सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल, सिर्फ गलत नहीं, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत यह एक गंभीर अपराध है, जाने कानून क्या कहता है : आजकल लगभग हर कोई सोशल मीडिया या मैसेजिंग ऐप्स जैसे व्हाट्सएप का उपयोग करता है। ये प्लेटफॉर्म हमें आपस में जुड़ने और बात करने में मदद करते हैं, लेकिन इनमें कुछ खतरें भी हैं। इनमें से एक बढ़ता हुआ खतरा है ब्लैकमेलिंग या ऑनलाइन उगाही।
व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम या फेसबुक जैसी प्लेटफॉर्म्स पर ब्लैकमेलिंग का मतलब है कि किसी को धमकी देना कि वह उनकी निजी बातें, तस्वीरें या वीडियो शेयर करेगा, जब तक पीड़ित व्यक्ति पैसे न दे या उनकी मर्जी के खिलाफ कुछ न करे। यह सिर्फ गलत नहीं है, बल्कि भारतीय कानून और कई अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत यह एक गंभीर अपराध है।
इस ब्लॉग में हम समझाएंगे कि सोशल मीडिया पर ब्लैकमेलिंग क्या होती है, और क्या यह साइबर क्राइम है। भारत में इस तरह के मामलों में लागू होने वाले कानूनों की जानकारी देंगे। यदि आप ब्लैकमेलिंग के शिकार हैं, तो आपको क्या कदम उठाने चाहिए और इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
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ब्लैकमेलिंग– डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपराध
सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल, सिर्फ गलत नहीं, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत यह एक गंभीर अपराध है, जाने कानून क्या कहता है : आज के डिजिटल युग में व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। जहां ये माध्यम संवाद और जुड़ाव के लिए बनाए गए हैं, वहीं इनका दुरुपयोग करने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। खासकर ब्लैकमेलिंग या धमकाने के मामले अब ऑनलाइन होने लगे हैं।
अब अपराधी मोबाइल नंबर से जुड़ते हैं, फेक प्रोफाइल बनाकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं, और फिर बातचीत में विश्वास बनाकर निजी जानकारी या फोटोज़ हासिल करते हैं। इसके बाद शुरू होता है असली शोषण, धमकी देना, पैसा वसूलना, या यौन संबंध बनाने की मांग करना।
इस डिजिटल ब्लैकमेलिंग ने न सिर्फ युवाओं बल्कि महिलाओं, बच्चों, यहां तक कि बुजुर्गों को भी निशाना बनाया है। ऐसे मामलों में पीड़ित डर के मारे चुप रहते हैं, जिससे अपराधी और भी साहसी हो जाते हैं।
व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल कैसे किया जाता है?
डिजिटल माध्यम पर ब्लैकमेलिंग के कई तरीके हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- फेक प्रोफाइल बनाकर चैट करना: अपराधी नकली नाम और तस्वीर से प्रोफाइल बनाते हैं और अनजान लोगों से दोस्ती करने की कोशिश करते हैं।
- निजी फोटो या वीडियो से डराना: बातचीत में विश्वास जमाकर पीड़ित से निजी तस्वीरें या वीडियो मंगवाई जाती हैं। फिर उन्हें वायरल करने की धमकी दी जाती है।
- पैसे या यौन संबंध की मांग: ब्लैकमेलर कहता है कि अगर पैसा नहीं दिया या उसकी बात नहीं मानी, तो वह सब कुछ सार्वजनिक कर देगा।
- स्क्रीनशॉट्स और रिकॉर्डिंग से डराना: बातचीत के स्क्रीनशॉट या वीडियो कॉल की रिकॉर्डिंग के जरिए मानसिक दबाव बनाया जाता है।
क्या यह कानूनी रूप से साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है?
सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल, सिर्फ गलत नहीं, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत यह एक गंभीर अपराध है, जाने कानून क्या कहता है : ब्लैकमेलिंग साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है, क्योंकि यह डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके किया जाता है, जैसे कि व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर किसी को धमकाना या उसका शोषण करना। जब कोई व्यक्ति इंटरनेट या सोशल मीडिया के माध्यम से किसी की निजी जानकारी का दुरुपयोग करता है, तो इसे साइबर क्राइम माना जाता है।
साइबर अपराध की परिभाषा: साइबर अपराध वे अपराध हैं जो इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किए जाते हैं। इसमें किसी की व्यक्तिगत जानकारी चुराना, शोषण करना, या धमकी देना शामिल है। भारत में यह अपराध भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट 2001 के तहत आते हैं।
भारतीय कानून में किस-किस धारा के तहत मामला दर्ज हो सकता है?
