राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के एक गांव में छह दिन पहले जन्मी बालिका के पेट में एक बच्चा होने की खबर से डॉक्टरों के होश उड़ गए हैं। सोनोग्राफी के दौरान सामने आई इस रिपोर्ट के बाद परिजन भी परेशान हो गए थे, जिसे डॉक्टरों ने नवजात बच्ची का आपरेशन करने की सलाह दी है। जानकारी के अनुसार जिले के एक गांव में महिला ने छह दिन पहले एक बच्ची को जन्म दिया था। डिलीवरी होने के बाद जब डाॅक्टरों ने बच्ची के स्वास्थ्य की जांच-पड़ताल की तो छह दिन के नवजात शिशु को असामान्य पाया गया। जिसके बाद डॉक्टरों ने परिजनों को सोनोग्राफी कराने की सलाह दी।सोनोग्राफी रिपोर्ट के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि छह दिन के नवजात बच्ची के पेट में एक भ्रुण विकसित हो रहा था। सोनाेग्राफी करने वाले डाॅक्टर ने जब रिपोर्ट देखा तो उनके भी होश उड़ गए और उन्होंने इस बात की जानकारी नवजात के परिजनों को दी। बताया जाता है कि इस तरह का मामला लाखों नवजात शिशुओं में एकाध में ही पाया जाता है।
आपरेशन की सलाह
परिजनो ने सोनाेग्राफी रिपोर्ट जब संबंधित डाॅक्टर को दिखाया। इस दौरान डाॅक्टर ने परिजनो को बताया कि नवजात शिशु का आपरेशन करना पड़ेगा, लेकिन नवजात शिशु का वजन चार किलो से कम है। जिसके कारण डाॅक्टर ने वर्तमान में आपरेशन करने से मना कर दिया है। डाॅक्टरों के अनुसार चार किलो वजन होने के बाद नवजात का आपरेशन कर उसके पेट से भ्रुण निकाला जा सकेगा।
विधि डायग्नोस्टिक में सोनाग्राफी
विधि डायग्नोस्टिक एवं रिसर्च सेंटर में बालिका की सोनोग्राफी करते समय डॉ. अमित मोदी (रेडियोलॉजिस्ट) उस समय हतप्रभ रह गए, जब उन्होंने जांच के दौरान पाया कि नवजात बच्ची के पेट में एक और भ्रुण मौजूद है। गत् 17 अक्टूबर 2019 को सोनोग्राफी जांच के लिए डॉ. अनिमेष गांधी गांधी नर्सिंग होम के माध्यम से छह दिन के बच्ची को विधि डायग्नोस्टिक एवं रिसर्च सेंटर में जांच के लिए महिला लेकर आई थी।इस स्थिति को चिकित्सीय भाषा में भ्रुण के अंदर भ्रुण कहा जाता है| चिकित्सा साहित्य में इस स्थिति के भारत में अब तक इस तरह के लगभग 9-10 मामले और सम्पूर्ण विश्व में अब तक 200 मामले सामने आए हैं और यह 5 लाख जीवित जन्मे बच्चे में से एक में होता है। इस तरह का पहला मामला 18वीं शताब्दी में दर्ज किया गया था।
भ्रुण के अंदर भ्रुण क्यों होता है
जब एक माता जुड़वा बच्चों से गर्भवती होती है, तब एक अनोखी और अत्यंत दुर्लभ स्थिति बनती है। जिसमें एक भ्रुण दूसरे भ्रुण के उदर में स्थान ले लेता है। भ्रुण में भ्रुण की उत्पत्ति के बारे में दो सिद्धांत है। पहला वह स्थान है, जहां मेजबान जुड़वा के शरीर के अंदर एक परजीवी जुड़वा भ्रुण विकृत होता है और दोनों रक्त की आपूर्ति को साझा करते हैं। दूसरी बात यह है कि भ्रुण के अंदर भ्रुण टेरेटोमा का एक अत्याधिक विभेदित रूप है। ऊतकों से विदेशी ट्यूमर से उस क्षेत्र या शरीर के उस हिस्से में बना होता है। जिसमें वे पाए जाते हैं।
रिपोर्ट में खुलासा
विधि डायग्नोस्टिक सेंटर में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अमित मोदी ने बताया कि नर्सिंग होम से एक केस सामने आया है। जिसमें पाया गया कि छह दिन के नवजात बच्ची के पेट में एक भ्रुण विकसित हो रहा था।
सामने आया मामला
नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिमेष गांधी ने बताया कि इस तरह का केस लेकर परिजन आए थे। सोनाेग्राफी रिपोर्ट में छह दिन के नवजात बच्ची के पेट में एक भ्रुण विकसित हो रहा था, जिसे सर्जरी के माध्यम से बाहर निकाला जाना होगा, लेकिन बच्ची का वजन कम पाया गया। जिसके कारण परिजनो को आपरेशन फिलहाल नहीं कराने की सलाह दी है।