भारत में जल्द स्मार्ट सड़कें, AI बताएगा टूटने से पहले ही खराबियां

नई दिल्ली

भारत में बरसात के मौसम में सड़कों में गड्ढे होने या इनके टूटने की खबरें आती हैं। लेकिन क्या हो अगर सड़कों के टूटने या इनमें गड्ढे होने से पहले ही अलर्ट मिल जाए। इससे ना सिर्फ लोग दूसरा रूट ले सकते हैं, बल्कि लोगों की लाइफ पर भी रिस्क नहीं होगा। सुनने में भले ये नामुमकिन-सा लगे, लेकिन ऐसी तकनीक पर तेजी से काम चल रहा है, जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI भारत की 63 लाख किलोमीटर लंबी सड़कों को बनाने, देखभाल करने और इनको मैनेज करने के काम को पूरी तरह से बदल देगी। चलिए, जान लेते हैं कि यह AI तकनीक कैसे काम करेगी और आमजन को इससे क्या फायदा होगा?

वर्चुअल मॉडल में पता लग जाएगी कमजोरी
ईटी इंफ्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल ट्विन्स नाम की एक तकनीक है जिससे इंजीनियर पूरी सड़क का वर्चुअल मॉडल बना सकते हैं। यह मॉडल ट्रैफिक और सड़क की कमजोरी का पहले से एनालिसिस कर लेता है।सॉफ्टवेयर सड़क की खराबी को पहले ही पकड़ लेंगे। इतना ही नहीं, बल्कि उसे ठीक करने के तरीके भी सुझाएंगे। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने अपने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम में पहले ही AI का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जिससे सड़क निर्माण की क्वालिटी की जांच होती है।

See also  गंगोत्री धाम की आगामी यात्रा सीजन में जुड़ जाएगी हेली सेवा, बस छह किमी रह जाएगी दूरी

तकनीक का इस्तेमाल यहां हो रहा है
भारत के शहरी क्षेत्र में AI पहले से ही काम पर लगा हुआ है। पुणे में इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और बेंगलुरु का ऐडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम इसका उदाहरण हैं। ये सिस्टम ट्रैफिक को समझकर सिग्नल को अपने आप कंट्रोल करते हैं, जिससे जाम की समस्या से मुक्ति मिल सकती है। यही नहीं, रोड प्रोजेक्ट्स में ड्रोन और GPS का इस्तेमाल भी हो रहा है। सड़क मंत्रालय ने AI-MC नाम का एक सिस्टम शुरू किया है, जो ड्रोन और सेंसर की मदद से सड़क निर्माण को बेहतर बनाता है। बिहार में AI का इस्तेमाल कर 12000 से ज्यादा पुलों और 743 ब्रिजों की जांच की गई है। यह तकनीक खराब ढांचे को ढूंढकर उसकी मरम्मत का सुझाव देती है।

ग्रामीण इलाकों में AI आया तो सुधर जाएंगी सड़कें
केपीएमजी की एक रिपोर्ट बताती है कि AI से सड़कों की देखभाल करने से खर्च 30% तक कम हो सकता है और सड़कों की लाइफ भी बढ़ सकती है। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में अभी भी 70% सड़कों की जांच पुराने तरीकों से होती है, जैसे कि कागजी रिकॉर्ड और Manual Inspection से। यदि ग्रामीण इलाकों में भी AI का इस्तेमाल बढ़े, तो सड़कों की हालत पहले के मुकाबले काफी सुधर सकती है।

See also  कन्फ्यूजन : 2022 में स्वतंत्रता दिवस की यह 75वीं वर्षगांठ है या फिर 76वीं ? आइए जाने

AI से सड़क हादसों की संख्या घट सकती है
रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत में हर साल सड़क हादसों में 1.5 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते हैं। AI इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। इंटेलिजेंट सिस्टम से इमरजेंसी रिस्पांस टाइम 60% तक कम हो सकता है और Traffic Efficiency 30% तक बढ़ सकती है। AI कार्बन उत्सर्जन को मापने, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कॉरिडोर बनाने और टिकाऊ डिजाइन में भी मदद करता है।