नई दिल्ली
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को 130वें संविधान संशोधन विधेयक को अजीब और असंवैधानिक बताया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर किसी को 30 दिनों तक जमानत नहीं मिलती तो क्या वह मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि जनता का फैसला किसी एक गिरफ्तारी की वजह से पलट दिया जा सकता है। दुनिया में इससे ज्यादा अजीब कोई भी बात नहीं सुनी जा सकती। पेशे से वकील पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस विधेयक के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने लिखा, "कोई आरोप नहीं, कोई मुकदमा नहीं, कोई दोष सिद्दी नहीं… लोकतांत्रिक देश में एक गिरफ्तारी (आम तौर पर फर्जी आरोपों के आधार पर) के आधार पर जनता के फैसले को पलट दिया जाएगा।"
निचली अदालतें नहीं देती जमानत: चिदंबरम
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आजकल निचली अदालतें शायद ही कभी जमानत देती हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट भी इसमें आनाकानी करता है। उन्होंने न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पूछा, “हर महीने सुप्रीम कोर्ट में हजारों जमानत याचिकाएं आती हैं। इस प्रक्रिया में कई हफ्ते लग जाते हैं। इसी बीच, जो 30 दिन की मोहलत सरकार दे रही है उसकी तारीख भी निकल जाएगी। परिणामस्वरूप गलत आरोपों के आधार पर एक सरकार अस्थिर हो जाएगी। क्या इससे ज्यादा गैर-कानूनी, असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी या संघीय विरोधी कुछ हो सकता है?” गौरतलब है कि कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच लोकसभा में यह बिल पेश किया था। इसके बाद विपक्ष के प्रदर्शन को देखते हुए इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया, इस समिति में लोकसभा के 21 और राज्य सभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। इस विधेयक के मुताबिक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद पर रहते हुए अगर किसी पांच साल तक की सजा हो सकने वाले अपराध के तहत 30 दिन तक जेल में गुजारते हैं। तो ऐसे मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों या पीएम को पद से हटाया जा सकता है। फिर चाहें वह दोषी साबित हुए हों या फिर नहीं।
इस विधेयक को लेकर विपक्ष का आरोप है कि इस तरह के कानून के जरिए राज्य सरकारें, खासकर विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारें अस्थिर हो जाएंगी। विपक्ष ने दावा किया कि भाजपा शासित केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को फंसाने, उन्हें सलाखों के पीछे डालने और फिर उन्हें पद से हटाने की योजना बना रही है। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए राजनीति में गिरते नैतिक मानकों को ऊपर उठाना और इसे ईमानदार बनाए रखने वाला बताया।
आपको बता दें यह बिल ऐसे समय में आया है जब कुछ महीने पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री पद अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चला रहे थे। वहीं दूसरी ओर झारखंड के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन ने भी जेल गए थे। हालांकि उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।