ठेकेदार की लापरवाही से युवक की दर्दनाक मौत, 4 माह पूर्व हुई थी शादी, गांव में आक्रोश का माहौल

ठेकेदार की लापरवाही से युवक की दर्दनाक मौत, 4 माह पूर्व हुई थी शादी, गांव में आक्रोश का माहौल
राजनांदगांव जिला के कन्हारपुरी इलाके में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां अधूरे पुल और लापरवाहियों के कारण 27 वर्षीय युवक की जान चली गई। मृतक का नाम आकाश साहू बताया जा रहा है, जिसकी शादी मात्र चार महीने पहले हुई थी।
जानकारी के अनुसार, जिस पुल पर हादसा हुआ, वह बीते दो माह से अधूरा पड़ा है। निर्माण कार्य रुकने के बावजूद वहां न तो बैरिकेड लगाए गए थे और न ही चेतावनी बोर्ड। अंधेरे में सड़क पर बना गड्ढा साफ दिखाई नहीं दिया और आकाश साहू उसमें गिर पड़ा। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते सुरक्षा इंतजाम किए जाते, तो इस हादसे को रोका जा सकता था। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण एजेंसी और विभाग की सुस्ती के कारण यह स्थिति बनी। सड़क और पुल निर्माण कार्य अधूरा छोड़कर बिना किसी सुरक्षा चिन्ह या अवरोधक के जनता को असुरक्षित मार्ग पर चलने के लिए छोड़ दिया गया।
हादसे के बाद गांव में आक्रोश का माहौल है। परिजनों का दुख आकाश साहू की शादी चार महीने पहले ही हुई थी। परिवार के लिए यह हादसा असहनीय है। गांव वालों ने बताया कि परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक साधारण सी लापरवाही उनके बेटे की जान ले लेगी। पत्नी और परिजनों की हालत बेहद खराब बताई जा रही है। यह घटना एक बार फिर से सरकारी सिस्टम की सुस्ती और लापरवाही को उजागर करती है। ग्रामीणों का कहना है कि जब निर्माण कार्य लंबे समय तक अधूरा पड़ा हो, तो सुरक्षा उपायों की जिम्मेदारी किसकी होती है? क्या विभाग इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं है?
स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस मामले में जांच की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अधूरे प्रोजेक्ट्स को सुरक्षित तरीके से बैरिकेड और चेतावनी बोर्ड लगाकर छोड़ा जाए, ताकि भविष्य में किसी और की जान न जाए। घटनास्थल का हाल घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि पुल पर बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं। कई जगह सड़क अधूरी है। बारिश के कारण जगह-जगह पानी भर गया था, जिससे गड्ढा और भी खतरनाक हो गया। किसी प्रकार का लाइटिंग सिस्टम भी नहीं था। घटना के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि हादसे के बाद सक्रिय होना समस्या का समाधान नहीं है। असली जिम्मेदारी हादसे से पहले सुरक्षा देने की होती है।

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