उज्जैन के गंभीर डैम में भरा पानी, एक गेट खोलकर राहत दी गई

उज्जैन
उज्जैन शहर में पेयजल का प्रमुख स्त्रोत गंभीर डैम पानी से लबालब हो गया है। पानी कम करने के लिए इसका एक गेट खोला गया है। इंदौर के यशवंत सागर बांध के गेट खोले जाने के बाद गंभीर बांध में लगातार पानी बढ़ता जा रहा था। इसके बाद यह पूर्ण जल संग्रहण क्षमता 2250 एमसीएफटी भर गया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुताबिक गंभीर नदी पर इंदौर-देपालपुर रोड पर हातोद गांव के पास बने ‘यशवंत सागर बांध’ का एक गेट 29 अगस्त की रात 11 बजे खोला गया था। ये गेट 30 अगस्त की दोपहर सवा तीन बजे तक खुला रहा। शाम साढ़े 5 बजे दो गेट खोल दिए गए। आवक जारी है और अंचल में मानसून भी सक्रिय है। ऐसे में उज्जैन शहर की जल आपूर्ति के मुख्य केंद्र गंभीर बांध पूरा भर गया। बांध भराने पर कम से कम छह माह तक तो शहरवासियों को नियमित जल प्रदाय निश्चित होगा ही, जैसा कि बीते दो दशक से नगर निगम ने परंपरा बना रखी है। भविष्य में नर्मदा का साथ मिला तो सालभर भी निमित जल प्रदाय हो सकता है। इस स्थिति के पीछे वजह स्पष्ट है कि शहर की सात लाख आबादी की आवश्यकता के अनुरूप उज्जैन में जलभंडारण क्षमता उपलब्ध नहीं है।

See also  रक्तदान करने से हमें आत्म संतुष्टि मिलती है: ऊर्जा मंत्री तोमर

भारत सरकार के मानकों के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति की दैनिक पानी की जरूरत 135 लीटर है। शहर की आबादी सात लाख है, इस हिसाब से सालभर के लिए 12180 एमसीएफटी पानी चाहिए, जबकि नगर निगम के पास जल प्रदाय को केवल 2361 एमसीएफटी जल संग्रहित करने की ही क्षमता है। वर्षाजल संग्रहण क्षमता का सबसे बड़ा स्रोत 2250 एमसीएफटी का गंभीर बांध, 96 एमसीएफटी का गऊघाट प्लांट और 15.43 एमसीएफटी के दो तालाब- साहिबखेड़ी और उंडासा है। इन्हीं सरंचनाओं का जल खींचकर 44 उच्च स्तरीय टंकियों को भरा जाता है और पाइपलाइन के जरिये पूरे शहर में जल प्रदाय किया जाता है।

95 कॉलोनियों में पानी की पाइपलाइन तक नहीं
खास बात ये भी है कि शहर की 450 में से 95 कॉलोनियों में पानी की पाइपलाइन तक नहीं बिछी है। लगभग आधा शहर पानी के लिए निजी बोरिंग और सार्वजनिक कुएं-हैंडपंप पर निर्भर है। इस वर्ष 15 अप्रैल से शहर में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय हो रहा है। जल संकट का स्थायी समाधान दो बड़ी परियोजनाओं से मुमकीन है। पहली, 614 करोड़ रुपये की सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी बांध योजना, जो शिप्रा को सालभर प्रवाहित रखेगी और गंभीर पर निर्भरता घटाएगी। दूसरी, 939 करोड़ रुपये की वाटर ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना, जिससे उज्जैन की जल शोधन क्षमता 151 एमएलडी से बढ़कर 400 एमएलडी तक पहुंचेगी। सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी बांध परियोजना का काम शुरू हो चुका है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना का काम वर्षाकाल बाद शुरू होने की उम्मीद है। दोनों परियोजनाएं वर्ष 2027 में पूर्ण कराने का लक्ष्य है।

See also  जबलपुर-निजामुद्दीन एक्सप्रेस के AC कोच में टप -टप टपका पानी

जिले में अब तक 588 मिली बारिश, तराना में सर्वाधिक
उज्जैन जिले में इस सीजन में अब तक 588 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। ये औसत 906 मिलीमीटर से अभी कम है। कलेक्टर कार्यालय की भू-अभिलेख शाखा के अनुसार तराना तहसील में सर्वाधिक 777 मिमी बारिश दर्ज की गई है। वहीं उज्जैन में 620, खाचरौद में 668, नागदा में 654, झार्डा में 667, बड़नगर में 565, महिदपुर में 518, घट्टिया में 426 और माकड़ौन में 398 मिमी वर्षा दर्ज हुई है। बीते 24 घंटों के दौरान जिले में औसत 6.8 मिमी बारिश हुई है।