नई दिल्ली स्टेशन में पिकअप-ड्रॉप पर होगी जेब ढीली, लगेगा नया शुल्क, यह शुल्क आम लोगों की जेब पड़ेगा भारी

नई दिल्ली 
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पिक-अप एवं ड्रॉप-ऑफ (उतारने या बिठाने) के लिए आने वाले वाहनों पर नया शुल्क लगने लगा है। यह बढ़ा हुआ शुल्क आम लोगों की जेब पर बहुत भारी पड़ने वाला है। उत्तर रेलवे के आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि स्टेशन के अजमेरी गेट तरफ लागू होने वाली इस प्रणाली का उद्देश्य स्टेशन पर लगने वाले जाम की समस्या को कम करना, भीड़भाड़ को नियंत्रित करना और यात्रियों को पिकअप और ड्रॉप-ऑफ प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करना है।

जानकारी के अनुसार किसी भी निजी गाड़ी या कैब के स्टेशन परिसर में प्रवेश के लिए रेलवे स्टेशन पर तीन लेन बनाई गई हैं, जिनमें यात्रियों को केवल उतारने या बिठाने की सुविधा रहेगी। यात्रियों को छोड़ने या बिठाने के लिए आने वाले सभी वाहनों को पहले आठ मिनट के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा,लेकिन आठ मिनट से अधिक देरी होती है तो वह देरी जेब पर भारी पड़ने वाली है।

बताया गया है कि यदि आठ मिनट से 15 मिनट के बीच निकलने पर 50 रुपये,15 मिनट से 30 मिनट के बीच दो सौ रुपए और 30 मिनट से अधिक रुकने पर 500 रुपए का शुल्क लिया जाएगा। एक प्रश्न के उत्तर में बताया गया है कि यात्रियों को लेने के लिए आने वाले वाहनों को सामान्य या वीआईपी पार्किंग में ही खड़ा करना होगा तथा पार्किंग की समय सीमा अनुसार निर्धारित शुल्क देकर जाना होगा।

सूत्रों ने बताया कि पहले व्यावसायिक वाहनों से पिकअप और ड्रॉप पर बिना किसी समय सीमा के शुल्क लिया जाता था। अब,सभी वाहनों के लिए पहले आठ मिनट तक की छूट है। यदि व्यावसायिक वाहन आठ मिनट के भीतर यात्री को उतारकर बाहर चले जाते हैं तो उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा।

यह पूछे जाने पर कि अगर कोई भारी सामान के साथ या बुजुर्ग यात्री को लेकर आता है और आठ मिनट में नहीं निकल पाता तो क्या होगा, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ऐसे मामलों में,जहां आठ मिनट से अधिक समय लग सकता है,यात्रियों को स्लैब के मुताबिक अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। सामान्य या वीआईपी पार्किंग का विकल्प भी उपलब्ध है जिसके लिए निर्धारित पार्किंग शुल्क देना होगा।

रेलवे की यह शुल्क प्रणाली को लेकर आम लोगों में सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं है। लोगों का मानना है कि आरंभिक सीमा आठ मिनट बहुत ही कम है। अन्य स्टेशनों पर लागू इसी प्रकार की प्रणाली में अक्सर टोल गेट पर वाहनों की भीड़ के कारण निकलने में देरी हो जाती है और खामख्वाह पैसा भरना पड़ता है। लोगों का कहना है कि आठ मिनट की सीमा को 15 मिनट और 15 मिनट की सीमा को 30 मिनट करना चाहिए। इसी प्रकार 30 मिनट की सीमा को कम से कम 45 मिनट करना चाहिए।

 

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