मध्य प्रदेश के इंदौर का हनी ट्रैप केस पूरे देश में सनसनी मचाए हुए है. इस केस में मंत्री से लेकर अफसर तक कई बड़े लोगों का नाम सामने आ रहा है, वहीं इस मामले में सीएम कमलनाथ की सरकार भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इसी बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार देर रात मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और एसआईटी प्रमुख से इस मुद्दे पर चर्चा की और अफसरों की जमकर क्लास भी लगा दी.
हनी ट्रैप मामले को लेकर सीएम हाउस में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से सारी अपडेट ली है. सूत्रों के हवाले से आई खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अफसरों की जमकर क्लास ली. मुख्यमंत्री ने देर रात मुख्य सचिव एसआर मोहंती, डीजीपी वीके सिंह और एटीएस चीफ संजीव शमी को सीएम हाउस में तलब किया. मुख्यमंत्री कमल नाथ ने अफसरों से सवाल किया कि हनी ट्रैप कोई आतंकी गतिविधि तो हैं नहीं, फिर इसकी जांच में एंटी टेररिस्ट स्कवॉड (एटीएस) कहां से आ गई? एटीएस हनी ट्रैप का खुलासा करने के लिए तीन महीने से किसकी अनुमति लेकर सर्विलांस कर रही थी? आखिर यह सब क्या चल रहा है?
अफसरों ने इस मसले पर सीएम को सफाई देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अफसरों से दो टूक कहा कि बेवजह की बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मुख्यमंत्री कमल नाथ ने अफसरों को हिदायत दे दी है कि वे बयानबाजी बंद कर काम पर फोकस करें. साथ ही चेतावनी भी दी कि प्रदेश की छवि खराब करोगे तो किसी को नहीं छोडूंगा. अफसरों ने सीएम को यह भी तर्क दिया कि हनी ट्रैप से जुड़ी एक महिला आरोपी खुद को विदेशी नागरिक के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही थी. ऐसे में एटीएस का इन्वॉल्वमेंट जरूरी था. हालांकि मुख्यमंत्री ने उनका यह तर्क खारिज कर दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा हनी ट्रैप की शिकायत इंदौर के एक थाने में हुई थी तो उसे इंदौर पुलिस को ही देखना था. उस आधार पर प्रदेश के तमाम अफसरों को उसकी जांच के दायरे में लेने का क्या मतलब है? मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले ही व्यापमं महाघोटाले की वजह से मध्यप्रदेश की बहुत बदनामी हो चुकी है. अब लोग हनी ट्रैप की चर्चा कर रहे हैं. हनी ट्रैप से प्रदेश की छवि को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई कैसे होगी?