मंगल ग्रह पर ‘गंगा’ जैसी नदी के संकेत, वैज्ञानिकों ने 16 प्राचीन नदियों का पहला पूरा नक्शा तैयार किया

कैलिफोर्निया

 नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने मंगल पर गंगा जैसी विशाल प्राचीन नदियों की खोज की है. पहली बार 16 बड़े ड्रेनेज बेसिन का पूरा नक्शा तैयार हुआ, जो बताता है कि मंगल कभी गर्म, नम और जीवन योग्य था. यह खोज भविष्य के जीवन-खोज मिशनों के लिए अहम साबित होगी. 

भारत में बहने वाली गंगा नदी की तरह ही, ऑस्टिन स्थित Texas University ने, मंगल ग्रह पर मौजूद बहुत बड़ी और पुरानी नदी प्रणालियों का नक्शा बनाया है. इससे वैज्ञानिकों को मंगल के प्राचीन जल नेटवर्क के बारे में नई बातें पता चली हैं. उनका यह नया अध्ययन PNAS नाम की पत्रिका में छपा है. उन्होंने 16 बड़ी नई नदी घाटियों की पहचान की है. यह पहली बार है कि मंगल ग्रह की इतनी बड़ी जल निकासी प्रणालियों का पूरा नक्शा तैयार किया गया है. इन खोजों से उन जगहों के बारे में पता चलता है जहां पहले जीवन की संभावना सबसे अधिक रही होगी. 

कैसे बनी मंगल पर नदियां?
अरबों साल पहले मंगल ग्रह पर बारिश होती थी जिस वजह से घाटियां और नदियां बन गईं. यह पानी बहकर बड़ी घाटियों और शायद बहुत बड़े पुराने महासागरों तक पहुंचता था. पानी की इस प्रणालियों ने ऐसा माहौल बनाया जो धरती पर जीवन से भरा होता है जैसे कि अमेजन नदी का इलाका. ये बड़ी जल प्रणालियां संभावित मंगल ग्रह के जीवन के लिए एक जन्मस्थान का काम कर सकती थीं. 

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किसने बनाया ये नक्शा?
इन मैप को बनाने का काम यूटी जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज के सहायक प्रोफेसर टिमोथी ए. गौडगे और पोस्टडॉक्टरल फेलो अब्दुल्ला एक.जकी ने किया. उन्होंने पहले से मौजूद मंगल ग्रह की घाटियों, झीलों और नदियों के डेटा को एक साथ मिलाया. ऐसा करके उन्होंने पूरे ग्रह के पानी के बहाव के रास्ते का पूरा नक्शा तैयार किया. 

कैसे की गई ये खोज?
वैज्ञानिकों ने 19 प्रमुख समूह खोजे जिसमें घाटियां, नदियां झीलें और जमा हुई मिट्टी शामिल हैं. इनमें से 16 समूहों का जलग्रहण इलाका 1 लाख वर्ग किमी से भी बड़ा था. यह आकार लगभग धरती पर मौजूद बड़ी नदी घाटियों जितना ही है. अब्दुल्ला एक.जकी ने कहा, 'हमने सबसे आसान काम किया जो किया जा सकता था और हमने बस उनका नक्शा बनाया और उन्हें एक साथ जोड़ दिया'.

क्या ऐसा होना आम बात है?
धरती पर इतनी बड़ी बेसिन का होना आम बात है. धरती पर 91 पानी इकट्ठा करने वाले क्षेत्र हैं जिसमें 62 लाख वर्ग किमी का अमेजन नदी बेसिन भी शामिल है जो बहुत बड़ा है. लेकिन इसके उलट मंगल ग्रह पर कम बड़े दल निकासी प्रणालियां हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका कारण यह है कि मंगल ग्रह पर अलग-अलग तरह की जमीन बनाती है जिससे बड़ी नदी प्रणालियों को सहारा मिलता है. मंगल ग्रह पर यह गतिविधि नहीं है इसलिए वहां कम बड़ी नदियां हैं. 

