VIDEO : पामगढ़ में 45 एकड़ भूमि को ग्राम पंचायत ने कराया मुक्त

Johar36garh (Web Desk)|जांजगीर जिला पामगढ़ के ग्राम पंचायत खपरी में आज पंचायत द्वारा 45 एकड़ शासकीय भूमि पर हुए कब्जे को अभियान चला कर मुक्त कराया| इससे पूर्व शासन ने कब्ज़ाधारियों को नोटिस जारी कर जमीन को मुक्त कराया था, इसके बावजूद उन्होंने जमीन पर दोबारा फसल लगाने का कार्य शुरू कर दिया था | जिसके बाद ग्राम पंचायत ने यह कार्यवाही की | इस जमीन को ग्राम पंचायत द्वारा गोठान के लिए प्रस्तावित की जा चूकि है |

दरअसल पामगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत खपरी में गौठान के लिए प्रस्तावित सहित 45 एकड़ जमीन पर गांव के कुछ लोग द्वारा काबिज किया गया था |  जिसे आज गांव के सरपंच सुनिधि अजित चौहान के नेतृत्व में ग्राम के महिला एवं पुरुष बड़ी संख्या में पहुंच कर कब्ज़ा हटाने का कार्य किया | इसके पूर्व ग्राम पंचायत द्वारा पामगढ़ एसडीएम, तहसीलदार, सीईओ और थाना में शिकायत की गई थी | जिस पर 1 माह पूर्व प्रशासन ने कब्ज़ाधारियों को मौके पर पहुंचकर नोटिस जारी किया था, साथ ही जमीन को खाली करवाया था|  इस जमीन पर 4-5 परिवार का कब्ज़ा था| जिसमें 2 परिवारों ने पुनः कब्ज़ा शुरू कर दिया | उक्त जमीन पर कब्जाधारीयो दोनो परिवारों  के द्वारा अपने ठहराव के लिए छप्पर बनाया हुआ था जिसे ग्राम पंचायत ने नोटिस देकर खाली करने का बोला गया था जिसे जमीन मालिक ने नही खाली करेंगे बोलकर नोटिस को वापस कोटवार को लौटा दिया गया। इसकी सूचना ग्राम पंचायत ने शासन प्रशासन को दी थी, लेकिन जब शासन प्रशासन की टीम नही पहुँची तो ग्राम पंचायत के लोगो के द्वारा बड़ी संख्या में पहुंचकर जमीन को खाली कराया |

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जिसकी लाठी उसकी भैंस 

पामगढ़ के ग्राम पंचायतों का चुनाव अब लोकतंत्र की आधारशिला पर नहीं लड़ा जाता, आज हर एक वोट का मोल होता है | प्रत्यासी जितने के लिए लाखों खर्च करता है | उस दौरान मतदाता भी खूब मौज करते हैं |  जितने के बाद वह प्रत्यासी शासकीय जमीनों की हेराफेरी शुरू कर देता है |  इसलिए पामगढ़ के ग्राम पंचायतों में अधिकांश जमीन जनप्रतिनिधियों और उनके चहेते व रिश्तेदारों के कब्जे में है |  खपरी मामले में भी कुछ ऐसा ही है | आपको बता दे की आज जहां कब्ज़ा खाली कराए हैं उसमें से एक परिवार पूर्व में इस गांव का सरपंच था | शायद उसी दौरान उन्होंने जमीन पर कब्ज़ा किया होगा | गौर करने वाली बात है की उस समय भी चारागाह के लिए जमीन प्रस्तावित की गई थी, लेकिन आज उस जमीन के चारों ओर कब्ज़ा हो रहा है |  कुछ पक्के मकान बन चुके है और कुछ में निर्माण कार्य अधूरे है|

प्रशासन की मिलीभगत कहे या निरंकुसता

पामगढ़ जनपद क्षेत्र में ऐसा कोई गांव नहीं जहाँ की शासकीय भूमि पर कब्ज़ा नहीं हुआ हो| सभी गावों में राजस्व की ओर से पटवारी नियुक्त है, जिन्हें गांव के जमीन की पूरी जानकारी नक्शे के साथ रहती है| इसके बावजूद शासन की जमीनों पर कब्ज़ा किया जाता है, जिसको देखने के बाद भी पटवारी खामोश रहते है | कब्ज़ा करने के प्रारंभिक स्तर में ही इसे रोक दी जाती तो खाली कराने में परेशानी नहीं जाती | वे लोगों के ही शिकायत का इंतज़ार करते हैं| अगर कोई आम आदमी शिकायत करता है तो उसे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लिहाज़ा वह खामोश बैठना ही सही समझाता है | सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पामगढ़ में बहुत गांव ऐसे हैं भी जहां कई एकड़ जमीन को कब्ज़ा किए हुए हैं, और शासकीय कागजात हासिल कर लिए है |  इसे क्या कहेंगे मिलीभगत या निरंकुसता

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