स्कूल विलय के खिलाफ दायर जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच से भी खारिज

लखनऊ 
 इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बेसिक शिक्षा अधिकारी के तहत आने वाले स्कूलों के विलय को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने गुरवार को ज्योति राजपूत की याचिका पर यह फैसला दिया है। याचिका पर राज्य सरकार ने भी आपत्ति जताकर अपना पक्ष रखा।

न्यायालय ने कहा कि इस विषय पर सात जुलाई को एकल पीठ ने निर्णय दिया था, जिसमें विलय के उक्त आदेश के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था, वर्तमान जनहित याचिका में एकल पीठ के सात जुलाई के उक्त निर्णय का कोई जिक्र नहीं है लिहाजा इलाहाबाद हाई कोर्ट रुल्स के प्रावधानों के तहत उक्त जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को शुरुआती सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।

इस याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर आपत्ति उठाई गई कि मामले में उठाए गए मुद्दे पहले ही सीतापुर के 51 बच्चों की याचिका में एकल पीठ ने निर्णीत कर दिए हैं। ऐसे में समान मुद्दों को लेकर दाखिल यह पीआईएल सुनवाई के योग्य नहीं है। सरकार की आपत्ति पर गौर करने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

स्थानीय अधिवक्ता ज्योति राजपूत की जनहित याचिका में राज्य सरकार के स्कूलों के विलय या दो स्कूलों को जोड़ने के राज्य सरकार के 16 जून के आदेश को चुनौती देकर रद करने का आग्रह किया गया था। याची ने गांवों के दूरदराज इलाकों में रहने वाले गरीबों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए परिवहन व्यवस्था करने का आग्रह किया था। याचिका में आरटीई अधिनियम के तहत राज्य सरकार को बच्चों के परिवहन के दिशानिर्देश तय करने के निर्देश देने का भी आग्रह किया गया था। याची ने स्कूलों के विलय को गरीब बच्चों के हितों के खिलाफ बताया था।

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ दलील दी कि इसी सात जुलाई को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्कूलों के विलय के खिलाफ सीतापुर के 51 बच्चों की दाखिल याचिका समेत एक अन्य याचिका पर विस्तृत फैसला देकर खारिज कर दिया है। ऐसे में समान मामले में यह जनहित याचिका सुनवाई के लायक नहीं है। कोर्ट ने सरकार की ओर से उठाई गई शुरुआती आपत्ति के मद्देनजर जनहित याचिका खारिज कर दी।

 

Join WhatsApp

Join Now