जांजगीर जिला के मजदूर लापरवाही पूर्वक दीगर राज्य जा रहे हैं वहां फंसने के बाद उन्हें शासन की याद आती है, जबकि शासन प्रशासन में इन मजदूरों के लिए कई योजनाएं लागू की है, जिससे उन्हें संकट परिस्थितियों आसानी से रेस्क्यू किया जा सके. इसके बावजूद भी मजदूर इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा रहे हैं. ताजा मामला आज चांपा रेलवे स्टेशन में देखने को मिला है. जहां बड़ी संख्या में मजदूर दीगर राज्य रोजी मजदूरी के लिए जा रहे थे जब उनसे पूछा गया तो वे स्वयं की मर्जी से जाना बताएं। उन्होंने अपना पंजीयन नहीं कराया था जब उनसे पूछा गया कि पंजीयन क्यों नहीं कराया गया है तब वे इससे अपने आपको अनभिज्ञ बताए। उल्टे मीडिया पर अपना गुस्सा निकालने लगे. बहरहाल सामाजिक संगठन के प्रयास के बाद भी शासन भी उन्हें नहीं रोक पाई|
छत्तीसगढ़ एक भट्ठा मजदूर संघ को आज सुबह जानकारी मिली की बड़ी संख्या में मजदूर चाम्पा के रेलवे जक्शन में ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं. तब संगठन के पदाधिकारी उनके पास पहुंचे और ग्राम पंचायत में जानकारी देने की जानकारी लिए, लेकिन उन्होंने गांव से बाहर जाने की जानकारी किसी को नहीं दी थी. संगठन ने अपना मजदूर पंजीयन करा ले और जहां जा रहे हैं वहां का पता बता दें, लेकिन वे दिहाड़ी मजदूरी का हवाला दिया गया | उन्होंने कहा की प्रतिवर्ष इसी तरह पलायन करते हैं. मौजूद सभी मजदूरों ने भी ठेकेदार का नाम नहीं लिया, जिसकी वजह से श्रम अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाए, लेकिन बड़ी संख्या में मजदूरों का एक साथ पलायन करना और वह भी स्वयं से समझ से परे हैं | हालांकि अधिकारी ने सभी मजदूरों के नाम पता ले लिया है |
आपको बता दें की छत्तीसगढ़ एक भट्ठा मजदूर संघ लगातार कई वर्षों से मजदूरों पर कार्य कर रही है | कुछ दिनों पहले ही इन्ही मजदूरों की तरह रायपुर की एक पाइप लाइन में काम करने के लिए गए थे जिन्हें वहां बंधक बना लिया था और उन्हें बिना पैसे के काम कराया जा रहा था | जिन्हे इस संगठन ने रेस्क्यू कर लाया है| बंधक बनाई गई महिला मजदूर ने बताया कि वह रायपुर के एक पाइपलाइन में काम करने के लिए गए थे जहां उन्हें बंधक बना लिया गया था और बिना पैसे दिए ही महीने भर तक काम कराया जा रहा था जब पैसे की बात आती तो वह लोग डांट फटकार करते थे. मजदूरों को भरपेट भोजन भी नहीं देते थे.
आपको बता दें की जिला से प्रति वर्ष बड़ी संख्या में दीगर राज्य पलायन करते हैं, जिन्हें ठेकेदारों द्वारा ले जाया जाता है. ठेकेदार मजदूरों को वहां छोड़कर वापस घर आ जाता है, जिनके बाद अधिकांश मामलों में मजदूरों से जबरन काम कराया जाता हैं और उन्हें काम का सही दाम भी नहीं दिया जाता है. जिसके बाद वे ठेकेदार पर पैसे का आरोप लगते हैं. फिर शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगते हैं |