मुर्शिदाबाद ज़िले से 12 किलोमीटर की दूरी पर बसे ज़ियागंज में एक परिवार के तीन लोगों की हत्या को लेकर इंटरनेट पर काफ़ी चर्चा है. एक तो जिस तरह घर में घुसकर तीन लोगों की हत्या की गई है उस वजह से भी, लेकिन चर्चा का ज़्यादा बड़ा कारण यह है कि मृतक शिक्षक को आरएसएस से जुड़ा बताया जा रहा है.
इस चर्चित हत्याकांड से जुड़े कई सवाल हैं जिनका अब तक जवाब नहीं मिला है.
पश्चिम बंगाल पुलिस और सीआईडी इन रहस्यों को भेदने की कोशिशें कर रही है, लेकिन घटना के हफ़्ते भर बाद भी इस मामले में किसी की गिरफ़्तारी नहीं की जा सकी है.
कुछ लोग हिरासत में लिए गए हैं, जिनमें मृतक बंधु प्रकाश पाल के पिताजी अमर पाल भी शामिल हैं. हिरासत में लिए गए लोगों में से कोई भी ग़ैर-हिंदू नहीं है. पुलिस का कहना है कि “हिरासत में लिए गए कुछ लोगों को पूछताछ के बाद छोड़ा भी जा सकता है.”
आरएसएस से संबंध नहीं
मृतक की मां का दावा है कि बंधु प्रकाश पाल का संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या भारतीय जनता पार्टी से नहीं था.
ऐसे में यह रहस्य और गहरा गया है कि बंधु प्रकाश पाल, उनकी गर्भवती पत्नी ब्यूटी पाल और सात साल के बेटे आर्य पाल की नृशंस हत्या किसने और किन कारणों से की.
पुलिस को शक है कि इस तिहरे हत्याकांड का कारण व्यक्तिगत है, न कि राजनीतिक.
पश्चिम बंगाल पुलिस के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ज्ञानवंत सिंह ने बीबीसी को बताया कि “अब तक की जाँच में यह स्पष्ट हुआ है कि इस तिहरे हत्याकांड का कारण राजनीतिक या धार्मिक नहीं है, जैसा कि सोशल मीडिया पर प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है”.
मृतक बंधु प्रकाश पाल पेशे से शिक्षक थे. वे इंश्योरेंस और चेन मार्केटिंग का काम भी करते थे. पुलिस को लगता है कि उनकी हत्या का कारण फाइनेंशियल या नितांत पारिवारिक हो. पुलिस अभी इन सभी बिंदुओं की जाँच कर रही है.
सीआईडी कर रही सहयोग
सीआइडी की एक टीम ने रविवार को सागरदिघी पुलिस थाने के शाहपुर-बारला गांव में मृतक की मां माया पाल से बातचीत की.
उस टीम में शामिल लोग वहां से 19 किलोमीटर दूर ज़ियागंज थाने के लेबुबगान स्थित उस घर में भी गए, जहां बंधु प्रकाश पाल अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहते थे.
उन्होंने डेढ़ साल पहले ही वहां अपना घर बनवाया था. तबसे वे अपनी मां के गांव शाहपुर-बरला से यहां आकर रहने लगे थे. हालांकि, वे रोज़ ट्रेन से अपने गांव बारला जाते थे, ताकि वहां के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा सकें.
वह स्कूल उनकी मां के घर से चंद क़दमों की दूरी पर स्थित है. वहां अध्यापन के बाद वे हर शाम वापस ज़ियागंज चले जाते, ताकि पत्नी और इकलौते बेटे के साथ रह सकें.
इस बीच मुर्शिदाबाद के एसपी मुकेश कुमार ने दावा किया है कि पुलिस को कई तथ्य मिले हैं. वो कहते हैं कि इनकी जाँच की जा रही है और बहुत जल्दी इस केस को सुलझा लिया जाएगा.
मुकेश कुमार ने कहा, “हमें मृतक के संबंध बीजेपी या आरएसएस से होने के अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं. ऐसा लग रहा है कि यह बात ग़लत तरीक़े से प्रचारित की जा रही है”.
क्या है सच और क्या है झूठ?
भारतीय जनता पार्टी के ज़ियागंज मंडल अध्यक्ष प्रताप हालदार लेबुबगान इलाक़े में बंधु प्रकाश पाल के पड़ोसी हैं.
उन्होंने बीबीसी से कहा कि “बंधु प्रकाश भाजपा के कार्यकर्ता नहीं थे लेकिन लोग कह रहे हैं कि वे आरएसएस से जुड़े थे”.
क्या इसका कोई प्रमाण है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि “आरएसएस की शाखाओं का कोई रजिस्टर नहीं होता, लिहाज़ा यह सबूत दे पाना असंभव है कि वे संघ की शाखाओं में जाते थे या नहीं. वैसे यह बात संघ के लोग ज्यादा बेहतर बता पाएंगे.”
