आज बलौदाबाजार की घटना को सात महीने बीत गए सरकार हर मोर्चे पर विफल है। गिरौदपुरी के महकोनी में जैतखाम काटे जाने पर जांच हेतु गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट भी लंबित है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है भाजपा के द्वारा बनाई गई जांच समिति जो अपनी रिपोर्ट 20 जुलाई 2024 को राज्य सरकार को सौंपी है उस जांच समिति की रिपोर्ट को ही आधार मान लें तो अब तक गिरफ्तार 187 में से लगभग 50 निर्दोष लोग जेल में बंद हैं।
अब सभी दल अपनी राजनीतिक खानापूर्ति कर पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट हो चुकी है।
सतनामी जातीय संगठन के लोग भी सरकार के साथ मिलकर खूब धूमधाम से गुरु घासीदास जयंती मनाए, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का लुत्फ उठाए उनको भवन निर्माण और बाउंड्रीवाल के लिए अनुदान राशि की घोषणाएं भी हो गई।
लेकिन राज्य सरकार या मुख्यमंत्री की ओर से 10 जून को बलौदाबाजार की घटना की उच्च स्तरीय जांच या एसआईटी गठित करने की दिशा में कोई पहल होते दिखाई नहीं दी।
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सरकार ने सतनामी जाति के साथ पक्षपात पूर्ण कार्रवाई कर रही है। चूंकि कबीरधाम जिला के लोहारीडीह गांव में घटित घटना पर सरकार ने तत्काल एसआईटी गठित कर साहू जाति के लोगों को राहत पहुंचाने के सारे मार्ग प्रशस्त किए लेकिन बलौदाबाजार मामले में सतनामी जाति के लोगों को अब भी पुलिस कार्रवाई के नाम पर भयादोहन किया जा रहा है। जेल में बंद निर्दोष लोगों के परिजनों को हर किसी ने झूठी आश्वासन देकर गुमराह करते। सामाजिक संगठनों के अलावा सत्ताधारी दल से सम्बद्ध संगठन के लोगों ने भी तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख देकर जेल से रिहाई की तारीख का इंतजार करवाते हुए खुद ही हार मान गए।
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शासन से मुलाकात कर फोटो खिंचवाकर अब-तब, अब-तब रिहाई के दावे करने वाले मुर्खो की वजह से जेल में बंद निर्दोषों के परिजन भी भ्रमित हो गए। अन्यथा पुलिस द्वारा चालान पेश करने से पहले सीबीआई न सही एसआईटी गठित कर जांच की मांग की गई होती तो आंदोलन में उपस्थित होने मात्र से जेल में बंद निर्दोषों को राहत जरूर मिल गई होती।
गुरु घासीदास जी के नाम पर जन्म लेते ही गुरु कहलाने वाले भी समाज के सफेद हाथी साबित हो गए हैं उनके परिवार के सदस्यों को ही सरकार तवज्जो दे दे तो वे लोग समाज को ही हाशिए पर धकेल कर जश्न में डूबे रहेंगे।
राजनीतिक आरक्षण से बने जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से विडंबना देखिए कि जेल में बंद लोगों के मनोबल को तोड़ने के लिए उनके परिजनों को परेशान करने के लिए उन्हें राज्य के अंबिकापुर, बिलासपुर, बलौदाबाजार, रायपुर,दुर्ग और जगदलपुर के जेलों में बांट दिया गया है।