Thursday, December 12, 2024
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चीन ने एलन मस्क की टेक दिग्गज कंपनी टेस्ला से प्रेरणा ले कर अपना स्टार लिंक तैयार किया, लॉन्च के बाद 300 टुकड़े में बिखरा

चीन
चीन ने एलन मस्क की टेक दिग्गज कंपनी टेस्ला से प्रेरणा ले कर अपना स्टार लिंक तैयार किया था। हालांकि सैटेलाइट लॉन्च के बाद चीन का रॉकेट 300 टुकड़ों में बिखर गया और अब यह स्पेस जंक बन गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष कमान (USSPACECOM) ने आज कहा है कि 18 कियानफैन उपग्रहों को लॉन्च करने की उपलब्धि हासिल करने के बाद चीन का लॉन्ग मार्च 6A रॉकेट टूट गया है। इसके बाद पृथ्वी की लो अर्थ ऑर्बिट में 300 से अधिक टुकड़े ट्रैक किए गए। इससे पहले उत्तरी चीन के शांक्सी प्रांत में ताइयुआन सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से लॉन्ग मार्च 6A रॉकेट को मंगलवार को उपग्रहों के साथ लॉन्च किया गया था।

ये 18 सैटेलाइट पहले बैच का हिस्सा थे जिसका लक्ष्य चीन के एलन मस्क के स्टारलिंक का अपना वर्जन स्थापित करना था जिसे कियानफैन (थाउज़ेंड सेल्स) ब्रॉडबैंड नेटवर्क कहा जाता है। सैटेलाइट को शंघाई में चीनी विज्ञान अकादमी के माइक्रोसैटेलाइट्स के लिए इनोवेशन ने डिजाइन किया और बनाया था। रॉकेट ने लगभग 800 किलोमीटर की ऊंचाई पर उपग्रहों को सफलतापूर्वक पहुंचा दिया था।
फिलहाल कोई खतरा नहीं है- USSPACECOM

X पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, "USSPACECOM 6 अगस्त 2024 को लॉन्च किए गए लॉन्ग मार्च 6A रॉकेट के टूटने की पुष्टि करता है। पृथ्वी की निचली कक्षा में मलबे के 300 से अधिक टुकड़े हो गए हैं। USSPACECOM ने कहा है कि फिलहाल कोई खतरा नहीं है और अंतरिक्ष डोमेन की सुरक्षा और स्थिरता का समर्थन करता है।

स्पेसएक्स के स्टारलिंक से तुलना
चीन ने घरेलू उपयोगकर्ताओं के लिए अच्छी संचार सेवाएं देने के लिए 2023 में कियानफ़ान मेगा नक्षत्र परियोजना शुरू की है। शंघाई स्थित कंपनी स्पेससेल द्वारा विकसित कियानफैन नेटवर्क लंबे समय में 15,000 से अधिक लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) वाइड-स्क्रीन मल्टीमीडिया उपग्रहों का नेटवर्क स्थापित करने की क्षमता रखता है। इनमें से 108 उपग्रह इस साल और 2025 के अंत तक 648 उपग्रह लॉन्च किए जाएंगे। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2027 तक इस समूह का लक्ष्य वैश्विक नेटवर्क कवरेज प्रदान करना है और 2030 तक 15,000 उपग्रहों को शामिल करना है जो सीधे मोबाइल कनेक्शन जैसी सेवाएं देते हैं। दूसरी तरफ स्पेसएक्स के स्टारलिंक के पास फिलहाल अंतरिक्ष में 6,000 से अधिक उपग्रह हैं और 100 देशों में इसके 3 मिलियन से अधिक ग्राहक भी हैं।

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