पक्के तौर पर कहना मुश्किल
आरएसएस के मुर्शिदाबाद ज़िले के प्रमुख समर राय ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया कि बंधु प्रकाश पाल संघ के स्वयंसेवक थे और ज़ियागंज वाले उनके घर पर संघ की कुछ बैठकें भी हुई थीं लेकिन उनकी बंधु प्रकाश से कोई मुलाक़ात नहीं है.
समर राय ने बीबीसी से कहा, “उन्होंने मेरे साथ संघ की किसी भी बैठक या शाखा में हिस्सा नहीं लिया था. लेकिन मुझे संघ के ही कुछ स्वयंसेवकों ने बताया था कि बंधु प्रकाश पाल हमारी शाखाओं में आते रहते हैं. इस आधार पर हमलोग उनके स्वयंसेवक होने की बात कह रहे हैं लेकिन हमारे पास इसकी कोई तस्वीर या डाक्यूमेंटेशन नहीं है.”
मृतक बंधु प्रकाश पाल अपनी मां माया पाल के इकलौते पुत्र थे. वे अब 70 साल की हो चुकी हैं.
माया पाल अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं. शादी के कुछ सालों बाद ही उन्होंने अपने पति के साथ रहना छोड़ दिया था. उसके बाद वे अपने मायके के गांव शाहपुर-बरला आ गयीं और अपने भाई के घर में रहने लगीं.
यहीं रहते हुए उन्होंने अपने बेटे बंधु प्रकाश, उनकी जुड़वां बहन बंधु प्रिया और अपनी बड़ी बेटी बंधु प्रीति का लालन-पालन किया. अब इन दोनों की शादी हो चुकी है.
उनकी छोटी बेटी बंधु प्रिया का घर भी ज़ियागंज के उसी मोहल्ले में है, जहां बंधु प्रकाश ने नया घर बनवा कर रहना शुरू किया था.
हालांकि, बाद के सालों में उन्होंने अपने भाई के घर से कुछ दूर एक घर ख़रीद लिया था. तबसे वे अपने बेटे, बहू और पोते के साथ उसी घर में रहती थीं.
डेढ़ साल पहले जब बंधु प्रकाश गांव छोड़कर ज़ियागंज चले गए, तब से वे यहां अकेली रहती हैं.
‘मेरा बेटा किसी पार्टी में नहीं था’
माया पाल ने बीबीसी से कहा कि “बंधु प्रकाश का बीजेपी, आरएसएस या किसी भी पार्टी से कोई संबंध नहीं था. उससे जो भी चंदा मांगने आता था, वे दे देते थे. लेकिन वो सिर्फ़ अपना काम करता था. राजनीति से कोई दूर-दूर का संबंध नहीं था. मुझे नहीं पता कि लोग झूठ क्यों बोल रहे हैं और टीवी-अख़बार में फ़र्ज़ी न्यूज क्यों छप रहा है.”
माया पाल ने यह भी कहा, “पुलिस अगर चाहती, तो उसी दिन हत्यारा पकड़ा जा सकता था लेकिन अब छह दिन बाद भी कोई नहीं पकड़ा गया है. ऐसे में पुलिस पर कैसे विश्वास करें.”
प्रकाश के पिता की हैं दो शादियां
पहली पत्नी माया पाल से तीन बच्चे होने के बाद बंधु प्रकाश पाल के पिता अमर पाल रामपुर हाट स्थित अपने घर में अकेले रहने लगे थे.
बाद के सालों में उन्होंने दूसरी शादी कर ली. उस पत्नी से भी उन्हें दो बेटियां हुईं. ग्रामीणों ने बताया कि बंधु प्रकाश पाल का इस कारण अपने पिताजी से भी विवाद था. यही वजह है कि पुलिस ने मृतक से पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ की है.
राजनीति करने का आरोप
तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी के मुर्शिदाबाद ज़िलाध्यक्ष अबू ताहेर ख़ान ने बीबीसी से कहा कि “भाजपा गंदी राजनीति कर रही है. हमें नहीं पता कि वे झूठी ख़बरें फैलाकर क्या साबित करना चाहते हैं. अब जब परिवार के लोगों ने ही कह दिया कि उस शिक्षक का संबंध आरएसएस से नहीं था, तब हम लोग क्या टिप्पणी करें.”
“इसकी निष्पक्ष जाँच की जा रही है और समय रहते इसका ख़ुलासा भी हो जाएगा कि इस हत्याकांड में कौन लोग शामिल हैं.”
हत्याकांड का असली मक़सद क्या था, यह क़ातिलों के पकड़े जाने पर ही पता चल सकेगा कि मामले में कोई राजनीतिक एंगल था या नहीं, अभी तो केवल तरह-तरह के दावे ही हैं.(publish bbc)