ईरान और इजराइल के बीच तनाव कम होने से भारत को बड़ी राहत, चाबहार पोर्ट में किया गया निवेश सुरक्षित

नई दिल्ली
ईरान और इजराइल के बीच तनाव कम होने से भारत को राजनयिक और आर्थिक रूप से बड़ी राहत मिली है। भारत ने चाबहार पोर्ट और उससे जुड़े कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स में 550 मिलियन डॉलर (लगभग 47,16,53,21,335 रुपये-26 जून,2025) का निवेश कर रखा है। ईरान-इजरायल युद्ध और फिर उसमें अमेरिका के उतरने से भारत इस क्षेत्र की अस्थिरता को लेकर चिंतित था। चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) भारत के लिए अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया और रूस तक पहुंचने के लिए बहुत जरूरी माध्यम है। ये प्रोजेक्ट्स चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का जवाब है और भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए क्षेत्रीय व्यापार करने में सहायक हैं।

चाबहार पोर्ट में निवेश पर भारत की चिंता हुई दूर

भारत ने चाबहार पोर्ट के विकास के लिए ने अब तक सीधे 85 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसके अलावा एग्जिम बैंक के जरिए ऑपरेशनल सपोर्ट के लिए 150 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन अलग से दी गई है। चाबहार-जाहेदान रेलवे के लिए 400 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त क्रेडिट भी दिया गया है। इस तरह से कुल निवेश 550 मिलियन डॉलर के करीब का हो चुका है। अडानी ग्रुप और एस्सार जैसी बड़ी भारतीय कंपनियों ने भी चाबहार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में दिलचस्पी दिखाई है। इससे पता चलता है कि भारत इस पोर्ट को लेकर कितना गंभीर है। मई 2024 में भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट में 10 साल के लिए शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन करने के लिए एक समझौता किया था। यह काम इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के जरिए किया जा रहा है। IPGL, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी और दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी का एक संयुक्त उद्यम है। यह ईरान की आर्या बनादर कंपनी के साथ मिलकर पोर्ट का प्रबंधन करता है।

See also  इन्फिनिक्स ने पेश किया नोट 40एक्स 5जी

भारत-ईरान व्यापार पर भी मंडरा रहा था बड़ा संकट

ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की वजह से चाबहार बंदरगाह पर बड़ा खतरा मंडरा रहा था। इससे भारत की चाबहार पोर्ट में किया गया निवेश खतरे में पड़ सकता था। लेकिन, इजराइली हमलों में चाबहार पोर्ट को कोई नुकसान नहीं हुआ। इससे भारत को बड़ी राहत मिली है। भारत को डर था कि अगर पोर्ट को नुकसान होता, तो उसकी क्षेत्रीय रणनीति बेकार हो जाती। अगर युद्ध लंबा चलता तो यह बहुत भयानक होता, क्योंकि अमेरिका भी इसमें शामिल हो चुका था। इससे पश्चिमी देशों की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों का खतरा भी बढ़ जाता, जिससे भारत के लिए ईरान में व्यापार करना भी मुश्किल हो जाता।

ईरान-इजरायल युद्ध रुकने से पाकिस्तान की उम्मीद टूटी

चाबहार प्रोजेक्ट पर युद्ध का खतरा टलने से पाकिस्तान को भी निराशा हुई है। दशकों से अफगानिस्तान अपनी समुद्री पहुंच के लिए पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर निर्भर रहा है। लेकिन, तालिबान के मौजूदा शासन में काबुल अब दूसरे विकल्प तलाश रहा है। चाबहार पोर्ट अफगानिस्तान के लिए भी एक अच्छा विकल्प है। इसके अलावा अफगानिस्तान अब INSTC (इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर)में शामिल होने में भी दिलचस्पी दिखा रहा है। इससे वह पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है। अगर INSTC को सेंट्रल एशियाई देशों का समर्थन मिलता है, तो क्षेत्रीय व्यापार पर पाकिस्तान का प्रभाव कम हो जाएगा। ईरान और इजराइल के बीच लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष से यह काम रुक सकता था और पाकिस्तान को अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका मिल जाता। लेकिन, अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

See also  iPhone 17 के लिए दीवानगी! मुंबई में भिड़े फैन्स, दिल्ली में रातभर लगी लंबी लाइन

मध्य एशिया में भारत को अपनी भूमिका बढ़ाने का मौका

भारत और ईरान चाबहार प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं। जनवरी 2025 में 19वीं विदेश कार्यालय परामर्श के दौरान दोनों देशों ने चाबहार और INSTC पर सहयोग बढ़ाने की बात दोहराई थी। हालांकि, अभी भी कुछ चुनौतियां हैं। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का खतरा अभी भी बना हुआ है। खाड़ी क्षेत्र में भविष्य में होने वाली कोई भी घटना व्यापार को बाधित कर सकती है। फिर भी, अभी जो युद्धविराम हुआ है, उससे कूटनीति और काम करने के लिए थोड़ा समय मिल गया है। कुल मिलाकर भारत के लिए ईरान और इजराइल के बीच तनाव कम होने से दो फायदे हुए हैं। चाबहार में किए गए निवेश सुरक्षित हैं और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजनाएं बिना किसी रुकावट के चल रही हैं। साथ ही, अफगानिस्तान के व्यापार मार्गों पर पाकिस्तान का प्रभाव कम हो रहा है। भारत के पास अब पोर्ट को विकसित करने, व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने और सेंट्रल एशिया में अपनी उपस्थिति और बढ़ाने का अच्छा मौका है।

See also  महिलाओं के लिए कार लोन में बड़ा फायदा, 0.8% ब्याज और 90% तक लोन

"ईरान-इज़राइल तनाव कम होने से भारत को मिले फ़ायदों के अलावा, क्या आपको लगता है कि इस स्थिति से भारत के लिए और भी कोई अवसर या चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं? अपने विचार कमेंट बॉक्स में साझा करें! आप हिंदी या अंग्रेजी में अपनी राय दे सकते हैं। लॉग इन करें और अपनी राय ज़रूर दें!