नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह एससी/एसटी एक्ट में संशोधनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तीन अक्टूबर को सुनवाई करेगा। संशोधनों के जरिए कानून में तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधानों को हल्का करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया गया था।
परंतु, जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के 20 मार्च, 2018 के फैसले की समीक्षा की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका पर किसी पक्ष से लिखित प्रस्तुतियां स्वीकार नहीं करेगी।
शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को केंद्र सरकार की समीक्षा याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए संकेत दिया था कि वह कानून के प्रावधानों के मुताबिक समानता लाने के लिए कुछ खास निर्देश दे सकती है। अदालत ने सभी पक्षों से 20 सितंबर तक लिखित प्रस्तुतियां दायर करने को कहा था।
बुधवार को जब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2018 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी, उसी दौरान एक वकील ने कहा कि वह केंद्र की समीक्षा याचिका पर संक्षिप्त लिखित प्रस्तुति जमा कराना चाहते हैं। इस पर अदालत ने कहा कि समीक्षा याचिका का मामला खत्म हो गया है। अन्य मसलों पर विचार किया जा सकता है।
इस साल जनवरी में शीर्ष अदालत ने संशोधनों पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। इन संशोधनों के जरिए इस कानून के तहत मामला दर्ज होने के बाद आरोपित को अग्रिम जमानत नहीं दिए जाने के प्रावधान को दोबारा बहाल कर दिया गया था। पिछले साल नौ अगस्त को इससे संबंधित विधेयक को पारित किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के दुरुपयोग के मामलों को देखते हुए 2018 में दिए अपने फैसले में कहा था कि इस कानून के तहत मामला दर्ज होने पर तत्काल कोई गिरफ्तारी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे।