Thursday, November 21, 2024
spot_img

जम्मू कश्मीर में सरकार किसी की भी बने, मुख्यमंत्री हिंदू ही होगा !

श्रीनगर

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने तीन चरणों में अपना जनादेश दर्ज कर दिया है. मंगलवार को तीसरे और आखिरी चरण की वोटिंग संपन्‍न हुई. 8 अक्तूबर को मतगणना होगी. तीसरे चरण में मंगलवार को 7 जिलों की 40 विधानसभा सीटों पर 66.56% वोटिंग हुई. तीसरे फेज में वोटिंग परसेंटेज पहले और दूसरे फेज से ज्यादा रहने का सीधा मतलब कुछ निकलता है जिसे समझना होगा. पहले फेज में 61.38% और दूसरे फेज में 57.31% मतदान हुआ था. तीसरे फेज की 40 सीटों में से 24 जम्मू डिवीजन और 16 कश्मीर घाटी की हैं. मतलब साफ दिख रहा है कि जम्मू रिजन में जम कर वोटिंग हुई है. इस तरह इस बार जम्मू कश्मीर में जो माहौल बन रहा है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस बार मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले इस केंद्र शासित प्रदेश को हिंदू सीएम मिल सकता है. कई कारण और भी हैं जो इशारा करते हैं कि सरकार किसी की भी बने इस बार जम्मू कश्मीर को पहला हिंदू सीएम मिल सकता है.

भारतीय गणतंत्र में मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री तक और राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक का पद देश का कोई भी नागरिक हासिल कर सकता है. संविधान में इस बात की गारंटी दी हुई है. यही कारण है कि देश में राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद पर 2 बार देश के अल्पसंख्यक (मुस्लिम) हासिल कर चुके हैं. देश के कई राज्यों में मुस्लिम अल्पसंख्या में होने के बावजूद सीएम बन चुके हैं. महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल आदि में मुख्यमंत्री पद पर सीएम पद संभाल चुके हैं. इसी बात को आधार बनाकर जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनावों में इस बार जम्मू क्षेत्र में हिंदू मुख्यमंत्री का मुद्दा जोर पकड़ लिया है. जम्मू कश्मीर जो राजनीतिक हालत बन रहे हैं उसमें कोई भी पार्टी चुनाव जीते इस बार ऐसी परिस्थितियां बन रही हैं कि यहां का मुख्यमंत्री कोई हिंदू भी बन सकता है.आइए देखते हैं कि वो कौन से कारण हैं जिसके आधार पर यह बात कही जा रही है.

1- जम्मू में इस बार क्यों है हिंदू सीएम का माहौल

1947 में भारत संघ में शामिल होने से लेकर 5 मार्च 1965 तक, जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री के नाम से संबोधित किया जाता था. न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन को छोड़कर, जो जम्मू-कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री थे, बाकी सभी प्रधानमंत्री घाटी से थे और मुस्लिम थे. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला, बख्शी गुलाम मोहम्मद, ख्वाजा शम्सुद्दीन, और गुलाम मोहम्मद सादिक ने जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया. बाद में प्रधानमंत्री का पद मुख्यमंत्री में बदल दिया गया और सदर-ए-रियासत (राष्ट्रपति) को राज्यपाल का नाम दे दिया गया. इस बड़े परिवर्तन के बाद जम्मू कश्मीर के सभी मुख्यमंत्री एक तो मुस्लिम हुए और दूसरे कश्मीर घाटी से ही हुए. केवल गुलाम नबी आजाद ही एक मात्र ऐसे थे जम्मू के डोडा जिले से आते हैं.

दरअसल 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में 68.8% मुसलमान हैं,जो अधिकतर कश्मीर घाटी में रहते हैं. करीब 28.8% हिंदू हैं, जिनमें से अधिकांश जम्मू में रहते हैं. जम्मू में आने वाली विधानसभा सीटों और लोकसभा सीटों पर आम तौर पर हिंदू प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं. जम्मू क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ही नहीं कुछ सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का भी दबदबा है. पर इस बार जम्मू नॉर्थ के बीजेपी उम्मीदवार और राज्य उपाध्यक्ष शाम लाल शर्मा ने जम्मू डिवीजन के मतदाताओं से अपील की थी कि वे पार्टी के उम्मीदवारों को जिताएं ताकि केंद्र शासित प्रदेश को अपना पहला डोगरा हिंदू मुख्यमंत्री मिल सके. इतना ही नहीं एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एक मुस्लिम मुख्यमंत्री हो सकता है तो जम्मू और कश्मीर में एक हिंदू क्यों नहीं हो सकता? यहां तो हिंदुओं की आबादी 32% है. दरअसल इस बार के चुनाव परिणाम आने के बाद श्याम लाल शर्मा की कही बातें अतिशयोक्ति नहीं हैं.

