जशपुर। ज़िले के लेबर इंस्पेक्टर को जावा मोटरसायकल लेने की ललक कुछ ऐसी जगी कि वो सीधे एंटीकरप्शन ब्यूरो की जद में जा फंसा।लेबर इंस्पेक्टर सुरेश कुर्रे को एंटीकरप्शन के बिलासपुर कार्यालय ने छापा मारकर रंगे हाथों पकड़ा।
शिकायतकर्ता रमेश यादव एक संस्था संचालित करता है जिसे श्रम विभाग से प्रशिक्षण दिए जाने का आदेश मिला था,जिसके तहत 320 लोगों को प्रशिक्षित किया गया था, इसका प्रशिक्षण शुल्क 723492 रुपए होता है, जिसके भुगतान के एवज़ में दस प्रतिशत की राशि बतौर रिश्वत माँगी गई,जो कि शिकायतकर्ता ने दे दी,प्रशिक्षण कार्य का भुगतना करीब 637000 लेना शेष था, इसके भुगतान के लिए जब बात की गई तो एक लाख की और माँग की गई।
हलाकान परेशान संस्था संचालक रमेश यादव एसीबी के पास पहुँच गया और शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद सुरेश कुर्रे से शिकायतकर्ता को डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर देकर बात कराई गई।
शिकायतकर्ता ने आग्रह किया कि कुछ कम कर दें तो लेबर अधिकारी ने यह कहते हुए रिश्वत कम लेने से मना कर दिया
एसीबी की टीम ने फिर शिकायतकर्ता को रिश्वत माँग रहे श्रम निरीक्षक सुरेश कुर्रे के पास भेजा और रिश्वत की किश्त चालीस हज़ार देते रंगे हाथ श्रमपदाधिकारी जशपुर के प्रांगण में गिरफ़्तार कर लिया।
आरोपी ने कहा- ‘मुझे झूठे मामले में फंसाया गया है’
एसीबी की गिरफ्त में आया लेबर इंस्पेक्टर सुरेश कुर्रे ने अपने बचाव में कहा कि उसे झूठे केस में फंसाया गया है. लेबर इंस्पेक्टर का कहना है कि “प्रार्थी (Applicant) रमेश यादव ने 320 युवाओं को ट्रेनिंग देने में भारी फर्जीवाड़ा किया है, जिसकी जांच भी चल रही है. जांच को प्रभावित करने के लिए साजिश के तहत उधार के पैसे को रिश्वत का पैसा बताकर फंसाया गया है.”