Johar36garh(एजेंसी )| पाकिस्तान की जेल में पंद्रह साल काटने के बाद मीरां साहिब वतन लौट | परंतु वह मायूस है कि वह पिता के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल हो सका। उसके पिता का निधन 27 नवंबर को हुआ था। मीरां साहिब निवासी रामचंद का पुत्र तिलक राज वर्ष 2004 में विजयपुर क्षेत्र के पांसर पोस्ट से अपने एक और साथी बुद्धि गांव निवासी राम राज के साथ अनजाने में पाकिस्तान सीमा में चला गया था।
तिलक राज ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि सीमापार जाने के बाद वह पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर के एक होटल में रुका था। अचानक पाकिस्तानी पुलिस ने होटल में जांच पड़ताल शुरू कर दी।
पाकिस्तानी पहचान पत्र नहीं होने पर पुलिस ने उसे पकड़ा लिया। पाकिस्तान सरकार ने उसे जासूसी के आरोप में वर्षों तक अंधेरी कोठरियों में रखा। कड़ी पूछताछ की जाती रही। पाकिस्तानी एजेंसियों आईएसआई व एफआईयू ने उसे कड़ी प्रताणनाएं दीं।
उसने एजेंसियों को बताया कि वह गलती से पाकिस्तान क्षेत्र में पहुंच गया था और होटल में रुका था। लौटने के कुछ उपाय नहीं सूझ रहा था, परंतु किसी ने विश्वास नहीं किया।
पाकिस्तानी सेना ने अवैध रूप से कैद रखने के चार वर्ष बाद लाहौर की लखपत जेल ले जाया गया और पाकिस्तान कोर्ट में मामला चलता रहा। 15 नवंबर को उसकी सजा पूरी होने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। भारतीय उच्चायोग की मदद से वह 25 नवंबर को वाघा बार्डर पर पहुंचा औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 28 को अपने गांव पहुंचा।सरबजीत व कृपाल के साथ जेल में रहाउसने बताया इस जेल में पाक द्वारा हिरासत में लिए गए सर्वजीत सिंह और कृपाल सिंह के साथ रहा। सर्वजीत को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद उसे जेल में किसी गुप्त स्थान में रखा गया। बाद में एक दिन पता चला कि जेल में बंद दूसरे कैदियों ने सर्वजीत सिंह की बेरहमी से पीट कर हत्या कर दी है। लगभग एक वर्ष बाद कृपाल सिंह की जेल में ही हार्टअटैक से मौत का पता चला। भारतीय कैदियों को नहीं मिलता ठीक से खाना भीतिलक राज ने बताया पाकिस्तान में बंद भारतीय कैदियों को बेहतर खाना तक नहीं मिलता है और न ही अन्य सुविधाएं। पाकिस्तान कोर्ट द्वारा 14 वर्ष की सजा सुनाई गई। इसी जेल से दस वर्ष पूर्व रिहा हुए आरएस पुरा के सीमावर्ती गांव के नसीब चंद ने मेरे परिवार को मेरे पाकिस्तान की जेल में बंद होने की जानकारी दी थी। बाद में बड़े भाई यशपाल ने भारत सरकार को इस बारे में बताया था।
अब सजा पूरी होने पर केंद्र सरकार की पहल पर पाकिस्तान की जेल में तिलकराज को भारतीय पासपोर्ट मुहैया करवाया गया। उसका पासपोर्ट भी 21 दिसंबर तक ही वैध है। पासपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान पुलिस ने वाघा बॉर्डर पर तिलकराज को भारतीय पुलिस के हवाले किया गया।पिता के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच पाने का मलालतिलक राज ने बताया कि 25 नवंबर को उसने देश की सरजमीं पर फिर से कदम रखा। आंसू छलक पड़े। अमृतसर पहुंचने पर कागजी कार्रवाई के सिलसिले में दो दिन तक पुलिस ने उसे वहीं रोक रखा। 27 को पता चला कि उसके पिता का देहांत हो गया। उसने अफसोस जताया कि काश पिता की मौत एक दिन बाद हुई होती तो वह अंतिम संस्कार में शामिल हो पाता।
पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद उसका बड़ा भाई यशपाल उसे अमृतसर से घर लाया। छह दिसंबर शुक्रवार को पिता का दसवां है। उसकी मां की भी कई वर्ष पहले ही मौत हो चुकी है। पाकिस्तान जाने से पहले शादी की थी, पर वहां पकड़े जाने पर पत्नी भी घर छोड़कर चली गई। घर पर चचेरे भाई का कब्जाउसके पाकिस्तान में पकड़े जाने के बाद पिता रामचंद द्वारा कानूनी तौर पर बेदखल कर देने पर अब तिलकराज के पास रहने के लिए घर तक नहीं रहा। उसके घर पर अब चचरे भाई का कब्जा है। मीरां साहिब लौटने पर उसे अपने सगे-संबंधियों के यहां रहना पड़ रहा है।