छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता संजीत बर्मन ने बार फिर बलोदा बाज़ार हिंसा के बाद जेल में बंद 187 लोगों की रिहाई को लेकर अनुसूचित जाति के आरक्षित सिट से जितने वाले विधायक और सांसद को आढे हाथों लिया है| उन्होंने कहा है की इन सब की चुप्पी समझ से परे है| उन्होंने अपने सोशल मिडिया प्लेटफार्म फेसबुक में सभी जनप्रतिनिधियों पर टिप्पणी की है|
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छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल के अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षित जनप्रतिनिधि Dayaldas Baghel Punnu Lal Mohle Domanlal Korsewada Guru khushwant saheb & Kamlesh Jangde Naveen Markandey II Sanam Jangde II की बलौदाबाजार कांड के बाद चुप्पी समझ से परे है।
सरकार से नाराज़गी मोल न लेना या कोई लाभ के पद से वंचित हो जाना या फिर संगठन के निर्देश के सामने नतमस्तक हो जाना है।
आखिर डर किस बात की है उन्हें सरकार से मांग करनी चाहिए कि जिस तरीके से लोहारीडीह में पुलिस कार्रवाई के बाद एसआईटी गठित कर पुनः जांच करवाई गई और 69 जेल बंद लोगों में से 23 लोगों की जेल से जमानत पर रिहाई भी सुनिश्चित हो गई।
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फिर वही प्रक्रिया बलौदा बाजार की घटना पर क्यों नहीं हो रही है। यहां पर भी एसआईटी या सीबीआई की सूक्ष्म जांच से लोहारीडीह की तरह नतीजे निकलने की पूरी संभावना है।
187 लोग प्रदेश के अलग-अलग जेलों में छः महीने से बंद हैं। छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार जिस तरीके से बलौदाबाजार के मामले पक्षपात पूर्वक कार्रवाई कर रही है निश्चित रूप से इसे दमनात्मक कार्रवाई कहा जाता है जो सिर्फ और सिर्फ जाति के नाम पर किया जा रहा है।
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सरकार को एसआईटी या सीबीआई जांच करवाने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
हमारी यही मांग है कि किसी भी समाज की सामाजिक आंदोलन में उपस्थिति मात्र ही आरोपी होने का पैमाना नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी के आरक्षित जनप्रतिनिधि भी अपने संगठन के आदेश के बिना एक कदम नहीं बढ़ाते हैं।
भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव की गिरफ्तारी के बाद आरक्षित जनप्रतिनिधियों की भी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई है।
Dilip Lahariya Uttri Jangde चातुरी डिग्रीलाल नंद Sheshraj Harbansh Harshita Swami Baghel
Kavita Pran Lahrey Mla