पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है, मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया बन सकती है। बस कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, बाजार में मशरूम का अच्छा दाम मिल जाता है। अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है। मशरूम की खेती के लिए किसान किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण ले सकते हैं।
विश्व में मशरूम की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है, जबकि भारत में मशरूम के उत्पादन का इतिहास लगभग तीन दशक पुराना है। भारत में 10-12 वर्षों से मशरूम के उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इस समय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती करने वाले प्रमुख उत्पादक राज्य है। साल 2019-20 के दौरान भारत में मशरूम का उत्पादन लगभग 1.30 लाख टन हुआ।
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हमारे देश में मशरूम का उपयोग भोजन व औषधि के रूप में किया जाता है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण और विटामिन जैसे उच्च स्तरीय खाद्य मूल्यों के कारण मशरूम सम्पूर्ण विश्व में अपना एक विशेष महत्व रखता है। भारत में मशरूम को खुम्भ, खुम्भी, भमोड़ी और गुच्छी आदि नाम से जाना जाता है। देश में बेहतरीन पौष्टिक खाद्य के रूप में मशरूम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मशरूम के पापड़, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, टोस्ट, कूकीज, नूडल्स, जैम (अंजीर मशरूम), सॉस, सूप, खीर, ब्रेड, चिप्स, सेव, चकली आदि बनाए जाते हैं। ये सभी उत्पाद ऑनलाइन भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए मशरूम की खेती करने की विधि, मशरूम बीज उत्पादन तकनीक, मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण, मशरूम उत्पादन और प्रसंस्करण इत्यादि विषयों पर किसानों को कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं द्वारा पूरे वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मशरूम की खेती के लिए महिलाओं को अधिक प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को मशरूम की खेती के लिए लागत का 50 प्रतिशत अनुदान भी दे रही है।
भारत में उगाई जाने वाली मशरूम की किस्में
विश्व में खाने योग्य मशरुम की लगभग 10000 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 70 प्रजातियां हीं खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। भारतीय वातावरण में मुख्य रुप से पांच प्रकार के खाद्य मशरुमों की व्यावसायिक स्तर पर खेती की जाती है। जिसका वर्णन निम्नलिखित है।
सफेद बटन मशरुम
ढींगरी (ऑयस्टर) मशरुम
दूधिया मशरुम
पैडीस्ट्रा मशरुम
शिटाके मशरुम
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