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क्यों हैं ये 16 बड़ी नदियां सबसे अहम?
मंगल ग्रह पर ये बड़ी नदी प्रणालियां उसके पुराने भूभाह का सिर्फ 5% हिस्सा ही कवर करती हैं. लेकिन, वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्रह पर नदियों से जो मिट्टी और तलछट जमा हुई है उसका लगभग 42% हिस्सा इन्हीं 16 बड़ी प्रणालियों से आया है. जकी ने कहा, तलछट में महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं इसलिए यह जानने के लिए और शोध करना होगा कि तलछट आखिर कहां जाकर जमा हुई.  

पहली बार बना मंगल का ग्लोबल नदी नक्शा

वैज्ञानिकों ने मंगल का यह नक्शा नासा के मिशनों की मदद से बनाया. उन्होंने इस्तेमाल किया Mars Orbiter Laser Altimeter (MOLA) का डाटा, CTX कैमरा, Mars Reconnaissance Orbiter और फिर ArcGIS Pro सॉफ्टवेयर में नदियों, घाटियों, झीलों और तलछट के निशान ट्रेस किए. कुल 19 समूह मिले, जिनमें से 16 को बड़े ड्रेनेज बेसिन माना गया. हर बेसिन 1 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा फैला था. डॉ गौड्ज कहते हैं कि हमें पता था कि मंगल पर नदियां थीं, लेकिन वे कितनी बड़ी और कितनी संगठित थीं, ये पहली बार साफ दिखा.

पांच प्रतिशत जमीन पर बने बेसिन 

अध्ययन के अनुसार, ये 16 बेसिन मंगल की प्राचीन सतह के सिर्फ 5% हिस्से में फैले थे. लेकिन इन्होंने कुल नदी-जनित क्षरण (erosion) का लगभग 42% हिस्सा किया और करीब 28,000 क्यूबिक किलोमीटर तलछट (sediment) बहाकर ले गए. तलछट में जीवन के पोषक तत्व सबसे अच्छे से बचते हैं. इसलिए इन जगहों को वैज्ञानिक जीवन की खोज के लिए अहम जगह मान रहे हैं. धरती पर बड़ी नदियां इसलिए बनती हैं क्योंकि यहां टेक्टोनिक प्लेट्स पहाड़ और घाटियां बनाती रहती हैं. लेकिन मंगल पर ऐसी प्लेट्स नहीं हैं. इसी वजह से मंगल पर केवल 16 बड़े नदी बेसिन मिले, जबकि धरती पर 91 से ज्यादा हैं. जैसे 62 लाख वर्ग किमी वाला अमेजन बेसिन.
मंगल पर कब आया पानी, कब गया पानी?

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पुराने अध्ययनों के अनुसार, मंगल लगभग 4.5 अरब साल पहले बना. सतह पर पानी करीब 2 अरब साल तक रहा. बाद में ग्रह का वातावरण और चुंबकीय ढाल कमजोर पड़ गई और सूर्य की किरणों ने धीरे-धीरे इसका पानी छीन लिया. आज जो सूखा मंगल दिखता है, वह कभी पानी और नदियों से भरा ग्रह था. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये 16 बड़े नदी बेसिन अब उन जगहों में शामिल होंगे, जहां भावी मंगल मिशन जीवन के संकेत ढूंढेंगे. डॉ गौड्ज कहते हैं कि अगर कभी मंगल पर जीवन रहा होगा, तो उसके निशान इन बेसिनों में मिलने की संभावना सबसे ज्यादा है. यह खोज मंगल के मौसम और उसके पिछले इतिहास के बारे में हमारी समझ बदल देती है. अब यह साफ हो रहा है कि मंगल पर कभी धरती जैसा पानी का बड़ा चक्र चलता था.