Friday, November 22, 2024
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कटा हाथ लेकर 130 किमी का सफर, 7 घंटे तक चले ऑपरेशन

Johar36garh (Web Desk)| बिहार में में तेल मिल की मशीन में फंसकर एक व्यापारी का दाहिना हाथ उखड़ गया। हाथ कोहनी से कट कर अलग हो गया। व्यापारी कटे हाथ को लेकर 130 किलोमीटर दूर गोरखपुर पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने 7 घंटे तक चले ऑपरेशन में हाथ जोड़ दिया। इस दौरान कुछ धमनियों में सड़न शुरू होने के कारण 10 सेंटीमीटर हाथ काटना पड़ा। अब हाथ में रक्त संचार शुरू हो चुका है। उंगलियों में हरकत शुरू हो गई है। इस ऑपरेशन में 8 डॉक्टरों की टीम लगी रही।

घटना बीते 22 मार्च की है। पश्चिमी चंपारण के बगहा निवासी विजय कुमार अग्रवाल की तेल मिल है। 22 मार्च को मिल में सरसों की पेराई मशीन चल रही थी। इस दौरान उन्होंने मशीन में खली साफ करने के लिए दायां हाथ डाला। हाथ में वह कड़ा पहने थे। कड़ा नट में फंसने से हाथ मशीन में खिंचता चला गया। इसके कारण हाथ कोहनी के पास से ही उखड़कर अलग हो गया। स्थानीय डॉक्टरों ने पटना या गोरखपुर ले जाने की सलाह दी। परिजनों ने गोरखपुर को तरजीह दी। डॉक्टरों ने महानगर के सावित्री हॉस्पिटल और प्लास्टिक सर्जन डॉ. नीरज नाथानी से संपर्क किया। डॉ. नाथानी ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए।

उन्होंने ताकीद की कि कटे हुए हाथ को बर्फ से ढक कर ले आएं। करीब 4 घंटे में परिजन एम्बुलेंस से पहुंच गए। हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. बृजेश जायसवाल, आईसीयू के इंचार्ज डॉ. मनीष तिवारी, एनस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ.मकसूद और आर्थो सर्जन डॉ.अमित बंसल की टीम तैयार रही।

सात घंटे चला ऑपरेशन

डॉ. नीरज ने बताया कि ऑपरेशन क्रिटिकल था। कटे हुए हाथ को धुला नहीं गया था। खून की धमनियों में धूल के कण चिपके थे। ऑपरेशन थिएटर में पहले कटे हाथ को धुला गया। कुछ धमनियों में सड़ने की प्रक्रिया की शुरुआत के संकेत दिखे। जहां से हाथ उखड़ा था वहां से 9 सेंटीमीटर दूर हड्डी टूट गई थी। ऐसे में हाथ को 10 सेंटीमीटर काट कर दूसरे हिस्से से जोड़ा गया। ऑपरेशन में 7 से 8 घंटे लगे।

एक-एक धमनी को जोड़ा गया

उन्होंने बताया कि यह बेहद रिस्की ऑपरेशन होता है। कई बार हाथ बचाने का लालच मरीज के लिए जानलेवा साबित हो जाता है। इसको देखते हुए हाथ को 10 सेंटीमीटर काटने का फैसला किया गया। खून काफी बहने से मरीज अचेत हो गया था। ऑपरेशन के दौरान तीन यूनिट खून चढ़ाया गया। वह नौ दिन अचेत रहा। उन्होंने बताया कि ऐसे ऑपरेशन में एक खतरा थाम्ब्रोसिस होने का भी होता है। इसमें खून की धमनियां ऑपरेशन के बाद सड़ने लगती हैं। इसमें मरीज की मौत भी हो सकती है। कटे हुए अंग को दोबारा काट के अलग करना पड़ सकता है। इस मामले में बेहद एहतियात बरता गया। 10वें दिन उसे आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट किया गया।

जिले में पहली बार हुआ ऐसा ऑपरेशन

डॉ. नाथानी ने बताया कि हाल ही में पंजाब में एक दरोगा का हाथ कट गया था। उसका ऑपरेशन पीजीआई चंडीगढ़ में हुआ। यह मामला उससे भी ज्यादा जटिल था। पीजीआई से बेहद कम संसाधन में यह ऑपरेशन हुआ और सफल रहा। जिले में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है।

पांच घंटे हैं गोल्डन आवर

उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में गोल्डन आवर 4 से 5 घंटे होते हैं। इस मामले में मरीज करीब चार घंटे में पहुंचा। राहत की बात यह थी कि परिजन हाथ को पॉलीथिन में लपेट कर उसे बर्फ के बीच रखकर लाए थे। अगर वह यह सावधानी न बरतने तो हाथ की धमनियां सड़ने लगती। ऐसे में ऑपरेशन करना संभव न होता।

अंग कटने पर बरतें यह सावधानी

उन्होंने बताया कि किसी भी हादसे में अंग के कटने पर कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। उसे खुले में न छोड़े, धूल मिट्टी न लगने दें, कटे अंग को साफ पानी से धुले, उसे पॉलीथिन या कपड़े में लपेटे, उसे बर्फ से ढक कर डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे।(Hindustan)

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