मुनाफे से भरा है ये फसल, एक बार लगाए 4 साल तक पैसा कमाएं, जाने इस बेहतरीन फसल के बारे में

Agriculture News : परवल एक ऐसी सब्‍जी है जो कम लागत में बंपर उत्‍पादन देती है। ऐसे में ये एक ऐसी सब्‍जी बन गई है जो सेहत के साथ आपको मुनाफा भी देता है। जानकारी के अनुसार परवल की खेती करने वाले किसानों के लिए सरकार काफी फायदेमंद साबित हो रही है।
परवल की उपज एक वर्ष में 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से होती है. पर ये बोने के तरीके पर निर्भर है. यदि अच्छे तरिके से पौधों का ध्यान रखा जाये तो लगभग 4 साल तक 150 से 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त होती है. परवल का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. परवल भारत में बहुत ही प्रचलित सब्जी है. आज के समय में किसान परवल की खेती करके काफी मुनाफा कमा रहे हैं आप भी परवल की खेती करके आसानी से हजारों लाखों कमा सकते हैं. साधारण तौर पर परवल की खेती वर्ष भर की जाती है. परवल में विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसकी मांग भी बाजार में अधिक है और आइये जानते है परवल की खेती कैसे करें. आइए जानें इसके बारे में…
परवल की खेती गर्म एवं तर जलवायु वाले क्षेत्रो में अच्छी तरह से की जाती है इसको ठन्डे क्षेत्रो में न के बराबर उगाया जाता है किन्तु उचित जल निकास वाली जीवांशयुक्त रेतीली या दोमट भूमि इसके लिए सर्वोत्तम मानी गई है चूँकि इसकी लताएँ पानी के रुकाव को सहननही कर पाती है अतरू ऊंचेस्थानों पर जहाँ जल निकास कि उचित व्यवस्था हो वहीँ पर इसकी खेती करनी चाहिए.

Agriculture News: गर्म एवं तर जलवायु में होती है खेती

परवल की खेती गर्म एवं तर जलवायु वाले इलाकों में अच्‍छी तरह से की जाती है। परवल की उपज एक वर्ष में 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से होती है। इसकी उपज इसके बोने के तरीके पर भीर निर्भर है। परवल को वैज्ञानिक सुझावों के साथ इसके पौधों का ध्यान रखा जाये तो लगभग चार साल तक 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त होती है।
जानकारी के अनुसार परवल सदाबहार सब्जी होने के कारण इसकी खेती वर्ष भर की जाती है। परवल को बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में सामान्य तौर पर उगाया जाता है। इसके अलावा राजस्थान, मध्यप्रदेश, असम, महाराष्ट, गुजरात में भी ये कुछ क्षेत्रों में परवल की खेती की जाती है।परवल की बुवाई कलम एवं बीजों से होती है। परवल बेल पर होने के कारण इसमें काफी मात्रा में तत्वों की अवश्यकता होती है। परवल की खेती के लिए 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद खेत तैयारी के समय आखिरी जुताई में अच्छी तरह मिला देना चाहिए।

जानिए परवल की किस्‍में

  • स्वर्ण अलौकिक– इस किस्म के परवल के फलों का रंग हरा और आकार अंडाकार होता है। ये 5 से 8 से.मी लंबे होते हैं। ये सब्जी तथा मिठाई बनाने में काम आती है।
  • स्वर्ण रेखा– इसके फलों की लंबाई 8 से 10 से.मी. होती है। इसका इस्‍तेमाल सब्जी और मिठाई बनाने के लिए किया जाता है।
  • राजेन्द्र परवल-1- यह किस्म मुख्य रूप से बिहार के दियारा क्षेत्र में उगाई जाती है।
  • राजेन्द्र परवल-2- यह किस्म यू.पी. एवं बिहार के लिए उपयुक्त है।

नमी से बचाने की व्यवस्था करें 

इसके नियंत्रण के लिए फलों को जमीन के सम्पर्क में नहीं आने देना चाहिए. इसके लिए जमीन पर पुआल या सरकंडा को बिछा देना चाहिए.

डा एस के सिंह बताते हैं कि इस बीमारी से परवल को बचाने के लिए रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल करें.फफुंदनाशक जिसमे रीडोमिल एवं मैंकोजेब मिला हो यथा राइडोमिल गोल्ड @ 2ग्राम/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने एवं इसी घोल से परवल के आसपास की मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भीगा देने से रोग की बढोत्तरी में कमी आएगी. ध्यान देने योग्य बात यह है कि दवा छिड़काव के 10 दिन के बाद ही परवल के फलो की तुड़ाई करनी चाहिए. दवा छिडकाव करने से पूर्व सभी तुड़ाई योग्य फलों को तोड़ लेना चाहिए . मौसम पूर्वानुमान के बाद ही दवा छिडकाव का कार्यक्रम निर्धारित करना चाहिए क्योंकि यदि दवा छिडकाव के तुरंत बाद बरसात हो जाने पर किसानों लाभ नही मिलता है. किसान सावधानी से छिड़काव करें और अपने फसल को बचाएं.

 

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