नई दिल्ली
ग्रहण लगना एक विशेष खगोलीय घटना मानी जाती है। जिस समय में चंद्रमा सूर्य को अपनी रोशनी से पूरी तरह से ढक लेता है तो उस समय में सूर्य ग्रहण लगता है। साल 2025 में कुल चार ग्रहण लगेंगे। जिसमें से दो चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण होंगे। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण के समय में बहुत सारे काम करने की मनाही होती है। 2 अक्तूबर 2024 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण था। अब साल 2025 आने वाला है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि साल 2025 में सूर्य ग्रहण कब लगेगा और कितने सूर्य ग्रहण लगेंगे। आइए जानें कब लगेगा सूर्य ग्रहण।
साल 2025 में सूर्य ग्रहण कब-कब लगेगा
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण मार्च के महीने में लगेगा। ये ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा। ये ग्रहण एक आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा। भारत के समय के अनुसार ये ग्रहण 2:20 मिनट पर शुरू होगा और 6 बजकर 13 मिनट पर लगेगा।
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा या नहीं
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण मार्च में लगने जा रहा है। ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ऐसे में भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण कहां- कहा दिखाई देगा
मार्च 2025 में पड़ने वाला सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। ये ग्रहण फ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, एशिया अटलांटिक और आर्कटिक महासागर में दिखाई देगा।
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण कब लगेगा
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा। ये ग्रहण भी आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा या नहीं
साल 2025 के सितंबर महीने का सूर्य ग्रहण साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। इस ग्रहण का भी भारत पर कोई अस नहीं होगा। ये भारत में नहीं नजर आएगा।
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण कहां- कहां दिखेगा
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।
आंशिक सूर्य ग्रहण क्या होता है
आंशिक सूर्य ग्रहण उस समय लगता है। जब चंद्रमा सूर्य के कुछ ही भाग को अपनी छाया से ढकता है। इस समय में सूर्य का आधा भाग ग्रहण से प्रभावित होता है, इसलिए इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है। जिस समय में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से अपनी छाया में ढक लेता है। उस समय में पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है।
29 मार्च को पहला सूर्य ग्रहण (पूर्ण सूर्य ग्रहण)
पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन लगेगा. यह पूर्ण ग्रहण दोपहर 14:21 बजे से शाम 18:14 बजे तक रहेगा. यह विशेष रूप से बरमूडा, बारबाडोस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, उत्तरी ब्राज़ील, फिनलैंड, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, कनाडा का पूर्वी भाग, लिथुआनिया, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, सूरीनाम, स्वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, नॉर्वे, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र, आदि में देखा जा सकेगा.
यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका कोई धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा. साथ ही इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. इस दौरान मीन राशि और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में ग्रहों का विशेष संयोग बनेगा.
इस दिन मीन राशि में सूर्य और राहु के अतिरिक्त शुक्र, बुध और चंद्रमा उपस्थित होंगे। इससे द्वादश भाव में शनि विराजमान होंगे. इससे तीसरे भाव में वृषभ राशि में बृहस्पति, चौथे भाव में मिथुन राशि में मंगल और सप्तम भाव में कन्या राशि में केतु स्थित होंगे. पांच ग्रहों का प्रभाव एक साथ होने के कारण इस ग्रहण का राशियों पर बहुत गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता है.
21 सितंबर को दूसरा सूर्य ग्रहण (पूर्ण सूर्य ग्रहण)
दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात्रि में लगेगा, जो आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन रात 22:59 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर की सुबह 03:23 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस पूर्ण ग्रहण को न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी भागों में देखा जा सकेगा. यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका धार्मिक प्रभाव भी नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल मान्य होगा.
साल का दूसरा ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आकार लेगा. इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे और उन पर मीन राशि में बैठे शनि देव की पूर्ण दृष्टि रहेगी. इससे दूसरे भाव में तुला राशि में मंगल होंगे, छठे भाव में कुंभ राशि में राहु, दशम भाव में बृहस्पति और द्वादश भाव में शुक्र और केतु की युति होगी. कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए यह सूर्य ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली हो सकता है.
14 मार्च को पहला चंद्र ग्रहण (पूर्ण चंद्र ग्रहण)
साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को फाल्गुन मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा. यह ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 10:41 बजे से दोपहर 14:18 बजे तक रहेगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जो मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश भाग यूरोप अफ्रीका के अधिकांश भाग, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका, आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा.
यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से भारत में कोई महत्व नहीं होगा. खगोलीय दृष्टि से यह चंद्र ग्रहण सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा, इसलिए सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए यह ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली रहने वाला है.
चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा से सप्तम भाव में सूर्य और शनि विराजमान रहेंगे और चंद्रमा को पूर्ण सप्तम दृष्टि से देखेंगे. ऐसे में इसका प्रभाव और भी गहरा देखने को मिलेगा. इस दिन चंद्रमा से दूसरे भाव में केतु, सप्तम भाव में सूर्य और शनि, अष्टम भाव में राहु, बुध और शुक्र, दशम भाव में बृहस्पति और एकादश भाव में मंगल विराजमान होंगे.
7 सितंबर को दूसरा चंद्र ग्रहण (पूर्ण चंद्र ग्रहण )
दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा. यह रात्रि 21:57 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक प्रभावी रहेगा और भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा.
यह चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व होगा. इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेग.
यह पूर्ण चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसमें चंद्रमा के साथ राहु और सप्तम भाव में सूर्य, केतु और बुध विराजमान होंगे. इस संयोजन का कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है. इन जातकों को सावधानी बरतने का आवश्यकता रहेगी.
प्राकृतिक आपदाओं की आशंका
चार ग्रहणों की वजह से प्राकृतिक आपदाओं का समय से ज्यादा प्रकोप देखने को मिलेगा.
इसमें भूकंप, बाढ़, सुनामी, विमान दुर्घटनाएं का संकेत मिल रहे हैं. प्राकृतिक आपदा में जनहानि कम ही होने की संभावना है.
फिल्म एवं राजनीति से दुखद समाचार. व्यापार में तेजी आएगी.
बीमारियों में कमी आएगी. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
आय में इजाफा होगा. वायुयान दुर्घटना होने की संभावना.
पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे. सत्ता संगठन में बदलाव होंगे.
पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा. आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है.