दुर्ग | भूमिहीन किसानों को सरकार द्वारा मिली जमीन को निजी कम्पनी को फर्जी तरीके से बेचने के आरोप में आर्थिक अपराध अन्वेषण ने तत्कालीन नायब तहसीलदार, पटवारी और निजी कम्पनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है| यह पूरा मामला पाटन तहसील के महुदा गांव का है | मिली जानकारी के अनुसार ग्राम महुदा में वर्ष 75-76 में शासकीय योजना के तहत गरीब भूमिहीन किसानों को कृषि कार्य के लिए ज़मीन आबंटित की गई थी। जिसमें तत्कालीन नायब तहसीलदार घनश्याम शर्मा तत्कालीन पटवारी माखन लाल देशमुख और सनत पटेल ने राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर शासकीय पट्टे की भूमि को भूमि स्वामी हक दर्ज कर उस ज़मीन को बिल्डर्स वसुंधरा आयुर्वेदिक अनुसंधान प्रालि के नाम रजिस्ट्री करा दी गई। नियमानुसार ऐसी किसी ज़मीन का हस्तांतरण को अनुमति अत्यंत अपरिहार्य स्थिति में कलेक्टर ही देते हैं, पर ऐसी कोई अनुमति नहीं ली गई, बल्कि अभिलेखों में छेड़छाड़ कर दिया गया। इस सम्बद्ध में शिकायत मिलने के बाद जांच चल रही थी, जिस पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ने कार्यवाही करते हुए धारा 409,467,468,471,120(B)और 13(1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधन अधिनियम 2018 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।