गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय : गोपनीय ढंग से स्थापित की गई धार्मिक प्रतिमा, प्रशासन ने बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर लगा दिया था प्रतिबंध

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर में तमाम शिकायत के बाद गोपनीय ढंग से धार्मिक प्रतिमा स्थापित की गई। जिसका सामाजिक संगठनों ने विरोध किया है। इस प्रतिमा को न्यायालय की अवहेलना बताया है। कानून के भय से आनन-फानन में इस प्रतिमा को स्थापित किया गया । ताकि मामले को पेचीदा बनाया जा सके। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन में परिसर के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था|

 

सामाजिक संगठनों ने इस संबंध में पूर्व में ही कुलपति के अलावा राष्ट्रपति, राज्यपाल, कलेक्टर, आयुक्त, मुख्यमंत्री सहित कई बड़े-बड़े अधिकारियों को पत्र माध्यम से इसकी सूचना देते हुए इसे रोकने का आग्रह किया था। लेकिन सामाजिक संगठन के पत्रों का किसी प्रकार से प्राथमिकता नहीं दी गई और गोपनीय ढंग से प्रतिमा की स्थापना की गई। प्रतिमा स्थापना के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में किसी के भी प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई थी। न ही इसकी सूचना सार्वजनिक की गई और नहीं किसी मीडिया को इस स्थापना के जानकारी दी गई। जिससे सामाजिक संगठन में काफी रोष है।

 

सामाजिक कार्यकर्ता संजीत बर्मन ने इस मूर्ति स्थापना को असवैधानिक बताते हुए इस न्यायालय की अवहेलना बताया है। उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास जी के विचारों की हत्या करने के लिए इस मूर्ति की स्थापना की जारी है। उन्होंने इस कृत्य को धार्मिक अतिक्रमण भी बताया है। उन्होंने बताया कि इसे रोकने के लिए संवैधानिक तरीके से सभी अधिकारियों को मुख्यमंत्री राज्यपाल राष्ट्रपति सभी को पत्र व्यवहार किया गया ताकि अवैध धार्मिक अतिक्रमण रोका जाए। इस आवेदन के फलस्वरुप वे लोग कानून के भय से आनन-फानन में इस प्रतिमा को स्थापित किया जा रहा है। ताकि मामले को पेचीदा बनाया जा सके। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन में परिसर के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 

 

 

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