बसपा के पामगढ़ विधानसभा प्रभारी महेश निष्कासित, महेश ने कहा पार्टी को 30 साल देने की मिली सज़ा

बसपा के पामगढ़ विधानसभा प्रभारी

जांजगीर जिला के बहुजन समाज पार्टी के पामगढ़ विधानसभा प्रभारी को गलत गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। उधर दूसरी ओर निष्कासन के बाद महेश ने पार्टी पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा की उन्हें 30 साल तक पार्टी में जी जान से काम करने की सज़ा मिली है|

बसपा के पामगढ़ विधानसभा प्रभारी लक्ष्मी प्रसाद महेश को 16 फरवरी को पार्टी से निष्कासित करने का फरमान जारी हुआ है। यह आदेश जांजगीर जिला के जिला अध्यक्ष कमला प्रसाद खूंटे ने दिया है। उन्होंने जारी आदेश में बताया है कि लक्ष्मी महेश ने पार्टी में अनुशासनहीनता की है जिसके लिए उन्हें पार्टी से निष्कासित किया जाता है साथ ही उन्होंने कहा है कि बसपा के पता अधिकारी एवं कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में साथ ना दे।

 

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दरअसल बसपा के पामगढ़ विधानसभा प्रभारी लक्ष्मी प्रसाद महेश जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 से चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि पार्टी ने उसे निर्वाचन क्षेत्र से अपना अधिकृत प्रत्याशी फनीराम दिनकर को बनाया हुआ है। जिसके बाद महेश अपने चुनाव प्रचार में जोरों से लगे हुए हैं| विधानसभा प्रभारी के पद पर रहने के कारण क्षेत्र में भी काफी जान-पहचान है| इसका फायदा कही चुनाव में ना मिल जाए और पार्टी को नुकसान ना हो जाए| इस वजह से उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया है|

 

इस संबंध में विधानसभा प्रभारी रहे लक्ष्मी महेश ने johar36garh News से बातचीत में बताया कि यह सजा उन्हें 30 सालों तक लगातार पार्टीहित में काम करने के लिए मिली है। उन्होंने बताया कि वह सन 1993 से पार्टी से जुड़े हुए है|सन 2010 से टिकट की मांग कर रहे थे| हर बार उन्हें किसी न किसी बहाने से टाल दिया जाता रहा है। पार्टी हित को ध्यान में रखते हुए हमेशा संतोष करके चलना पड़ था। लेकिन इस बार उन्होंने जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 से अपना नामांकन दाखिल किया है। उनकी सोच यह थी कि शायद इस बार पार्टी मान जाएगी और उन्हें अधिकृत घोषित किया जाएगा। किंतु अंत तक ऐसा नहीं हुआ और उन्हें पार्टी से ही निष्कासित कर दिया।

 

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लक्ष्मी महेश ने पार्टी के पदाधिकारी पर भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र से उस व्यक्ति को टिकट दिया गया है जिसने पार्टी के खिलाफ ही दो-दो बार से जिला पंचायत चुनाव लड़ा। पहली बार उन्होंने वर्तमान जिला अध्यक्ष कमला प्रसाद खूंटे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। दूसरी बार सन 2010 में रोहित डहरिया के खिलाफ चुनाव लड़ा था जिसकी वजह से बसपा को इस क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद पार्टी आज तक फनी राम दिनकर के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई।

 

जबकि हम हमेशा पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए काम किया है| विधानसभा प्रभारी होने के बाद भी उन्हें पार्टी में इतना महत्व नही मिला की वह पार्टी से जिला पंचायत चुनाव लड़ सके | बैठकों में बार-बार निवेदन करने के बाद भी पार्टी ने उनकी एक नही सुनी और ऐसे शख्स को अधिकृत किया जिन्होंने दो-दो बार पार्टी के विरुद्ध जाकर चुनाव लड़ा |

 

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