रायगढ़। हिंडाल्को ने अपनी दोनों भूमिगत खदानों को ओपन कास्ट में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू की। वैसे ही ग्रामीणों का विरोध शुरू हो गया। ग्राम सभा में क्षेत्र के जंगलों को हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को देने का विरोध किया जा रहा है। इस बारे में मुख्यमंत्री को शिकायत की गई है। प्रभावित 3 ग्राम पंचायतों द्वारा ग्राम सभा में जमीन ना देने का प्रस्ताव पारित किया गया हैं।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को पहली बार ग्रामीणों का सीधा विरोध झेलना पड़ रहा है। इसकी वजह गारे पलमा 4/ 4 और 4/5 हैं। दोनों ही खदानें भूमिगत और खुली दोनों तरह से संचालित की जा रही हैं। दोनों ही ब्लॉक में बने घने जंगल होने के कारण अंडरग्राउंड माइन्स की अनुमति दी गई थी। लेकिन अंडर ग्राउंड में कॉस्ट बहुत ज्यादा बैठ रही है। यही कारण है कि कंपनी इसे खुले खदान के रूप में ऑपरेट करना चाह रही है।
मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में कोडकेल, सरसमाल, डोंगामहुआ, बालजोर, घरे आदि गांव के लोगों ने जंगल की प्रस्तावित कटाई का विरोध किया है। उनका कहना है कि ग्राम सभाओं में क्षेत्र के 1200 एकड़ वन भूमि हिंडालको को दिए जाने पर आपत्ति जताई है। कंपनी के मुलाजिम और वन विभाग पेड़ों का सर्वे कर रहे हैं। 15 अक्टूबर को लिखित शिकायत में आपत्ति दर्ज कराई गई है। इसके बाद भी मार्किंग और सर्वे का काम जारी है।
ग्रामीणों का कहना है कि आदिवासियों के इतिहास से मोरगापाठ भी इस जंगल का हिस्सा है। इतने बड़े जंगल को काटकर कोयला खनन किया जाएगा। जिससे वन्यजीवों का आश्रय स्थल भी बर्बाद हो जाएगा। गांव के चारों ओर कोयला खदान होंगे। ग्रामीणों ने सर्वे कार्य तत्काल रोके जाने की मांग की है।
ईआईए रिपोर्ट की तैयारी
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को सरकार टीओआर जारी कर दिया है। पर्यावरण और फॉरेस्ट क्लीयरेंस पाने के लिए अब कंपनी को नए सिरे से प्रक्रिया अपनानी होगी। स्वीकृति के लिए जनसुनवाई करानी होगी। वन भूमि हासिल करने में हिंडाल्को को एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा।