कुंवारी लड़कियां और शादीशुदा महिलाओं की लगती है बोली
धड़ीचा के लिए हर साल एक तय समय पर मंडी लगती है. इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से खरीदार और पुरुष आते हैं. यहां कुंवारी लड़कियों के अलावा शादीशुदा महिलाएं भी आती हैं. सबके चाल-चलन देखकर उनकी रकम तय होती है और खरीदार एक निश्चित समयसीमा के लिए लड़कियों या महिलाओं को अपनी पत्नी बनाकर ले जाते हैं.
जानकारी के मुताबिक इस मंडी में पत्नियों की कीमत 15 हजार रुपए से शुरू होती है. ये कीमत सिर्फ यहां तक सीमित नहीं है. 15 हजार रुपए से शुरू होने वाली कीमत 4 लाख रुपए तक जाती है. पुरुष एक साल या उससे कम समय के लिए रकम अदा कर पत्नी को किराए पर ले जाता है.
दोनों पक्षों के बीच 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक के स्टांप पेपर पर करार होता है. इसमें दोनों पक्षों की शर्तें लिखी जाती हैं. इसके बाद पति-पत्नी दोनों एग्रीमेंट में साइन करते हैं. सौदा पूरा होने पर पति ये फैसला लेता है कि उसे यही पत्नी चाहिए या फिर कोई और. अगर उस शख्स को यही पत्नी फिर से चाहिए होती है तो मंडी जाकर दोबारा एग्रीमेंट बनवाना होता है और रकम अदा करनी होती है.
अब सवाल यह उठता है कि क्या जरूरी है कि पत्नी अपनी इस सौदे वाली शादी से खुश हो? और अगर खुश न हो तो वह क्या करे? इस मामले में पत्नी को एग्रीमेंट तोड़ने का पूरा अधिकार है.अगर वह रिश्ते में खुश नहीं है तो अपने करार को बीच में तोड़ सकती है, लेकिन ऐसा करने के लिए उसे स्टांप पेपर पर शपथपत्र देना होता है. इसके बाद उसे तय राशि खरीदार को लौटानी पड़ती है. कई बार महिलाएं दूसरे पूरूष से ज्यादा रकम मिलने पर भी ऐसा करती हैं.(एजेंसी)