थन न मिलने की शिकायत को लेकर आजम की पत्नी तजीन फातिमा रविवार को मुलायम सिंह यादव से मिली थीं और उनसे अपने परिवार को बचाने की गुहार लगाई थी। इसी के बाद मुलायम उनके समर्थन में खुलकर सामने आए। दबी जुबान से लोग कह रहे हैं कि आजम खां के परिवार को अब पार्टी से उनके मामले में समर्थन की उम नहीं है।

1989 में पहली बार सीएम बनने पर मुलायम सिंह ने आजम को कैबिनेट मंत्री बनाया था। वहीं, जब 4 अक्टूबर 1992 को जब एसपी का गठन हुआ तो मुलायम की अगुआई में आजम इसके संस्थापक सदस्य बने। यही नहीं पार्टी का संविधान लिखने में भी उनकी अहम भूमिका रही।

2009 के लोकसभा चुनाव के बाद टूटा रिश्ता

समाजवादी पार्टी के 27 साल के इतिहास में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ जब आजम खां और मुलायम के बीच तनातनी देखने को मिली और इसकी परिणति आजम खां के पार्टी छोड़ने के साथ हुई।

यूपी में मुस्लिम वोटरों पर अच्छी पकड़ रखने वाले आजम खान के लिए 2009 का लोकसभा चुनाव एक बुरे सपने की तरह था। विश्लेषकों के मुताबिक इस चुनाव से ठीक पहले अमर सिंह के कहने पर मुलायम ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम कल्याण सिंह को अपनी पार्टी में ले लिया। इस चुनाव में आजम ने खुलकर जया प्रदा का विरोध किया, इसके बावजूद वह रामपुर से चुनाव जीतने में कामयाब रहीं।

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