31 अक्टूबर को दिवाली पर पूजा के लिए दो घंटे का समय
दीपों का पर्व दिवाली इस बार 31 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। कई जगह इस त्योहार 1 नवंबर को भी मनाए जाने की बात कही जा रही है। अधिकत पंचांगों में 31 अक्टूबर की ही दिवाली है। आपको बता दें कि दिवाली के दिन सभी धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और भगवान राम के अयोध्या आने की खुशी में घी के दिए जलाते हैं। दिवाली की तैयारी के लिए महीने भर से लोग तैयारी करते हैं। मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए हर प्र.त्न किए जाते हैं। इसलिए शुभ मुहूर्त देखकर उनकी पूजा की जाती है। इस बार दिवाली की पूजा में वृषभ लगन आपको 6 बजकर 12 मनिट से 8 बजेतक मिल रहा है। कुल मिलाकर पूजा के के लिए आपको 2 घंटे का समय मिल रहा है। इस समय लक्ष्मी पूजन आपके लिए सफल कहा जाता है। आइए आपको बताते हैं कि स्थिर लग्न क्या है और इसमें महालक्ष्मी की पूजा से क्या मिलता है-
स्थिर लग्न वृषभ लग्न में लक्ष्मी पूजा क्यों की जाती है
शुभ लग्न मुहूर्त में लक्ष्मी जी को स्थिर करने के लिए स्थिर लग्न में पूजा की जाती है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि स्थिर लग्न क्या है। वृषभ, सिंह राशि, वृश्चिक राशि और कुंभ राशि नारद संहिता के चतुदर्शो अध्याय में लिखा है कि मंगलकार्य, ग्रहप्रवेश कार्य, ग्रहारंभ कार्य, व्यापार और वाहन खरीदने संबंधी कार्य हमेशा वृषभ लग्न में सफल होते हैं, इसलिए पूजा के समय स्थिर लगन् वृषभ लगन देखा जाता है।