संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश के लिए रणनीति बना कर दलितों को अधिकार तो दे दिया , लेकिन बाबा साहब अपने मिशन को पूरा करने से पहले ही देश के दलितों को अलविदा कह कर दुनिया से चले गए , उनके जाने के बात संविधान को समझे और जानने की ललक दलितों में देखने को कम ही मिली , धीरे धीरे बाबा का मिशन पिछड़ता ही जा रहा था , दलित आरक्षण का लाभ केवल सत्ता की चाह रखने वाले स्वार्थी लोग ही ले रहे थे , किसी को समझ नहीं आ रहा था अब क्या करे कैसे अंधकार से लड़ा जाये , दलित वर्ग में भी जो लोग अच्छी शिक्षा वाले थे वे भी किसी ना किसी रूप में अपने ही स्वार्थ में लगे थे , दौर ऐसा आ गया था की जिसकी लाठी उसकी भैंस होने लगा , आलम यह रहा की वापस दलितों को पुरानी परंपरा में जीने पर मजबूर होना पड़ रहा था , ऐसे समय में पंजाब के रोपुर जिले के ख्वासपुर गांव के एक युवक ने समाज में घटित हो रही ब्यवस्था को लेकर चिंतन शुरू किया और 1965 में बी.आर.आंबेडकर के जन्मदिन का सार्वजनिक अवकास को रद्द करने का विरोध किया|
ये वही साहब है जिन्हें आज बाबा साहब के बाद हर वर्ग के लोगों दलित नेता कहते हैं, भारत के इतिहास में कई ऐसे समाजसुधारक और राजनेता आये जिन्होंने भारत वर्ष के दलितों के हित में आवाज़ उठाई | इन्ही में से सबसे सर्वप्रथम समाज सुधारक और दलितों के उद्धार करने वाले महान व्यक्ति थे काशीराम जी| वे बहुत उच्च विचार के व्यक्ति थे उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों और भारत के अलपसमाज के हित में व्यतीत कर दिया काशीराम जी का जन्म 1934 में 15 मार्च में हुआ था| उनका जन्म पंजाब के रोपुर जिले के ख्वासपुर गांव में हुआ था| वे एक दलित परिवार से राब्ता रखते थे | उस समय भारत वर्ष में दलित समाज को बहुत घृणा से देखा जाता था और उनके साथ बहुत अत्याचार होता था| उनके पिता जी शिक्षित नहीं थे परन्तु वे अपने बच्चो को पूर्ण रूप से शिक्षित करना चाहते थे| उनके 2 भाई और चार बहने थी| वे अपने भाई और बहनो से सबसे बड़े थे और सबसे ज्यादा शिक्षित थे| उन्होंने बी.एस.सी कर रखी थी| इसके बाद वे संन1958 में काशी में रक्षा उत्पादक विभाग में सहायक वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त हो गए|
उन्हें दलित समाज के प्रति अत्याचार बिलकुल पसंद नहीं था| उन्होंने1965 में बी.आर.आंबेडकर के जन्मदिन का सार्वजनिक अवकास को रद्द करने के कारण विरोध किया| वे आंबेडकर जी के जीवन से बहुत प्रभावित थे| इसके परिणाम स्वरुप उन्होंने अपनी नौकरी का त्याग करके पीड़ित दलित समाज के हित में आवाज़ उठाने के मन बना लिया| उन्होंने अम्बेडकर जी के कार्यो का पूर्ण रूप से अध्ययन किया भारत के जातिवाद के बारे में भी रिसर्च की| उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित समाज के हित में व्यतीत करने के निर्णय लिया| उन्होंने अपने एक सहकारी के साथ मिल जुलकर अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति और अल्पजाति के कल्याण के लिए एक संस्था की स्थापना की जिसका नाम बेकवार्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीस एम्प्लोई फेडरेशन था|
इसका पहला कार्यालय दिल्ली में 1976 में प्रारंभ हुआ| उन्होंने अपने पूरे जीवन में दलित और पिछड़े जाति के लिए बहुत से आंदोलन और पद यात्रा की| 1980 में उन्होंने अम्बेडकर मेला नाम से पदयात्रा का आरम्भ करा| 1984 में उन्होंने BAMCEF के नाम से समानांतर दलित शोषित समाज संघर्ष समिति का गठन किया| इस समिति का गठन भारत समाज के सारी कुरीतिक प्रथा और जातिवादिक परंपरा का विरोध करने के लिए किया| उन्होंने भारत सरकार का विरोध करने के लिए 1984 में एक राजनैतिक पार्टी का गठन किया जिसका नाम बहुजन समाज पार्टी था जिसका नेतृत्व आज के समय में कुमारी मायावती कर कही हैं| 1994 में उन्हें दिल का दौरा और 2003 में दिमाग का दौरा पड़ा जिसके कारण उनकी सेहत खराब हो गई और उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग दिया| 9 अक्टूबर 2006 में दिल का दौरा पड़ा और बाबा साहब की तरह वे भी चले गए |
आज एक बार फिर देश के दलित अनाथ हो गए , आज देश में अराजकता अपने चरम पर है , देश में जानवरों पे हो रही अत्याचार पर न्याय तो तत्काल मिल रहा है किन्तु दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर चर्चा तक नहीं हो रही है सरेआम दलितों को पीटा जा रहा है, पीटते हुए वीडियो बनाकर दुनिया को दिखाया जा रहा है है , महिलाओं , बच्चियों को सरेआम बेआबरू किया जा रहा, अब इन लोगो के मन में दलितों के लिए मानवता व इंसानियत नहीं बची रही, छोटी छोटी बातों पर बच्चों का कत्लेआम आम बात हो चली है दलित वर्ग के माता बहनों की इज्जत ही ख़त्म हो गई है,बाबा साहब की मूर्तियों व धर्म स्थलों को तोड़ा जा रहा हैं , देश में अब दलितों के लिए न्याय नाम की कोई चीज नहीं बची है , ऐसे समय एक बार फिर देश को एक दलित मसीहा की तलाश है, काश फिर कोई मसीहा बाबा साहब व काशीराम का रूप लेकर देश आये और दलितों को बचाएं |
संपादक
बसंत खरे
साथियों ये मेरा पहला लेख हैं अगर इस लेख पर कोई सलाह हो तो मुझे अवश्य दीजिए व गलतियों के लिए माफ़ कीजिए