हसौद। नईदुनिया न्यूज। झोला छाप डॉक्टर मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके कमाई कर रहे है। नर्सिंगहोम एक्ट का पालन किस तरीके से किया जा रहा है। इसका उदाहरण हसौद में देखने को मिल रहा है। दो माह पहले क्लीनिक सील होने के बाद भी बेखौफ उपचार जारी है।
बिना डिग्री और लाइसेंस के संचालित बंगाली दवाखाना हसौद में 8 अगस्त को स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा छापामार कर क्लीनिक सील किया गया था। लेकिन महज कुछ दिन बाद नियमों की धज्जिायां उड़ाते हुए क्लीनिक पुनः संचालित होने लगा। जानकारी के अनुसार हसौद थाना अन्तर्गत भातमहुल की रहने वाली एक महिला 3 माह की गर्भवती थी, महिला बुखार से पीड़ित थी जो इलाज कराने 1 अक्टूबर मंगलवार को हसौद बंगाली दवाखाना पहुंची थी , इसी बीच बंगाली दवाखाना के संचालक द्वारा गर्भवती होने के कारण बार-बार बुखार आने की बात कहकर बुखार का इलाज करने के बजाए मोटी रकम लेकर गर्भपात करने की दवा दे दी। यहां तक की महिला को तीन दिन तक गोली खाने को कहा गया। फिर भी गर्भपात नहीं हो पाया। हद तो तब हो गई जब महिला अपने पति के साथ वहां पहुंची और तबीयत ठीक नहीं होने की बात कही तो उससे फिर से पैसे की मांग की गई। दोबारा पैसे नहीं देने पर उसे किसी दूसरे डॉक्टर से इलाज कराने को कह दिया गया। फिर महिला रोती बिखलती हुई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हसौद पहुंचकर पूरी कहानी बताई। इस तरह से गंभीर अपराध को झोला छाप डॉक्टर अंजाम दे रहे हैं। बावजूद कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। जब मामले की जानकारी सक्ती एसडीएम व सीएमएचओ को हुई तब संज्ञान में लेकर कार्रवाई करने के लिए तहसीलदार को आदेश दिया गया। आदेश पर हसौद तहसीलदार, जैजैपुर बीएमओ व हसौद पुलिस द्वारा फिर से दोबारा क्लिनिक सील किया गया। जबकि सीएमएचओ द्वारा जैजैपुर बीएमओ को स्पष्ट आदेश दिया गया है कि बंगाली क्लिनिक के संचालक के खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्रवाई की जाय। उसके बावजूद दो दिन बीत जाने के बाद भी अब तक बीएमओ द्वारा कार्रवाई करने का आदेश जारी नही किया गया है।
”बंगाली क्लिनिक को सील किया गया है, अभी वे प्रशिक्षण में है, वापस आकर नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
एसएल बंजारे