भारतीय कानून में ब्लैकमेलिंग और साइबर अपराध से संबंधित कई धाराएं हैं, जिनके तहत आरोपी को सजा दिलाई जा सकती है। नीचे प्रमुख धाराओं और उनके तहत मिलने वाली सजा का विवरण दिया गया है:
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भारतीय न्याय संहिता (BNS) की प्रमुख धाराएं:
धारा | अपराध का विवरण | सजा |
धारा 308 | ब्लैकमेलिंग करके अवैध वसूली | अधिकतम 2 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों |
धारा 351 | किसी को डराना या धमकाना | अधिकतम 2 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों |
धारा 79 | महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाना | अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा और जुर्माना |
इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट 2001 की प्रमुख धाराएं:
धारा | अपराध का विवरण | सजा |
धारा 66 E | किसी की निजता का उल्लंघन (जैसे निजी फोटो/वीडियो शेयर करना) | अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा और ₹2 लाख तक का जुर्माना |
धारा 67 A | अश्लील सामग्री का इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशन | अधिकतम 7 वर्ष तक की सजा और ₹10 लाख तक का जुर्माना |
धारा 66 D | ऑनलाइन धोखाधड़ी या फर्जी पहचान बनाकर धोखाधड़ी करना | अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा और ₹1 लाख तक का जुर्माना |
महत्वपूर्ण बिंदु:
- धारा 308 के तहत अपराध कॉग्निजेबल (गंभीर) होते हैं, अर्थात पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और आरोपी को जमानत नहीं मिल सकती है।
- धारा 79 के तहत अपराध कॉग्निजेबल होते हैं, और आरोपी को जमानत मिल सकती है।
- धारा 351 के तहत अपराध नॉन – कॉग्निजेबल होते हैं और आरोपी को जमानत मिल सकती है।
- धारा 66E, 67A, और 66D के तहत अपराध कॉग्निजेबल होते हैं, और आरोपी को जमानत मिल सकती है।
यदि आप पीड़ित हैं तो आपको क्या करना चाहिए?
यदि आप या आपका कोई परिचित ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग का शिकार हो गया है, तो निम्नलिखित कदम उठाएं:
- घबराएं नहीं: शांत रहें और ब्लैकमेलर से संपर्क न करें। उनकी मांगों को पूरा करने से समस्या बढ़ सकती है।
- सबूत इकट्ठा करें:
- सभी संदेशों, तस्वीरों और धमकियों के स्क्रीनशॉट लें।
- ब्लैकमेलर का प्रोफ़ाइल लिंक, फोन नंबर या ईमेल आईडी सेव करें।
- किसी भी चैट को डिलीट न करें, ये सबूत हैं।
- अधिकारियों को सूचित करें: आप निम्नलिखित स्थानों पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं:
- नज़दीकी पुलिस स्टेशन (साइबर क्राइम के तहत)
- अपने शहर के साइबर क्राइम सेल में
- ऑनलाइन शिकायत के लिए: www.cybercrime.gov.in
- आप अपराधी की पहचान न होने पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- वकील से संपर्क करें: एक अच्छे वकील से सलाह लें, जो एफआईआर दर्ज कराने और BNS तथा IT एक्ट की सही धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई में मार्गदर्शन कर सके।
- प्लेटफ़ॉर्म पर प्रोफ़ाइल रिपोर्ट करें: व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि पर ब्लैकमेलर की प्रोफ़ाइल रिपोर्ट करें, ताकि उनका खाता ब्लॉक या बैन किया जा सके।
क्या आप गुमनाम रूप से शिकायत दर्ज कर सकते हैं?
सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल, सिर्फ गलत नहीं, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत यह एक गंभीर अपराध है, जाने कानून क्या कहता है : जी हां, यदि आप साइबर अपराध का शिकार हुए हैं, तो आप अपनी पहचान बताए बिना भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। भारत सरकार ने महिलाओं और बच्चों से संबंधित साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है: www.cybercrime.gov.in
गुमनाम शिकायत कैसे करें:
- व्यक्तिगत जानकारी की आवश्यकता नहीं: आप अपनी पहचान बताए बिना शिकायत कर सकते हैं।
- घटना की पूरी जानकारी दें: घटना की तारीख, समय, स्थान, और कोई भी सबूत जैसे स्क्रीनशॉट या लिंक शामिल करें।
- रिपोर्ट और ट्रैक विकल्प का उपयोग करें: इससे आप अपनी शिकायत की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं।
- सुरक्षा और गोपनीयता: यह विकल्प आपको सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखने में मदद करता है।
यदि आप ऑनलाइन शिकायत नहीं कर सकते, तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस अधिकारियों को आपकी पहचान बताए बिना भी कार्रवाई करनी चाहिए।
ऑनलाइन सुरक्षित रहने के लिए निवारक सुझाव
इंटरनेट का उपयोग करते समय सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ सरल सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप ऑनलाइन सुरक्षित रह सकते हैं:
- सोशल मीडिया पर अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स लगाएं ताकि आपके पोस्ट सिर्फ जान-पहचान वाले लोग ही देख सकें।
- अपनी पर्सनल फोटो या वीडियो किसी अनजान या भरोसे न होने वाले व्यक्ति के साथ शेयर न करें।
- मजबूत पासवर्ड रखें और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू करें।
- किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और किसी भी संदिग्ध फाइल को डाउनलोड न करें।
- अगर आप पब्लिक कंप्यूटर या मोबाइल पर लॉगिन करते हैं, तो काम होने के बाद लॉगआउट जरूर करें।
- अगर कभी कोई आपको धमकाए या ब्लैकमेल करे तो किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात जरूर करें।
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हाई कोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण फैसले
दिल्ली हाई कोर्ट: सेक्स की सहमति का मतलब वीडियो शेयर करने की इजाज़त नहीं है
जनवरी 2025 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अगर किसी ने शारीरिक संबंध के लिए हां कहा है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह अपनी निजी वीडियो रिकॉर्ड करने या सोशल मीडिया पर शेयर करने की इजाज़त दे रहा है। ऐसा करना निजता और सम्मान का गंभीर उल्लंघन है।
दिल्ली हाई कोर्ट: सेक्सटॉर्शन (ब्लैकमेलिंग) एक बड़ा खतरा है
मई 2024 में, कोर्ट ने तीन लोगों की अग्रिम ज़मानत (Anticipatory Bail) को खारिज कर दिया, जो एक व्यक्ति से ₹16 लाख की वसूली कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि सेक्सटॉर्शन बहुत ही गंभीर अपराध है, जो मानसिक रूप से पीड़ित को बहुत नुकसान पहुंचाता है। सख्त कानूनी कार्रवाई ज़रूरी है।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट: महिला को ज़मानत नहीं मिली
फरवरी 2025 में, एक महिला पर आरोप था कि उसने एक 73 साल के डॉक्टर से करोड़ों रुपये वसूले। कोर्ट ने कहा कि ऐसा अपराध डरावना और अमानवीय है। कोर्ट ने ऐसे बढ़ते साइबर अपराधों पर सख्त कदम उठाने की बात कही।
दिल्ली हाई कोर्ट: 15 साल की लड़की को ब्लैकमेल करने के मामले में ज़मानत खारिज
दिसंबर 2024 में, एक व्यक्ति पर आरोप था कि उसने एक नाबालिग लड़की से वीडियो कॉल पर अश्लील हरकतें करवाईं और फिर उसे ब्लैकमेल किया। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करके बच्चों को डराया-धमकाया जा रहा है और इसे रोकने के लिए कड़े कानून ज़रूरी हैं।
केरल हाई कोर्ट: साइबरबुलिंग (ऑनलाइन बदमाशी) रोकने के लिए सरकार को निर्देश
दिसंबर 2023 में, कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि वह साइबरबुलिंग को रोकने के लिए ज़रूरी कदम उठाए। कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट की दुनिया में लोगों की इज़्ज़त आसानी से खराब की जा सकती है, इसलिए सरकार को लोगों की सुरक्षा के लिए काम करना चाहिए।
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निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल, सिर्फ गलत नहीं, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत यह एक गंभीर अपराध है, जाने कानून क्या कहता है : व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम या किसी भी सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल करना सिर्फ गलत नहीं, बल्कि एक कानूनी अपराध है। भारत में ऐसे मामलों के लिए सख्त कानून मौजूद हैं और मदद मिल सकती है। अगर आप इसका शिकार हैं, तो डरने या शर्माने की ज़रूरत नहीं है। आपकी निजता, इज़्ज़त और मानसिक शांति की सुरक्षा आपका अधिकार है। आवाज़ उठाना और कानूनी कदम उठाना ही न्याय पाने की पहली और सबसे ज़रूरी शुरुआत है।
FAQs
1. क्या सिर्फ चैट के आधार पर पुलिस शिकायत दर्ज की जा सकती है?
हाँ, यदि चैट में धमकी, अश्लील सामग्री या ब्लैकमेलिंग के सबूत हैं तो पुलिस शिकायत की जा सकती है।
2. अगर कोई पुरानी फोटो या वीडियो दिखाकर ब्लैकमेल कर रहा है तो क्या करें?
तुरंत स्क्रीनशॉट लें, और साइबर सेल या पोर्टल पर शिकायत करें।
3. क्या सोशल मीडिया पर किए गए ब्लैकमेल के लिए BNS या IT एक्ट लागू होता है?
जी हां, दोनों कानूनों का उपयोग किया जा सकता है – अपराध की प्रकृति के अनुसार।
4. क्या ब्लैकमेलर को सजा हो सकती है अगर पीड़िता ने पहले सहमति दी हो?
हाँ, यदि सहमति के बाद भी धमकी या शोषण हो रहा है तो यह अपराध है।
5. क्या साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज शिकायत पर तुरंत कार्रवाई होती है?
हाँ, लेकिन यह केस की गंभीरता और सबूतों की मजबूती पर निर्भर करता है।
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