नई दिल्ली। देश के पशुधन व डेयरी क्षेत्र को मवेशियों में होने खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) जैसे संक्रामक रोक से सालाना 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। इस घातक बीमारी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने पोलियो की तर्ज पर एफएमडी उन्मूलन कार्यक्रम शुरु करने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम की देशव्यापी लांचिंग 11 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मथुरा से करेंगे।
यह जानकारी केंद्रीय पशुधन, डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह ने पत्रकारों से एक अनौपचारिक मुलाकात में दी। उन्होंने कहा कि इसके चलते पशुधन को भारी नुकसान होता है। दुधारु पशुओं की दूध देने और प्रजनन की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है। पशु उत्पादों का निर्यात भी प्रभावित होने लगा है।
दुनिया के विभिन्न देशों में यहां से होने वाले भैंस के मांस का निर्यात प्रभावित हो रहा है। आयातक देशों की आपत्तियों और घरेलू पशु पालकों की मुश्किलों को दूर करने के लिए सरकार ने आम बजट में ही एकमुश्त 13500 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान कर दिया है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 500 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
एफएमडी उन्मूलन कार्यक्रम
एफएमडी उन्मूलन कार्यक्रम में सभी गाय, भैंस के साथ भेड़, बकरी और सूअर को भी शामिल किया जाएगा, ताकि इसके वायरस बच न पायें। केंद्र व राज्यों के सहयोग से चलने वाले इस कार्यक्रम में अब सिर्फ केंद्र की पूरी हिस्सेदारी रहेगी। टीकाकरण का यह कार्यक्रम साल में बरसात से पहले और बाद में दो बार किया जाएगा। एफएमडी उन्मूलन कार्यक्रम जोनवार किया जाएगा।
टेक्नोलॉजी व निवेश बढ़ाने को सरकार उठायेगी कदम
‘पशुधन विकास क्षेत्र में टेक्नोलॉजी और निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठायेगी, ताकि अब तक उपेक्षित रहे इस क्षेत्र की विकास दर नई ऊंचाइयों को छू सके।’ केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जोर देकर कहा कि इसके बगैर किसानों की आमदनी को दोगुना करना फिलहाल संभव नहीं है।
आवारा व छुट्टा घूमने वाले पशुओं पर होगी ठोस पहल
उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीने के भीतर सरकार आवारा व छुट्टा घूमने वाले पशुओं के प्रबंधन की दिशा में कुछ ठोस पहल करेगी। यह सब टेक्नोलॉजी के बल पर संभव है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि देश के आजाद होने के बाद से यह सेक्टर उपेक्षित ही रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के अलग मंत्रालय बनाने से इस सेक्टर के विकास की संभावनाएं बढ़ गई हैं। पशुधन मंत्री सिंह ने जोर देकर कहा कि इस सेक्टर में रोजगार सृजन की संभावनाएं बढ़ गई हैं। पशुधन व डेयरी सेक्टर में उत्पादकता बढ़ाने के लिए आईवीएफ (इन वाइट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी टेक्नोलॉजी काफी मुफीद साबित हो सकती है। इसके अलावा देसी व पुरानी गायों का उपयोग सरोगेट मदर के रूप में किया जा सकता है।
गर्भाधान के आधुनिक तरीके से बढ़ेगा दूध उत्पादन
गर्भाधान के आधुनिक तरीके से अत्यधिक दूध उत्पादन करने वाली दुधारु गाय और भैंस की प्रजाति तैयार की जा सकती हैं। इसी दौरान एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पशुधन राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने बताया ‘देसी प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए उनकी टैगिंग की जा रही है। अब तक 2.80 करोड़ पशुओं की टैगिंग की जाती है।’ डाक्टर संजीव ने कहा कि इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका अहम हो सकती है।