दरअसल पिछले कुछ सालों में जम्मू की हालत कश्मीर के मुकाबले बहुत कमजोर हुई है. जम्मू अब कश्मीर की शीतकालीन राजधानी भी नहीं रही. दूसरे ट्रेनों का ठहराव अब कटरा तक हो जाने से तीर्थयात्रियों की आमदरफ्त कम हो गई. इसलिए यहां के लोग चाहते हैं कि जम्मू क्षेत्र का आदमी सीएम बनेगा तो ही जम्मू के हक में फैसले हो सकेंगे.

2- त्रिशंकु विधानसभा बनी तो बीजेपी रहेगी सबसे आगे

दरअसल श्याम लाल शर्मा के बयान को आप बीजेपी की रणनीति के रूप में देख सकते हैं. क्योंकि हिंदुओं के वोट बीजेपी और कांग्रेस में बंटने की उम्मीद है. बीजेपी इस प्रयास में है कि जम्मू डिवीजन जहां 43 विधानसभा सीटें हैं, में अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा कर सके. दरअसल जम्मू कश्मीर विधानसभा में त्रिशंकु विधानसभाओं का इतिहास रहा है. अगर त्रिशंकु विधानसभा बनती है तो सबसे अधिक संभावना बीजेपी के ही सीएम की होगी. क्योंकि 5 नामित सदस्यों का सहयोग भी बीजेपी को मिलने की उम्मीद रहेगी. 2002 के विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 87 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटों से घटकर 28 सीटों पर आ गई थी. कांग्रेस ने 20 सीटें जीतीं और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने 16 सीटें हासिल कीं, जिसके बाद कांग्रेस, पीडीपी और कुछ छोटे दलों ने मिलकर सरकार बनाई.

2008 के विधानसभा चुनावों में भी त्रिशंकु परिणाम आए, जिसके कारण नेशनल कॉन्‍फ्रेंस और कांग्रेस को मिलकर सरकार बनानी पड़ी. घाटी में राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती दरार के चलते, जम्मू के नेता यह मानने लगे कि जम्मू को भी अपना मुख्यमंत्री मिल सकता है. 2014 के चुनावों में बीजेपी ने जम्मू से 25 सीटें जीतीं, जब हिंदू मतदाता पार्टी के पीछे एकजुट हो गए थे. पीडीपी के साथ बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई. जाहिर है बीजेपी ने ऐसा राज्य में अपनी जड़ें जमाने के लिए किया होगा. अब बीजेपी खुलकर कह रही है कि यदि पार्टी पूर्ण बहुमत से जीतती है, तो मुख्यमंत्री जम्मू से होगा.

3-कांग्रेस-नेशनल कान्फ्रेंस की सरकार बनती है तो भी हिंदू सीएम की संभावना

नए परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार चुनाव हो रहे हैं. कुल 90 सीटों पर विधानसभा के चुनाव होने हैं. इनमें 47 सीटें कश्मीर में हैं, जबकि 43 सीटें जम्मू में हैं. परिसीमन के पहले जम्मू एरिया की सीटों की संख्या कश्मीर के क्षेत्र से कम थी. जिसके चलते बैलेंस कश्मीर की तरफ रहता था. अब कश्मीर की तरफ केवल चार सीटों की ही बढत है. इसलिए जम्मू के सीएम बनने की संभावना को बढ़ा देता है. इस तरह जम्मू और कश्मीर रीजन करीब करीब अब बराबर हो चुका है. जम्मू रीजन की सभी 30 हिंदू बहुल सीटों को बीजेपी या कांग्रेस दोनों ही जीतते हैं तस्वीर अलग बन सकती है. अगर बीजेपी कुल 35 सीटें भी जीतने में सफल होती है तो उसे उपराज्यपाल कोटे नियुक्त 5 और विधायकों का समर्थन मिल सकता है.फिर भी बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए करीब 5 से 7 सीटों की जरूरत होगी. इसके लिए बीजेपी ने पोस्ट पोल एलायंस की संभावना की तैयारी कर रखी है. पर अगर कांग्रेस को जम्मू क्षेत्र की अधिकतर सीटें मिलती हैं तो बहुत संभावना होगी हिंदू विधायकों की संख्या मुस्लिम विधायकों के करीब करीब बराबर हो. ऐसी स्थिति में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस दोनों ही चाहेंगे कि किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बना दिया जाए. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि दोनों ही पार्टियां चाहेंगी किसी तरह बीजेपी को जम्मू कश्मीर में मजबूत न होने दिया जाए.

 

Related Articles

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -spot_img

Latest Articles