Friday, November 22, 2024
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गैंगरेप के दोषी को 15 दिन पत्नी के साथ रहने की मिली इजाजत, बच्चा पैदा करने के लिए लगाई थी अर्जी

पंजाब में कैदियों को वंश बढ़ाने के लिए जीवन साथी के साथ अकेले में समय बिताने के लिए जेल परिसर में ही एक अलग कमरे की व्यवस्था की गई है, जिसकी पूरे देश में चर्चा है। वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी इन दिनों सुर्खियों में है। इसमें गैंगरेप के दोषी को 15 दिन पत्नी के साथ रहने की इजाजत मिल गई है।

हाईकोर्ट ने तीन दिन पहले ही उसे पैरोल पर रिहा करने का आदेश सुनाया। नाबालिग से गैंगरेप के 22 साल का एक दोषी राहुल बघेल 25 साल की पत्नी बृजेश देवी के साथ रहेगा। पॉक्सो एक्ट के तहत अलवर जेल में बंद राहुल को 15 दिन की पैरोल दी गई है। कोर्ट का यह आदेश अलवर जेल प्रशासन तक पहुंच गया है।

राजस्थान में यह पहला फैसला है, जिसमें रेप के किसी दोषी को पैरोल मिली है। राजस्थान के पैरोल रूल्स में रेप या गैंगरेप के मामलों में पैरोल नहीं मिल सकता और न ही ऐसे दोषियों को ओपन जेल में भेजा जा सकता है, लेकिन हाईकोर्ट ने पत्नी के मौलिक व संवैधानिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए इस याचिका को स्वीकार किया है।

राहुल की पत्नी बृजेश देवी ने बच्चा पैदा करने के अपने मौलिक एवं संवैधानिक अधिकार का हवाला देते हुए अलवर के DJ कोर्ट में 13 जुलाई 2022 को इमरजेंट पैरोल (आपात पैरोल) याचिका लगाई। फिर, कुछ दिन के इंतजार के बाद 20 जुलाई, 2022 को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट में लगाई याचिका में 30 दिन की पैरोल देने की मांग की गई, लेकिन हाईकोर्ट ने राहुल को 15 दिन के पैरोल पर छोड़ने का आदेश सुनाया।

ये याचिका राहुल की सजा के ठीक एक महीने बाद लगाई गई। याचिका में कहा गया कि पत्नी को प्रेग्नेंसी या दंपती को वंश बढ़ाने के लिए रोकना संविधान के आर्टिकल 14 और 21 की भावना के खिलाफ होगा।

अलवर के DJ कोर्ट में याचिका लगाने के बाद 7 दिन तक सुनवाई का इंतजार किया, फिर इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 15 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की।

स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए…

– कोर्ट रूम में बृजेश की पत्नी की ओर से क्या तर्क रखे गए?

– सरकार की ओर से पैरोल अर्जी खारिज करने के लिए क्या कहा गया?

– अदालत ने सुनवाई को बाद किन-किन तर्कों को माना और फैसला दिया?

– रेप केस के इस पहले मामले के अलावा क्या प्रेग्नेंसी के लिए किसी और केस में भी पैरोल दिया गया है?

विश्राम प्रजापति – बृजेश देवी का पति दो साल से जेल में बंद है। उसकी शादी 2018 में हुई थी। वह शादी से खुश है और बच्चा चाहती है। वर्तमान में उसकी कोई संतान नहीं है। बृजेश देवी धार्मिक-सामाजिक और मानवीय परंपरा के चलते वंश वृद्धि करना चाहती है।

नरेंद्र गुर्जर – पैरोल अर्जी का विरोध करते हुए राजस्थान प्रेजेंस (रिलीज टु पैरोल) रूल्स-2021 को कोर्ट में पेश किया और कहा कि प्रेग्नेंसी के लिए रेप मामलों में पैरोल देने का कोई प्रावधान नहीं है। इस याचिका का कोई आधार ही नहीं है।

प्रजापति – राहुल के दोष में उसकी पत्नी बृजेश की कोई भूमिका नहीं है। बृजेश अपनी शादी को बचाए रखना चाहती है। बच्चे को जन्म देना उसके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों में शामिल है।

गुर्जर – यदि कैदी को पैरोल दी गई, तो समाज में अच्छा मैसेज नहीं जाएगा। समाज पर विपरीत प्रभाव भी पड़ेगा। इस आधारहीन याचिका को खारिज करना चाहिए।

प्रजापति – याची बृजेश देवी के पास मां बनने के लिए और कोई दूसरा उचित विकल्प नहीं है। इसके कारण उसके पति को पैरोल पर जेल से रिहा करने की इजाजत दी जाए।

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