बरेली
तीन तलाक पीड़िताओं को गुजारा भत्ता देने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मुखालफत पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ तलाक पीड़िताओं में आक्रोश है। उनका कहना है कि जब कभी भी मुस्लिम महिलाओं को कानूनी संरक्षण या अधिकार मिलता है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आड़े आ जाता है।
तलाक के बाद लंबे समय से वह न्याय के लिए अदालतों में लड़ रही हैं। अगर तलाक पीड़िताओं को गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा तो वह अपना जीवन यापन कैसे करेगी? मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक पर बनाए गए कानून का भी विरोध किया था। इन महिलाओं की मानें तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश सही है व सबको इसे मानना चाहिए।
'देश संविधान चलेगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से नहीं'
मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी ने कहा कि जब भी महिलाओं के हक-हुकूक की बात आती है, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आड़े आ जाता है। इन लोगों को यह समझना चाहिए कि देश संविधान से चलता है, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की राय से नहीं।
'जो संविधान को नहीं मानते वो इस देश में रहकर क्या करेंगे'
आला हजरत वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान ने कहा कि जो लोग संविधान व शरीयत को नहीं मानते, वह इस देश में रहकर क्या करेंगे? उन्हें एक ऐसा मुल्क बनाना चाहिए जिसमें सिर्फ उनका ही आदेश चले। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को कभी भी औरतों को अधिकार देना पसंद ही नहीं आता।
'गुजारा भत्ता देने का आदेश बिल्कुल सही'
सबका हक संगठन की अध्यक्ष राफिया शबनम ने कहा कि तलाक पीड़िताओं को गुजारा भत्ता देने का आदेश पूरी तरह से सही है। अगर शरीयत के अनुसार भी तलाक दिया जाता है तो महिला को गुजारा भत्ता देना चाहिए। बोर्ड को यह बताना चाहिए कि बगैर गुजारा भत्ते के मुस्लिम महिलाएं अपना जीवन यापन कैसे करेंगी।
'बोर्ड बताए महिलाओं के लिए उसने क्या किया'
सामाजिक कार्यकर्ता कैसर फात्मा ने कहा कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध करने से पहले यह बताए कि उसने अब तक मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए क्या-क्या काम किए हैं। जब भी मुस्लिम महिलाओं के हक की बात होती है, तब ये लोग ही क्यों खड़े हो जाते हैं।