छत्तीसगढ के संत बिसाहू दास महंत

रायपुर 

बिसाहू दास महंत  ( 1 अप्रैल 1924 – 23 जुलाई 1978 ) को हुआ था । वे मध्य प्रदेश के एक सफल  राजनीतिज्ञ थे. राज्य में कांग्रेस द्वारा निर्मित अब तक के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए क्रमशः एक, दो और तीन कार्यकालों के लिए बारादुवार का प्रतिनिधित्व किया  था,जिसे अब नया बाराद्वार, नवागढ़ और चांपा के नाम से जाना जाता है. उन्होंने 1952 में बाराडुवर से 1957 और1962 में नवागढ़ और वर्ष 1967, 1972 और 1977 में चांपा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. 

1952 में अपनी  जीत शुरू करने के उपरांत वे कभी चुनाव नहीं हारे, वे लगातार छह बार चुने गए. अपने जीवन के अंतिम चरण तक संघर्षरत रहे अंततः बीमार होकर भी लंबे समय तक बिस्तर पर रहे. अंतमें कार्डियक अटैक के कारण उनकी असामयिक मृत्यु हो गई.

किसान थे सभी के दिल के करीब 

1942 और 1947 के बीच स्व. महंत ने अपने कॉलेज जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इसवजह से सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की और उनकी छात्रवृत्ति को भी खारिज कर दिया था. 
आगे चलकर वह राजनीति में ऊंचे पदोंपर रहे. अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर काम करते हुए उन्होंने किसानों की पीड़ा को समझा और उनके लिए सिंचाई काप्रबंध करने की ठानी. कोरबा जिले में निर्मित प्रदेश के सबसे ऊंचे मिनीमाता बांगो बांध के शिलान्यास का श्रेय उन्हें दिया जाता है. जिससे आज लाखों हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझती है. किसानों अपने खेत की सिंचाई कर पाते हैं.

             पुत्र और बहू निरंतर
           आगे बढ़ा रहे विरासत 

स्वर्गीय बिसाहू दास महंत के दो पुत्रों में डॉ.चरणदास महंत भी राजनीति में उतने ही सफल हैं. जितनेकभी बिसाहू दास महंत थे. डॉ चरणदास महंत भी अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर रहे. केंद्र में भी सांसद रहे, वर्तमान में वहछत्तीसगढ़ के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. जबकि चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा लोकसभा सीट से सांसद हैं.

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