Friday, December 13, 2024
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गौतम गंभीर की जिंदगी की दो बड़ी कसक! दो डबल जीरो…

नई दिल्ली
 गौतम गंभीर को 9 जुलाई 2024 को 2027 तक के लिए भारतीय मेंस टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया गया। वह राहुल द्रविड़ की जगह ले चुके हैं, जिनका कार्यकाल टी-20 विश्व कप के बाद खत्म हो गया था। 14 अक्टूबर 1981 को दिल्ली में पैदा हुए गौतम गंभीर अपने दौर के बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार थे। 2004 में टेस्ट डेब्यू के बाद गंभीर का करियर 2008 तक उतार-चढ़ाव भरा रहा। अपने कभी हार न मानने के जज्बे के कारण उन्होंने जल्द ही टीम में जगह पक्की कर ली। दो-दो वर्ल्ड कप, तीन बार आईपीएल चैंपियन जीतने वाले गंभीर ने करियर में सबकुछ हासिल किया, जिसके वो हकदार थे, लेकिन उनके करियर में दो डबल जीरो काले दाग की तरह है। जीजी को भी इसकी कसक होती होगी। चलिए जानते हैं क्या है गंभीर के करियर की ये कसक और क्या है उनके डबल जीरो…

डबल जीरो की कहानी क्या है?
एक बार टी-20 वर्ल्ड कप जीतने और दो बार आईपीएल चैंपियन बनने के बावजूद गौतम गंभीर दोनों ही टूर्नामेंट में कभी शतक नहीं जड़ पाए। 37 टी-20 इंटरनेशनल मैच में गंभीर ने सात अर्धशतक जरूर जमाए, लेकिन एक भी सेंचुरी नहीं लगा पाए। दूसरी ओर आईपीएल में उन्होंने 154 मैच खेले, जिसमें 36 अर्धशतक जरूर जमाए, लेकिन यहां भी शतक नहीं बना पाए। गौतम गंभीर के खेल में वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण के कुछ न कुछ गुण समाहित थे। गंभीर आक्रामक बल्लेबाजी के लिए मशहूर थे। तेजी से रन बनाने के लिए पहचाने जाते थे, वह दोनों ही फॉर्मेट में शतक डिजर्व करते थे। मगर ऐसा हो न सका।

कैसा है T20I और IPL करियर
गौतम गंभीर ने 37 टी-20 इंटरनेशनल की 36 पारियों में 27.41 की औसत और 119.02 की स्ट्राइक रेट से 932 रन बनाए हैं, उनका सर्वोच्च स्कोर 75 है। आईपीएल के 154 मैच में गंभीर ने 4217 रन बनाए। 31.24 की एवरेज और 123.88 की स्ट्राइक रेट से बनाए गए इन रनों के दौरान 93 उनका बेस्ट स्कोर था।

अपनी शर्तों पर काम करने वाला शख्स
गौतम गंभीर को अपनी शर्तों पर काम करने वाला व्यक्ति भी माना जाता है और यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय टीम के मुख्य कोच की भूमिका में वह किस तरह से आगे बढ़ते हैं। गंभीर वह खिलाड़ी हैं, जिन्होंने वीरेंद्र सहवाग के साथ मिलकर भारतीय सलामी जोड़ी को नई दिशा दी थी, लेकिन उन्हें अपने मुखर व्यक्तित्व के लिए भी जाना जाता है और यही वजह है कि वनडे विश्व कप 2011 में खिताब जीत का श्रेय केवल महेंद्र सिंह धोनी को मिलने पर उन्होंने जब तब आपत्ति जताई। आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स को दो बार चैंपियन बनाकर उन्होंने साबित कर दिया कि वह एक कुशल रणनीतिकार हैं। इस साल आईपीएल में वह कोलकाता के मेंटॉर बने थे और यह टीम तीसरी बार खिताब जीतने में सफल रही थी।

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