रायपुर : पर्यावरण संरक्षण और पशुधन संवर्धन की मिसाल- ग्राम सेमरा बी के कीर्तन निषाद की प्रेरक पहल

रायपुर

पर्यावरण संरक्षण और पशुधन हित (पशु कल्याण) आपस में जुड़े हैं, जहाँ पशुधन से ग्रीनहाउस गैस (मीथेन), भूमि क्षरण और जल प्रदूषण होता है, वहीं सतत पशुधन प्रबंधन (जैसे बेहतर चारा, एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग) इन प्रभावों को कम कर सकता है, साथ ही जैव विविधता और प्राकृतिक आवासों की रक्षा भी कर सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण आजीविका और पर्यावरण संतुलन में मदद मिलती है।

वातावरण में धुएं और विषैली गैसों के उत्सर्जन में आई कमी

          पर्यावरण संरक्षण, पशुधन हित और सतत कृषि की दिशा में धमतरी जिले के विकासखण्ड कुरूद के ग्राम सेमरा बी के प्रगतिशील पशुपालक एवं कृषक कीर्तन निषाद द्वारा किया गया कार्य एक उल्लेखनीय शासकीय सफलता की कहानी के रूप में उभरकर सामने आया है। उनकी दूरदर्शी सोच और जागरूक प्रयासों से लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में फैले पैरा (फसल अवशेष) को सुरक्षित रूप से उनके भाठा में एकत्रित किया गया, जिससे पराली जलाने की हानिकारक परंपरा पर प्रभावी रोक लगाई जा सकी।  पराली जलाने से जहां वायु प्रदूषण, भूमि की उर्वरता में कमी तथा जनस्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वहीं कीर्तन निषाद की इस पहल ने इन सभी समस्याओं का व्यवहारिक और टिकाऊ समाधान प्रस्तुत किया है। उनके प्रयासों से वातावरण में धुएं और विषैली गैसों के उत्सर्जन में कमी आई, जिससे क्षेत्र के नागरिकों को स्वच्छ वायु का लाभ मिला। यह पहल शासन द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरण संरक्षण अभियानों और जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों के उद्देश्यों के पूर्णतः अनुरूप है।

See also  छत्तीसगढ़ में प्रसव कराने से स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने खड़े किए हाथ, इलाज़ के आभाव में जच्चा-बच्चा की मौत 

पशुओं के पोषण स्तर में सुधार 

              इस नवाचारी प्रयास का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष पशुधन संवर्धन से जुड़ा है। एकत्रित पैरा से क्षेत्र में पशुओं के लिए पर्याप्त सूखे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित हुई, जिससे पशुपालकों को चारे की कमी की समस्या से राहत मिली। इससे न केवल पशुओं के पोषण स्तर में सुधार हुआ, बल्कि दुग्ध उत्पादन और पशुपालन की आय में वृद्धि की संभावनाएं भी सुदृढ़ हुई हैं। यह पहल आत्मनिर्भर पशुपालन और ग्रामीण आजीविका सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है।

ग्रामीण विकास की दिशा में एक आदर्श मॉडल

          कीर्तन निषाद की यह उपलब्धि इस बात का सशक्त उदाहरण है कि शासन की नीतियों, जनजागरूकता और व्यक्तिगत पहल के समन्वय से बड़े सकारात्मक परिवर्तन संभव हैं। उनकी सामाजिक जिम्मेदारी, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और किसानों-पशुपालकों के हित में की गई यह पहल अन्य कृषकों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। निःसंदेह, ग्राम सेमरा बी की यह पहल पर्यावरण संरक्षण, पशुधन विकास और सतत ग्रामीण विकास की दिशा में एक आदर्श मॉडल है, जिसे अपनाकर अन्य ग्राम भी स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

See also  जोंधरा एक्सीडेंट में घायल 2 बच्चों की भी हुई मौत, मरने वालों की संख्या हुई 3, चौथे की स्थिति अभी भी गंभीर