सीटें घटीं, लेकिन दिल्ली में BJP की बड़ी छलांग—छिपी हुई जीत की कहानी!

नई दिल्ली
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की 12 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 7 जीतकर अपना दबदबा कायम रखा। भाजपा दिल्ली में सरकार बनने के बाद हुई अपनी पहली परीक्षा में 'टॉप' करके गदगद है तो आम आदमी पार्टी यह कहकर उसकी जीत को कमतर कर रही है कि सत्ताधारी के पास मौजूद रहीं 9 सीटों पर उपचुनाव हुआ था और वह अब सात ही जीत पाई है। हालांकि, आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा ने वोट शेयर के मामले में बड़ी छलांग लगाई है और उसकी खुशी की असली वजह भी यही है।
 
2022 में हुए नगर निगम चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। तब पार्टी को 39 फीसदी वोट शेयर हासिल हुए थे, जबकि 42 फीसदी वोट शेयर लेकर अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली वाली 'आप' पहली बार निगम में काबिज हुई थी। हालांकि, विधानसभा चुनाव के बाद आप के कई पार्षदों ने मिलकर नया गुट बना लिया और भाजपा ने दोबारा एमसीडी पर कब्जा कर लिया।

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इस उपचुनाव में भाजपा के वोट शेयर में बड़ा उछाल देखने को मिला है। 45 फीसदी वोटर्स ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। 2022 के मुकाबले पार्टी को 6 फीसदी अधिक वोट मिले हैं। जनसमर्थन में हुई इस वृद्धि से निश्चित तौर पर पार्टी गदगद है। चुनाव नतीजों के बाद प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा से जब दो सीटें कम होने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि स्थानीय समीकरणों की वजह से ऐसा हुआ होगा, लेकिन उन्हें आम आदमी पार्टी से करीब 10 फीसदी अधिक वोट मिले हैं।

आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका
आप भले ही अपने प्रदर्शन को बरकरार रख पाई, लेकिन वोट शेयर के मामले में उसे बड़ा नुकसान हुआ है। जिन सीटों पर उपचुनाव हुए हैं उनमें से आप के पास पहले तीन सीटें थीं और अब भी पार्टी इतनी ही सीटें जीत पाई है और इसे गिनाकर वह अपना संतोष जाहिर कर रही है। हालांकि, वोट शेयर के मामले में उसे 7 फीसदी का नुकसान झेलना पड़ा है। 2022 में 42 फीसदी वोट शेयर हासिल करने वाली आप को अस बार 35 फीसदी वोटर्स ने ही चुना है।

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कांग्रेस के वोट शेयर में भी वृद्धि
इस उपचुनाव में कांग्रेस भी एक सीट पर जीत हासिल करने में सफल रही। तब कांग्रेस को 11.68 फीसदी वोट मिले थे तो इस बार 13.4 फीसदी वोट मिले हैं।